बिना किसी नियम कानून के अंत्योदय समिति को कोतमा में मिला कार्यालय जनता मांग रही जवाब जिले की अन्य नगर पालिका नगर परिषदों को मिली चुनौती

बिना किसी नियम कानून के अंत्योदय समिति को कोतमा में मिला कार्यालय जनता मांग रही जवाब
जिले की अन्य नगर पालिका नगर परिषदों को मिली चुनौती
इन्ट्रो- भाजपा की नई सरकार के दबाव या यह कहा जाए कि अपनी लूट घासोट की दुकान चलाने के लिए भाजपा के नेताओं को मैनेज करने की प्रक्रिया के तहत कोतमा में कांग्रेस की नगर पालिका सरकार ने अंत्योदय समिति के अध्यक्ष को नगर पालिका परिषद में कार्यालय आवंटित किया है। जिसको लेकर जिले भर में जहां राजनीतिक सर गर्मी बढ़ गई है वहीं यह भी कहा जा रहा है कि कोतमा नगर पालिका के इस अवैधानिक कदम से जिले भर के अन्य नगर पालिका और नगर परिषदों के सामने अंत्योदय समिति के अध्यक्षों को कक्ष आवंटित करने की नई चुनौती खड़ी हो गई है तो गलत नहीं है।
(राम भैया)
अनुपपुर। कोतमा के पल-पल बदलते राजनीतिक समीकरण के बीच कुछ ना कुछ ऐसा जरूर होता रहता है जो जनता में चर्चा का विषय बन जाता है। यहां की राजनीतिक सर गर्मी भाजपा के विधायक दिलीप जायसवाल के मंत्री बन जाने के कारण एक और जहां बढ़ी हुई है वहीं दूसरी ओर कोतमा नगर पालिका की कांग्रेसी सरकार को लेकर भी तरह-तरह की अफवाहें सामने आ रही है। इसी बीच कोतमा की कांग्रेस की नगरीय सरकार ने अंत्योदय समिति के अध्यक्ष विजय पांडे को नगर पालिका परिषद में कार्यालय आवंटित करके एक नए विवाद को खड़ा कर दिया है और इस विवाद के कारण जिले के अन्य नगर पालिका और नगर परिषदों के सामने अपने-अपने अंत्योदय समिति के अध्यक्षों को नगर पालिका परिषद में कार्यालय देने का दबाव झेलना पड़ रहा है। फिलहाल यहां पर यह बता दिया जाए की नगर पालिका एक्ट में कहीं भी इस बात का उल्लेख नहीं है कि अंत्योदय समिति के अध्यक्ष को नगर परिषद में कार्यालय उपलब्ध कराया जाए और ना ही
ऐसा कोई आदेश मध्य प्रदेश के नगरी निकाय विभाग से जारी किया गया है इसके बावजूद कोतमा नगर पालिका ने किस अधिकार के तहत अंत्योदय समिति के अध्यक्ष को कार्यालय उपलब्ध कराया है इस सवाल का जवाब जानने के लिए कोतमा क्षेत्र की जनता आतुर है लेकिन किसी भी जिम्मेदार के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं है।
मंत्री और भाजपा को मैनेज करने के लिए सब कुछ जायज
अंतोदय समिति के अध्यक्ष को कार्यालय आवंटित करने के सवाल को लेकर जब कोतमा नगर पालिका के मुख्य नगर पालिका अधिकारी से सवाल किया गया तो उनका कहना था कि अंत्योदय समिति के अध्यक्ष के द्वारा कोई लिखित आवेदन नहीं किया गया था कक्ष खाली था इसलिए उन्हें आवंटित कर दिया गया। कोतमा नगर पालिका के मुख्य नगरपालिका अधिकारी का यह बयान ही यह बताने के लिए काफी है कि उक्त अधिकारी से किसी भी प्रकार के नियम कानून के तहत कार्य करने की आशा करना बेकार है वैसे भी यह अधिकारी अपनी मनमानी और भ्रष्टाचार के कारण जिले में सबसे ज्यादा विवादित और चर्चित है। वही कोतमा के अंदरूनी सूत्रों की माने तो प्रदेश सरकार के मंत्री और कोतमा विधायक को मैनेज करने के लिए सारी नियम कानून को तक पर रखकर जिस तरह से अंत्योदय समिति के अध्यक्ष को कार्यालय आवंटित किया गया है वह इस बात का प्रमाण है कि यह सब कुछ मैनेज करने के लिए किया गया। फिलहाल यहां पर कांग्रेस की नगरीय सरकार है और यही नहीं यह कांग्रेस की नगरीय सरकार भी भाजपा के साथ गाहे बगाहे खड़ी नजर आ रही है। ऐसे में अगर यह कहा जाए की अपने भ्रष्टाचार के काले कारनामों को सत्ता का संरक्षण प्राप्त करने के लिए मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने कोतमा अंत्योदय समिति को कार्यालय आवंटित किया है तो गलत नहीं है।
अनूपपुर नगर पालिका में खाली कराया जा चुका है अंत्योदय समिति से कार्यालय
यहां पर विशेष उल्लेखनीय तथ्य है कि नगर पालिका और नगर परिषदों के चुनाव के बाद कई नगर पालिका और नगर परिषद क्षेत्र के अंत्योदय समिति के अध्यक्षों ने अपनी अपनी नगर पालिका से कार्यालय की मांग की थी। यही नहीं अनूपपुर नगर पालिका के अंत्योदय समिति के अध्यक्ष प्रवीण सिंह ने जो अनूपपुर नगर पालिका के पार्षद भी हैं उन्होंने एक कक्ष में अपना कार्यालय खोल भी लिया था जहां पर उनके नाम का साइन बोर्ड तक टागा जा चुका था लेकिन इस बात की शिकायत होने पर उस समय नगरपालिका की मुख्य नगरपालिका अधिकारी और एसडीएम ने नियम कानून का हवाला देकर अंत्योदय समिति से उक्त कार्यालय खाली करा लिया था। अब ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि कोतमा नगर पालिका के मुख्य नगरपालिका अधिकारी ने केवल मंत्री जी को खुश करने के लिए जिस तरह से मनमानी की है उससे जिले भर के नगरपालिका और नगर परिषदों के सामने एक नई चुनौती अंत्योदय समिति के अध्यक्षों के रूप में सामने है जिसको लेकर अब तरह-तरह के सवाल खड़े हो रहे है।