*अनूपपुर के पब्लिक स्कूल मे नहीं खत्म हुआ किताबों का बाजार*

*अनूपपुर के पब्लिक स्कूल मे नहीं खत्म हुआ किताबों का बाजार*
मध्य प्रदेश सरकार ने निजी स्कूल विनियामक अधिनियम लागू कर यह अनिवार्य रूप से कह दिया की कोई भी स्कूल अपने यहां व्यावसायिक गतिविधियां संचालित नहीं कर सकता है। जिसके बाद अनूपपुर में भी शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में खुली दुकानों को बंद करने के लिए अभियान चलाए गया , अभियान के बावजूद जिला मुख्यालय अनूपपुर में ही जिला जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से महज कुछ ही दूरी पर पब्लिक स्कूल सरकार के निजी स्कूल विनियामक अधिनियम को दरकिनार कर प्राइवेट पब्लिशर्स प्रकाशित पुस्तकें अपने यहां से बेच रहे हैं |
अनूपपुर / शासन -प्रशासन के लाख कोशिश के बावजूद पब्लिक स्कूल नए सत्र में स्टूडेंट्स के बैग का बोझ तो बढ़ा ही रहे हैं, पैरेंट्स की जेब भी काट रही है। पहली से 8वीं क्लास तक के लिए सरकार ने जितनी किताबें तय की हैं, स्कूलों ने उससे ज्यादा की लिस्ट थमा दी है। यही नहीं, पैरंट्स को किताबों से लेकर ड्रेस और तक स्कूलों से ही लेना अनिवार्य कर रखा है। स्कूल इनकी कीमत बाजार से ज्यादा वसूल रहे हैं। मामला जिला मुख्यालय अनूपपुर स्थित एपीएस स्कूल का है जहाँ पर विद्यालय प्रबंधन द्वारा कक्षा 1 से लेकर पांच के बच्चों को प्राइवेट पब्लिकेशन नबोध की पुस्तके विद्यालय कैंपस के अंदर से ही पेरेंट्स को बेची जा रही हैं
*आदेश का पालन नहीं*
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय अनूपपुर से जिले भर की प्राइवेट विद्यालयों में विभिन्न खामियो की जांच करने व उन पर कार्यवाही करने का खूब ढिंढोरा पीटा गया, लेकिन उनकी कार्यवाही की पोल जिला मुख्यालय के कोतमा रोड स्थित एपीएस स्कूल ने खोल दी उन्होंने बता दिया कि स्कूलों में किताब बेचने का गोरख धंधा अभी बंद नहीं हुआ है, हम स्कूल में बेहतर शिक्षण के नाम पर किताब बेचेंगे जबकि हाईकोर्ट का आदेश है कि स्कूल केवल एनसीईआरटी की किताब लगाएं। अगर टीचर्स को लगता है कि प्राइवेट पब्लिशर्स की किताब जरूरी है तो स्कूल या टीचर खुद खरीदकर पढ़ाएं। स्पष्ट गाइडलाइन है। लेकिन स्कूल पैरंट्स-बच्चों दोनों के साथ गलत कर करते हैं।
*1865 से लेकर 2500 तक की पुस्तकों का सेट*
दोगुना कीमत पर स्कूल प्रबंधक पुस्तकों को बेच रहे है जहाँ
एनसीईआरटी के पहली से 8वीं क्लास के सेट 285 रु. से 790 रु. के मिलते हैं। यही नहीं, किसी ऑनलाइन स्टोर से इन्हें मंगवाने पर 5 से 10% की छूट है। वहीं एपी एस स्कूल नबोध प्राइवेट पब्लिशर्स की किताब के सेट कक्षा एक की 1865 रूपए तो अन्य कक्षाओं की औसतन 2500रूपए तक में बेच रहे हैं । वही सूत्र बता रहे हैं कि स्कूल प्रशासन हर साल अपडेशन के नाम पर किताबों में थोड़ा चेंज कर देते हैं। ऐसे में स्टूडेंट्स पुरानी पुस्तक का इस्तेमाल नहीं कर पाता। पैरंट्स की मजबूरी होती है कि वह नई किताब खरीदे।
*प्राइवेट स्कूलों के लिए नई गाइडलाइन जारी*
सरकार के आदेश पर अनूपपुर कलेक्टर ने सभी प्राइवेट स्कूलों के लिए एक गाइडलाइन जारी की थी । गाइडलाइन के तहत कोई भी प्राइवेट स्कूल 2 साल से पहले कोर्स, स्कूल यूनिफॉर्म, किताबें और सिलेबस नहीं बदल सकता। इसके साथ ही उन्हें यूनिफॉर्म की जानकारी समेत टाई बेल्ट और जूतों के नमूने पब्लिक डोमेन में अपलोड करने होंगे। इसके अलावा स्कूलों को यूनिफॉर्म बदलने से पहले जिला शिक्षा अधिकारी को कारण बताकर आवेदन देना होगा। कलेक्टर की मंजूरी के बाद ही बुक यूनिफॉर्म या शैक्षिक सामग्री बदली जा सकेगी। लेकिन अनूपपुर के पब्लिक स्कूल में सारे नियम कानून को दरकिनार कर विद्यालय को संचालित किया जा रहा है |
हम आई बी एन से प्रमाणित पुस्तकों को विद्यालय से दे रहे हैं | अगले साल हम एनसीईआरटी की बुक लागू करेंगे
एन के पाण्डेय
स्कूल प्रबंधक
अनूपपुर पब्लिक स्कूल
*मैं अभी कार्यवाही करवाता हूं*
रमेश सिंह धुर्वे
जिला शिक्षा अधिकारी अनूपपुर