मुख्यमंत्री के आगमन को आस भरी निगाहों से देख रहा जिला एवं कोयलांचल क्षेत्र क्षेत्र से हो रहे लगातार पलायन को रोकना एक बड़ी चुनौती-सुनील चैरसिया

मुख्यमंत्री के आगमन को आस भरी निगाहों से देख रहा जिला एवं कोयलांचल क्षेत्र
क्षेत्र से हो रहे लगातार पलायन को रोकना एक बड़ी चुनौती-सुनील चैरसिया
अनूपपुर। म.प्र. शासन के मुखिया मुख्यमंत्री का आगमन 9 अगस्त को अनूपपुर जिले में हो रहा है, मुख्यमंत्री का यह आगमन कई दृष्टिकोण से जिले की विकास में मील का पत्थर साबित होगा, इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए क्षेत्र के विकास के लिए कोयलांचल क्षेत्र के पूर्व जनपद सदस्य वर्तमान नगर परिषद डूमरकछार के निर्विरोध निर्वाचित पार्षद एवं अध्यक्ष सुनील कुमार चैरसिया ने मुख्यमंत्री निवास पर मुख्यमंत्री से पूर्व में कई बार मुलाकात कर और अब अनूपपुर जिले के आगमन पर पुनः विभिन्न मांगों को लेकर पत्र मेल के माध्यम से प्रेषित किया है। साथ ही जिले में आगमन पर भी जिले कोयलांचल क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के संबंध में मांग पत्र सौंप कर क्षेत्र के विकास के लिए सदैव प्रयासरत रहने का संकल्प सुनील चैरसिया ने लिया है। सुनील चैरसिया ने अपने पत्र में उल्लेख करते हुए क्षेत्र के विकास के लिए कई समस्याओं का निदान कराने के लिए मुख्यमंत्री से मांग की है, ताकि क्षेत्र का सर्वांगीण विकास हो सके।
एसईसीएल की खाली पड़े मकानों को जरूरतमंदों को प्रदाय किया जाए
कोल इंडिया के एसईसीएल उपक्रम के हजारो खाली पड़े मकानों को मुख्यमंत्री आवासध्प्रधानमंत्री आवास के तहत क्षेत्र के जरूरतमंद नागरिकों को आवंटित किये जाने से अनूपपुर जिले के निकायों डूमरकछार, बनगंवा (राजनगर), डोला, बिजुरी, पसान, कोतमा एवं अन्य ग्रामीण क्षेत्र जो कोल माइन्स क्षेत्र के अंतगर्त आते हैं,इन क्षेत्रों में कोयले का उत्खनन विगत लगभग 50-60 वर्षो से प्रबंधन के द्वारा किया जा रहा है। पूर्व में एईसीएल के द्वारा निर्मित मकान लगभग 60 से 80 प्रतिषत मकान खाली पड़े हुए है, क्योकि इन आवासों में रहने वाले लोग सेवानिवृत्त हो गए हैं और मकान उपलब्ध ना होने की वजह से पलायन लगातार कर रहे हैं। सेवानिवृत के उपरांत आवासीय मकान खाली ना करने से इन्हें सेवानिवृत्ति के उपरांत मिलने वाली राशि से एक बड़ी राशि प्रदाय नही की जाती है, इसलिए मजबूरी में इन्हें आवास खाली करना पडता है, साथ ही आसपास के बसाहट खाली हो जाने से रोजगार स्वरोजगार कर अपना जीवन यापन करने वाले नागरिकों के ऊपर भी आर्थिक संकट खड़ा हो जा रहा है। नागरिकों के लगातार पलायन से छोटे-बड़े कारोबारी भी पलायन को मजबूर है, मांग यह है कि हजारो की संख्या में कालरी के श्रमिक जो सेवानिवृत्त हो चुके हैं और साथ ही क्षेत्र में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे नागरिकों को मुख्यमंत्री आवास प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत या एक विशेष अभियान चला कर कोलइंडिया एसईसीएल उपक्रम के खाली पड़ी मकानों को क्षेत्र के जरूरतमंदों को आवंटित किया जाए, ताकि बेघरों को घर मिल सके और सरकार की सम्पत्ति का सदुपयोग भी हो सके।
कोल इंडिया की अनुपयोगी जमीन को सरकार वापस ले और पट्टा वितरण सहित विकास कार्यों के लिए करें उपयोग
अनूपपुर जिले के अंतगर्त कोल इंडिया के द्वारा अधिग्रहित एवं लीज पर ली गयी अनुपयोगी जमीनों को वापस लेकर शासन के द्वारा विकास, निर्माण कार्य कराये जाने एवं आवासहीन एवं भूमिहीन हितग्राहियों को पट्टा प्रदाय किया जाए, जिले के अधिकांश नगरीय निकाय जो कोयलांचल क्षेत्र में स्थिति है। लगभग 50-60 वर्षों पूर्व अधिग्रहित एवं लीज पर ली गयी हजारों एकड जमीन कोलइंडिया के लिए वर्तमान समय मे और आने वाले भविष्य में भी अनुपयोगी है। परंतु यह जमीन नगर विकास, शासन के द्वारा संचालित कई योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री आवास, सडक निर्माण, खेल का मैदान, जिम घर सहित अन्य प्रकार के सार्वजनिक कार्यों बावत उपलब्ध नही हो पा रहा है। कोयलांचल क्षेत्र होने के कारण कोल इंडिया के द्वारा जमीनों को पूर्व में लीज पर ले लिया गया है या अधिग्रहित कर लिया गया है इसी वजह से जमीन उपलब्ध ना हो पाने के कारण जिले की निकायो डूमरकछार, बनगवा, बिजुरी, पसान, कोतमा, डोला सहित आस-पास के क्षेत्र में विकास कार्य प्रभावित/अवरुद्ध हो रहा है, सुनील चैरसिया ने मांग करते हुए कहा है कि इन जमीनों को सरकार वापस लेकर आवासहीन एवं भूमिहीन हितग्राहियों को पट्टा प्रदाय विकास कार्यों के लिए उपयोग में जमीनों को लिए जाने की ओर सकारात्मक पहल करे।
पलायन को रोकने के लिए क्षेत्र में उद्योग-धंधों की हो स्थापना
कोलांचल क्षेत्र में कोल इंडिया के श्रमिकों के सेवानिवृत्ति के उपरांत लगातार हो रहे पलायन को रोकने के लिए उद्योग धंधों की स्थापना करके आसानी से रोका जा सकता है ताकि सेवानिवृत होने वाले कर्मचारियों और उनके परिवारों को रोजगार मिल सके और यह परिवार इस क्षेत्र में स्थाई रूप से रह सके, उद्योग, कल कारखानों की स्थापना की पलायन को रोकने में इस क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होगा।