मुख्यमंत्री की मंशा को पानी फेर रहे जिले के अधिकारी,भृष्टाचारियों को भृष्टाचार की खुली छूट पटना पंचायत में पुराने तालाब में बना अमृतसरोव - विजय उरमलिया की कलम से
अनूपपुर - एक तरफ जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातर प्रदेश को एक नया आयाम देने में लगे है और उनकी मंशा है कि प्रदेश स्वर्णिम ऊंचाइयों को छुए और विकास सिर्फ कागजों में सीमित न रह कर गांव के हर अंतिम छोर तक पहुंचे पर अनूपपुर जिले का प्रशासनिक अमला पूरी तरह निरंकुश हो चुका है खास तौर से पंचायती राज मामले में तो हालात बद से बदतर होते जा रहे है और जिला पंचायत से लेकर जनपद पंचायत तक कोई भी सरकारी महकमे का  अधिकारी जिम्मेदारी से कोसों दूर नजर आ रहे है,हालात तो दिनों दिन बिगड़ रहे है और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के अनूपपुर आगमन से लोगों को लगा था कि शायद कुछ बदलाव हो पर साहब भी सायद अपनी नौकरी पकाने की मंशा में है जिसका उदाहरण करपा पंचायत है जहां एक तरफ जनपद जिस रोजगार सहायक को निलंबित कर जनपद अटैच किया उसी को साहब ने पुरुस्कृत करते हुए करपा की जिम्मेदारी सौंप दी |

पटना पंचायत में अमृतसरोवर तालाब के नाम पर लाखों का घोटाला 
जनपद पुष्पराजगढ़ के ग्राम पंचायत पटना में तत्कालीन उपयंत्री दिवाकर अहिरवार ने अमृतसरोव तालाब सेंगशन कराते हुए अपने चहेते ठेकेदारों को पुराने तालाब में अमृतसरोव तालाब बनाने उतार दिया और सरकार के नियम कानून को दरकिनार करते हुए पुराने तालाब में ही अमृतसरोवर तालाब का निर्माण कर सरकारी खजाने को लूटने का काम किया गया |
दो दशक पुराने तालाब में अमृतसरोव
हम ने जब पटना के लोगों से बात की तो उनका कहना था कि जिस तालाब में अमृतसरोव तालाब बनाया गया वो तालाब  बीसों साल पुराना है अब साहबान लोग चाहते तो तालाब को या तो पुष्कर धरोहर के तहत या फिर जीर्णोद्धार के नाम पर कार्य कर के काया कल्प कर लेते और इस तालाब में पैसे भी उतने ही खर्च हुए जितने जीर्णोद्धार में खर्च होते पर मामला तो असल मे यह है कि साहबो और ठेकेदारों की चांदी कहाँ से होती अगर तालाब जीर्णोद्धार का कार्य करते पर उन्हें तो तालाब के नाम पर लाखों रुपये डकारने की मंशा थी फिर भला सरकारी खजाने को कौन लूटना नही चाहता जो ये बख्श देते
किनको किनको हुआ भुगतान
इस अमृतसरोव निर्माण के नाम पर चौदह लाख पच्चासी हजार स्वीकृत हुए थे जिसमें से पंद्रहवें वित्त से एक लाख इक्कत्तीस हजार रुपये मशीन से खुदाई के नाम पर भुगतान होना था इस पूरे खेल में तत्कालीन उपयंत्री दिवाकर अहिरवार,और उनके चहेते ठेकेदार एन ए टेडर्स,ड़ी एस टेडर्स को सहित कई अन्य फर्मो को लाभ पहुंचाने और अपना मोटा कमीशन पाने के लिए पुराने तालाब में ही अमृतसरोव का काम करा कर राशि का भुगतान किया गया,
अब सोचिये क्या इन गैर जिम्मेदार अधिकारियों से विकास की कोई उम्मीद बचती है या फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री की को मंशा है वो कही पूरी होती दिखाई देती है चूंकि इस भृष्टतंत्र मे जब बाड़ ही खेत खाने में आमादा हो जाये तो भला फसल की उम्मीद बेमानी ही होगी,
दिवाकर अहिरवार का विवादित कार्यकाल
उपयंत्री दिवाकर अहिरवार जैतहरी से लेकर  पुष्पराजगढ़ तक जहां जहां की।पंचायतों की जिम्मेदारी इनके कंधों पर दी गई साहब अपनी पूरी ठेकेदारों की टीम साथ ले कर चले औऱ उस पंचायत का बेड़ा गर्क करने में कोई कोर कसर नही छोड़ी नतीजा सामने है अपने कार्य क्षेत्र में लगातार भृष्टाचार करने पे उतारू है और इन्हें रोकने वाले जिम्मेदार जिला पंचायत के सीईओ अभय सिंह  ओहरिया से जब हमने तालाब निर्माण की गड़बड़ी के बारे में बात की तो साहब ने हमे पुष्कर धरोहर तालाब बता अपने भृष्ट अधिकारियों को क्लीन चिट देने का प्रयास किया और अब हम ऐसे गैर जिम्मेदार अधिकारी से इन मामलों में बात करना मुनासिब भी नही समझते चूंकि जब इन्हें पता ही नही की क्या मामला हैओ तो बात करने से होगा वही ढाक के तीन पात तो साहब आप बुरा मत देखो,बुरा मत सुनो,बुरा मत कहो चाहे आप के भृष्टाचारी सरकारी खजाने को पूरी तरह लूट ले और हम आप तक बुरा पहुंचाते रहेंगे, दिखाते रहेंगे,सुनाते रहेंगे आगे आप की मंशा