नई दिल्ली । भारतीय और अमेरिकी सेनाएं अक्टूबर में उत्तराखंड के औली में सैन्याभ्यास कर चीन को कड़ा संदेश देंगी। भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच मिलिट्री एक्सरसाइज का 18वां संस्करण है। यह युद्धाभ्यास एक साल अमेरिका और एक साल भारत में होता है। बीते साल युद्धाभ्यास अमेरिका के अलास्का में किया गया था। इसीलिए इस साल भारत में होने जा रहा है।
खबरों के मुताबिक, रक्षा विभाग के एक सूत्र ने बताया कि दोनों सेनाओं के बीच यह युद्धाभ्यास 14 से 31 अक्टूबर तक होने वाला है। सूत्रों ने बताया कि युद्धाभ्यास का उद्देश्य भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच समझ, सहयोग और अंतर-संचालन को बढ़ाना है। भारत-अमेरिका रक्षा संबंध बीते कुछ सालों से मजबूत हो रहे हैं। जून 2016 में, अमेरिका ने भारत को "प्रमुख रक्षा भागीदार" नामित किया।
दोनों देशों ने पिछले कुछ सालों में महत्वपूर्ण रक्षा और सुरक्षा समझौते भी किए हैं, जिसमें 2016 में लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (एलईएमओए) भी शामिल है, जो उनकी सेनाओं को आपूर्ति की हथियारों की मरम्मत और पुनःपूर्ति के लिए एक-दूसरे के ठिकानों का उपयोग करने की अनुमति देता है और साथ ही साथ गहन सुरक्षा प्रदान करता है। दोनों सेनाओं ने 2018 में सीओएमसीएएसए (कम्युनिकेशंस कंपेटिबिलिटी एंड सिक्योरिटी एग्रीमेंट) पर भी हस्ताक्षर किए, जो दोनों सेनाओं के बीच अंतर-संचालन प्रदान करता है और अमेरिका से भारत को उच्च तकनीक की बिक्री का प्रावधान करता है।  उत्तराखंड के औली में हो रहा इस बार का युद्धाभ्यास इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उत्तराखंड के बाराहोती क्षेत्र में बीते साल सितंबर में चीन के सैनिकों ने नापाक हरकत की थी। चीनी सैनिक भारतीय सीमा में करीब 5 किमी तक अंदर घुस आए थे। हालांकि कुछ ही घंटों में ये सैनिक वापस लौट गए थे। बताया जाता है कि बाराहोती में एक ऐसा चारागाह है जिसे लेकर दोनों देशों के बीच विवाद है। ये चारागाह 60 स्क्वॉयर किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।