आषाढ़ मास की अमावस्या इस साल 28 और 29 जून दोनों दिन मनाई जा रही है। 28 जून, मंगलवार को श्राद्ध की अमावस्या और 29 जून, बुधवार को स्नान-दान की अमावस्या मनाई जाएगी। हलहारिणी अमावस्या किसानों के लिए बेहद शुभ मानी गई है। इसे फसल की बुआई के लिए बेहद शुभ माना जाता है। ये किसानों के लिए नए सीजन की शुरुआत का पर्व माना गया है। इस दिन किसान भगवान विष्णु, मां अन्नपूर्णा के साथ हल व खेती के अन्य उपकरणों की पूजा करते हैं।मान्यता है कि देवी-देवताओं की पूजा करने से सुख-समृद्धि आती है और फसल की पैदावार बढ़ती है। हलहारिणी अमावस्या के पहले किसान खेतों और घरों में पूजा करेंगे। इस दिन खेती से जुड़े सामान बेचने वाले लोग अपनी दुकानें सजाते हैं। इस दिन किसान बैलों से खेतों में काम नहीं करते बल्कि उन्हें चरने के लिए खुला छोड़ देते हैं। हरहारिणी अमावस्या वर्षा ऋतु से ठीक आरंभ होने से पहले आती है। इस दिन किसान ईश्वर से अच्छी फसल व अच्छी पैदावार की कामना करते हैं।
दो दिन मनाई जाएगी अमावस्या - ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, अमावस्या तिथि 28 जून को सूर्योदय के बाद सुबह 05 बजक 55 मिनट पर शुरू होगी। जो कि अगले दिन सुबह 08 बजकर 25 मिनट तक रहेगी।
अमावस्या के दिन शनि देव की पूजा - अमावस्या के दिन शनिदेव की पूजा खास मानी गई है। अमावस्या पर तिल के तेल से शनिदेव का अभिषेक करना चाहिए। इसके साथ ही शनि मंदिर में तेल का दीपक जलाना चाहिए।