कौन बिका परसेल कला में,खनिज विभाग या सभी जिम्मेदार,बायोस्फेयर क्षेत्र में किसके संरक्षण खुली खदान,जेठू सेठ के काले कारनामो की लंबी फेहरिस्त - विजय उरमलिया की कलम से

कौन बिका परसेल कला में,खनिज विभाग या सभी जिम्मेदार,बायोस्फेयर क्षेत्र में किसके संरक्षण खुली खदान,जेठू सेठ के काले कारनामो की लंबी फेहरिस्त
अनूपपुर - जिले का खनिज अमला ईमानदारी की ढींगे हांकता है और उसके सभी जिम्मेदार अपने आप को दूध का धुला हुआ बताने में आमादा रहते है पर धरातल पर पिक्चर इसके उलट है और अब बताये जिला खनिज विभाग की जेठू सेठ उर्फ़ जयप्रकाश शिवदसानी के सामने किसने घुटने टेके या अपनी कीमत लगा कर प्रतिबंधित एरिया में खदान संचालित करने की परमिशन दी,आखिर खनन माफिया जेठू सेठ ने पूरे सिस्टम की क्या कीमत अदा की इस खदान को खोलने के एवज में ये तो साफ़ है की कुछ न कुछ तो गलत तरीके से जिममज़दारों ने किया
वन विभाग की रिपोर्ट से हुआ बड़ा खुलासा
दरसल कार्यालय वनमण्डलाधिकारी अनूपपुर वनमण्डल अनूपपुर कलेक्टर को दिनांक 16/10/2015 को पत्र क्रमांक/मा०चि०/2015 में लिखे पात्र में लिखा की 5 हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल के गौण खनिज की पर्यावरण अनुमति के लिए मापदण्ड अनुसार सरस्वती माइनिंग एण्ड क्रेसिंग परसेल कला का आवेदन दिनांक 14/8/2015 पत्थर उत्खनन पट्टा के लिए आवेदन किया गया परसेल कला के आरजी खसरा न० 467,468 रकवा 2.213 हे० आवेदन दिया गया और जाँच में ये पाया गया की जिस जगह खनन माफिया खदान खोलने की अनुमति मांग रहा है उससे ठीक कुछ ही किलोमीटर में बायोस्फेर क्षेत्र लगता है अतः वन विभाग ने यहाँ खदान खुलने की अनुमति देने से अस्वीकार कर दिया इस पत्र के बिंदु क्रमांक तीन क्या 10 किलोमीटर की परिधि में कोई घोषित जैविक क्षेत्र स्थति है जवाब में साफ लिखा गया हाँ आगे डिटेल में विवरण कुछ इस प्रकार से लिखा गया की अचानक मार अमरकंटक वायोस्फेयर रिजर्व क्षेत्र से पांच किलोमीटर की दुरी पर है अतः पर्यावरण स्वीकृति की अनुशंसा नहीं की जाती है
साथ ही एक बार फिर इस पात्र के आखरी में लिखा गया की पर्यावरण स्वीकृति नहीं दी जा सकती
अब खनिज विभाग ये बताये की आखिर वहां खदान की अनुमति कैसे दे दी और अगर पर्यावरण स्वीकृति आधार का कोई दस्तावेज लगा तो फिर यह फर्जी दस्तावेज किसने और कैसे बनाये या फिर खनिज विभाग ने इस पात्र को दरकिनार करते हुए जेठू सेठ के आगे नतमस्तक हो कर यहाँ के जल जंगल और जीवों को खतरे में डाल दिया और पता नहीं जिले में इस तरह से कितनी अवैध खदाने इस खनिज विभाग के संरक्षण में चल रही है और इस पात्र के सामने आने के बाद तो ये साफ हो गया की खनिज विभाग ऐसे खनन माफियाओं को पालने पोषने में कोई कसर नहीं छोड़ता जो उन्हें समय समय पर चढ़ोत्तरी चढ़ाते रहते है
जरा भी ईमानदारी बची हो तो खदान बंद कर कुर्क करो क्रेशर
पर्सेल कला में संचालित अवैध खदान जिसको आपने वैधानिक मंजूरी गलत तरीके से दी है या तो ये साफ़ करिये की क्या बायोस्फेर क्षेत्र खिसक कर दूर चला गया या जब 2015 में स्वीकृति के लिए साफ़ मना कर दिया गया तो ये खदान 2015 में ही कैसे स्वीकृति हो गई अपने आप में बड़ा सवाल है और अब अगर ईमानदारी की ढींगे हांकने वाले विभाग के पास जरा सी भी ईमानदारी वाली ढींगे हाकने के आलावा कुछ बचा हो ते जेठू सेठ उर्फ़ खनन माफिया जयप्रकाश शिवदासानी की इस खदान की पहले तो भौतिक सत्यापन करो और जिस कदर खदान की जगह खाई खोदी गई उसके ऊपर नियमतः कार्यवाही वायोस्फेर क्षेत्र में संचालि क्रेशर और खदान को सीज करते हुए कानूनी कार्यवाही कर दिखाए अपनी ईमानदारी अन्यथा स्वीकारयोक्ति तो है ही की आप जैसे जिम्मेदारों ने ही इस जिले को बंजर बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और आप जैसे ईमानदारों ने ही इस जिले की मटियामेट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी दुर्भाग्य तो इस जिले का यह है की यहाँ की राजनैतिक शून्यता भी आपके कदमो में पड़ी दिखाई देती है वर्ना जिस कदर आप के विभाग में भृष्टाचार गलवहियाँ कर रहा है इस विभाग की जिम्मेदारी किसी और को सौंप देनी चाहिए थी और अगर समय रहते खनिज विभाग पर नकेल नहीं कसी गई तो अनूपपुर जिला दूसरा बेल्लारी बनने की ओर अग्रसर है