नई दिल्ली । बिहार में एनडीए से अलग हो नीतीश कुमार नें महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार का गठन कर लिया और मंत्रिमंडल विस्तार भी हो गया है। मंगलवार को राज्यपाल फागू चौहान ने 31 लोगों को मंत्री पद की शपथ दिलाई है। मगर मंत्रिपरिषद गठन होने के बाद बीजेपी ने नीतीश सरकार पर धावा बोल दिया है। बीजेपी के राज्यसभा सांसद और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने मंत्रिमंडल विस्तार पर सवाल उठाते हुए इसे असंतुलित मंत्रिमंडल करार दिया है। उन्होंने कहा कि महागठबंधन सरकार में समीकरण से 35 प्रतिशत मंत्री बने हैं। एक ही जाति के आठ मंत्री बने हैं। तेली समाज-कानू समाज का कोई मंत्री नहीं बना है। वैश्य समाज से एक व्यक्ति को मंत्री बनाया गया है। राजपूत जाति का एक ही मंत्री बनाया गया है। मंत्रिमंडल विस्तार में कान्यकुब्ज और मैथिल ब्राह्मण की अनदेखी की गई है। जबकि एमवाई (मुस्लिम-यादव) समीकरण के तहत 13 मंत्री बनाए गए हैं।
उन्होंने सुरेन्द्र यादव, रामानंद यादव, ललित यादव जैसे नेताओं को मंत्री बनाए जाने पर उठाया सवाल। उन्होंने कहा कि लोग इनके नाम से कांपते हैं। वहीं, मंत्री बनाए गए कार्तिक सिंह बाहुबली अनंत सिंह के करीबी हैं। ऐसे लोगों को मंत्री बनाने से जनता में अच्छा मैसेज नहीं गया है। सुशील मोदी ने कहा कि विभागों के बंटवारे में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को झुनझुना थमा दिया गया है। जेडीयू ने गृह मंत्रालय और वित्त दोनों अपने पास रख लिया है। वित्त मंत्री हर विभाग की समीक्षा कर सकते हैं, लेकिन बाकी ऐसा नहीं कर सकते। तेजस्वी केवल अपने विभाग की समीक्षा कर सकते हैं।
रोजगार के मुद्दे पर बीजेपी सांसद ने कहा कि रोजगार और नौकरी में फर्क होता है। तेजस्वी यादव ने 10 लाख सरकारी नौकरियों की बात कही थी। रोजगार असंगठित क्षेत्र में भी सृजित किया जाता है। वहीं, मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी पर उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि उपेन्द्र कुशवाहा को हमलोग समझ रहे थे कि अपना वारिस बनाएंगे, लेकिन उन्हें नहीं बनाया।