भोपाल । अभी तक थाने में एफआइआर या शिकायत दर्ज कराना टेढ़ी खीर माना जाता है। फिर जैसे-तैसे शिकायत दर्ज हो जाए तो केस में विवेचना कहां तक पहुंची ये जान पाना असंभव जैसा है लेकिन अब मध्यप्रदेश राज्य सूचना आयोग के निर्देश के बाद थाने में हर शिकायत का एक एंट्री नंबर उपलब्ध कराया जाएगा। इसका फायदा यह होगा कि लोग कभी भी शिकायत पर हुई कार्रवाई के बारे में जान सकेंगे। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने डीजीपी को आदेश जारी कर थानों में आने वाली हर शिकायत का रेकॉर्ड सुनिश्चित करवाने को कहा है।
रिकॉर्ड में नहीं लिखा गया
दरअसल सतना के कृष्णपाल दुबे ने रामपुर बाघेलान थाने में शिकायत की थी। आरटीआइ लगाकर मामले में दर्ज शिकायत की जानकारी चाही तो उन्हें जवाब मिला कि कोई शिकायत थाने को नहीं मिली। मामला एसपी कार्यालय पहुंचा। वहां से भी यही जवाब मिला। अंत में दुबे ने सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने जांच की तो पाया कि शिकायत थाने में आई थी। आवेदक के पास थाने में शिकायत देने की रिसीप्ट थी। उसे डायरी में नहीं लिखा गया था। न ही किसी रिकॉर्ड में दर्ज किया गया इसके चलते थाने में उस प्राप्त की गई शिकायत के बारे में कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं थी। इस प्रकरण में लोक सूचना अधिकारी के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की आयोग ने क्योंकि उसने सही जानकारी दी थी कि रिकॉर्ड थाने में उपलब्ध नहीं है। शिकायत लेकर उसे रेकॉर्ड पर नहीं चढ़ाने की गड़बड़ी करने वाले एएसआइ के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के आदेश जारी किए गए।
आदेश में कहा...
राज्य सूचना आयुक्त सिंह ने आदेश में कहा कि अक्सर लोग शिकायत थाने में दर्ज कराने के लिए परेशान होते हैं। सूचना आयोग के समक्ष कई ऐसे मामले आते हैं कि जहां नागरिक थाने में दर्ज अपनी शिकायत पर पुलिस द्वारा क्या कार्रवाई की गई है इसकी जानकारी आरटीआइ एक्ट के तहत मांगते हैं। सिंह ने कहा कि कई मामलों में थाने में रेकॉर्ड सही ढंग से मेंटेन नहीं करने की वजह से दर्ज की गई शिकायत की कोई जानकारी उप्लब्ध नहीं होती है। थाने में गायब होती शिकायत के रेकॉर्ड को बहुत सामान्य रूप से नहीं लिया जा सकता है।
सिंह ने साफ किया कि थाने में कई तरह की शिकायतें प्राप्त होती हैं कई बार आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी हुई गंभीर किस्म की शिकायतें भी आती हैं। इन शिकायतों को रिकॉर्ड पर दर्ज नहीं करने की लापरवाही को मान्य करना कानून व्यवस्था व सुरक्षा के लिए आत्मघाती सिद्ध होगा। इसीलिए आरटीआइ अधिनियम 2005 के अनुरूप थाने के थाने में आने वाली शिकायतें और उसके निराकरण में पारदर्शी व्यवस्था रखना बेहद आवश्यक है। रा ज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने आदेश में कहा कि थाने में प्राप्त शिकायतों की डायरी में एंट्री न करना व शिकायतकर्ता को नंबर उपलब्ध नहीं कराना हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन है।