तीन साल तक अपने को बेटे के साथ स्वयं को घर में कैद रखने वाली महिला को सेक्टर दस जिला अस्पताल के डाक्टरों ने रोहतक स्थित पीजीआइ भेज दिया गया। डाक्टरों का कहना है कि महिला का लंबे समय तक इलाज चलेगा। इसलिए उसे पीजीआइ भेजा गया है।

महिला सीजोफ्रेनिया बीमारी से ग्रस्त

प्रधान चिकित्सा अधिकारी डा. रेनू सरोहा का कहना है कि महिला डाक्टरों की तरफ से बताया जा रहा है कि महिला सीजोफ्रेनिया बीमारी से ग्रस्त है। मानसिक बीमारी में मरीज अक्सर रिश्तेदारों, दोस्तों से दूरी बनाकर खुद को एक कमरे तक सीमित कर लेता है।मारुति कुंज कालोनी में रहने वाली मुनमुन मांझी ने अपने दस साल के बेटे के साथ तीन साल से घर में कैद कर रखा था। उन्हें डर था कि घर से बाहर निकलते ही कोरोना संक्रमण हो जाएगा।

पति को भी घर नहीं आने देती थी महिला

महिला दिमाग पर कोरोना संक्रमण का डर इस कदर हुआ कि अपने पति सुजान को भी घर में आने से रोक दिया था। सुजान कई माह तक अपने एक रिश्तेदार तथा दोस्तों के पास रहे। उन्हें लगा कि कुछ दिन बाद कुछ बदल जाएगा लेकिन उनकी पत्नी की यह समस्या बढ़ती गई। जब उनकी पत्नी उनके समझाने पर नहीं मानी, तो उन्होंने डेढ़ साल पहले अपने घर के पास एक कमरा किराये लिया और सुजान अपनी पत्नी तथा बेटे से वीडियो काल के द्वारा संपर्क रहते थे।

कोरोना के डर से महिला अपने बेटे को स्कूल ना भेजकर आ लाइन पढ़ाई कराती थी। स्कूल की फीस और मकान का किराया समय पर देती रही। रसोई का सामान आनलाइन मंगवाती थी और गेट पर सामान रखने को कहती थी। मुनमुन ने कोरोना के डर से गैस सिलेंडर तक मंगवाना बंद कर दिया था और हीटर पर खाना बना शुरू कर दिया था। उन्हें डर था कि गैस सिलेंडर देने वाला कर्मचारी आएगा, तो कोरोना संक्रमण हो जाएगा। अपनी पत्नी के व्यवहार को लेकर सुजान ने अपने ससुर को बताया लेकिन वह महिला को समझाने में नाकाम रहे।

"बच्चे को टीका लगने के बाद निकलूंगी घर से बाहर"

महिला का कहना था कि जब बच्चे को कोरोनारोधी टीका लग जाएगा, तब घर से बाहर निकालेगी। अभी उसके दस वर्षीय बच्चे को लगने वाला टीका नहीं आया है। अब करीब तीन साल के बाद सुजान ने पुलिस से संपर्क किया, तो पुलिस उन्हें परिवार का मामला कह कर लौटा दिया था। जिसके बाद सुजान की मुलाकात चकरपुर पुलिस पोस्ट पर नियुक्त एएसआइ प्रवीण से हुई, तो प्रवीण ने उनकी सहायता की।

बता दें कि सोमवार को पुलिस के साथ महिला-बाल विकास विभाग टीम और स्वास्थ्य टीम महिला के घर पहुंची थी। वहां पर महिला ने गेट नहीं खोला और महिला ने जबरन गेट खुलवाने पर आत्महत्या तक करने की धमकी दी। टीम वापस लौट आई और मंगलवार को टीम फिर पहुंची। टीम ने स्थिति को समझते हुए दरवाजा तोड़कर महिला तथा उसके बेटे को निकाल लिया। जिसके बाद सेक्टर दस के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। महिला को समझाया गया है कि कोरोना संक्रमण खत्म हो चुका है।