उज्जैन ।   विक्रम विश्वविद्यालय के स्वर्ण जयंती सभागार में बुधवार को भारतीय ज्ञान परंपरा और भारतीय भाषा पर आधारित ‘उज्जैन शिक्षा समागम’ हुआ। मुख्य अतिथि उच्च शिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव थे। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का सिर्फ ज्ञानी होना ही काफी नहीं, चतुर होना भी जरूरी। उन्होंने महान सम्राट विक्रमादित्य की चतुराई का प्रसंग भी सुनाया। उज्जैन के कालभैरव मंदिर में प्रतिमा के मदिरा पीने, बोरेश्वर महादेव मंदिर में अर्पित जल सीधे पृथ्वी के गर्भ में जाने के रहस्य का वर्णन किया। 14 करोड़ रुपये से बनने वाले पुरातत्व संग्रहालय का नामकरण किया। कहा की अंतरराष्ट्रीय स्तर का ये संग्रहालय पुरातत्वविद पंडित श्रीधर वाकणकर के नंबर जाना जाएगा। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के कुलपति प्रो. प्रकाश मणी त्रिपाठी, विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान के जनरल सेक्रेटरी प्रो. नरेन्द्रकुमार तनेजा ने भी संबोधित किया।

राज्यपाल ने कहा - पढ़े, लिखे लोग गलती कर रहे, खो रही आत्मीयता

शिक्षा समागम में राज्यपाल मंगु भाई पटेल भारतीय संस्कृति को बचाने की अवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नए बच्चों को भारत का गौरवशाली इतिहास नहीं पता। भारत भूमि इतनी साधन, संपन्न थी की दूध की नदी बहती थी। आज जो परिस्थिति है, वो सभी जानते। राष्ट्रीय विचारधारा से जुड़कर काम तेजी से करना जरूरी है। आज आत्मीयता खो रही। महल में रहने वाला अपने पड़ोस की झोपड़ी में रहने वाले की सुध नहीं ले रहा। उसके सामाजिक, आर्थिक उत्थान पर ध्यान नहीं दे रहा। ऐसे में वसुधैव कुटुंब की अवधारणा साकार होती नहीं दिखाई देती। उन्होंने एक निजी विश्वविद्यालय का संस्मरण भी सुनाया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय का बहुत बड़ा, खूबसूरत कैंपस है और पास में झुग्गी झोपड़ी। विश्वविद्यालय के चेयरपर्सन से कहा था कि क्या आप इन झुग्गी बस्ती वालों की थोड़ी मदद कर सकते हैं। आज तक क्यों नहीं की। पढ़े- लिखे लोग भी जब गलतियां करते हैं तो अच्छा नहीं लगता। व्यवहार में सुधार लाने की अवश्यकता है। जो पढ़ा है, उसे आचरण में लाना जरूरी है। सभी को आत्मसम्मान से जीने का हक है। ऐसी शिक्षा और उसे व्यवहार में लाने की अवश्यकता है। आत्मीयता जगाना होगी। भावना अच्छी होगी तो 21वीं सदी में भारत अवश्य विश्व गुरु बनेगा। उन्होंने 27 जनवरी की दिल्ली में होने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "परीक्षा पे चर्चा" पर कार्यक्रम की जानकारी दी।

14 करोड़ रुपये से बनने वाले पुरातत्व संग्रहालय का भूमि पूजन किया

राज्यपाल और उच्च शिक्षा मंत्री ने विक्रम विश्वविद्यालय के 55 वर्ष पुराने पुरातत्व संग्रहालय को तोड़कर उसी स्थान पर 14 करोड़ रूपये से नए संग्रहालय का निर्माण कार्य शुरू करने को भूमिपूजन किया। उन्होंने कहा की 18 महीनों में संग्रहालय बनकर तैयार होगा।