बरसात और प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए विद्युत विभाग के पास नही कोई इंतजाम

बरसात और प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए विद्युत विभाग के पास नही कोई इंतजाम
अनूपपुर/ इस वर्ष बरसात आगमन पर तेज आंधी का चलना, पेड-पौधे गिरना, टीन-टप्पर होर्डिंग उड़ना, और उस पर बिजली का गुल हो जाना, जनता के लिए समस्या है। इससे विद्युत विभाग की चुस्ती और फुर्ती का पता चलता है कि यह पहले से तैयार नही रहते हैं। पूरे शहर की लाइट पूरे गर्मी के मौसम में जिला मुख्यालय में गुल रहता था, तो यह कह कर विद्युत सप्लाई काटी जाती थी कि मेंटेंशन का कार्य किया जा रहा है। लेकिन बरसात के सीजन में अघोषित बिजली कट होने से विद्युत विभाग के मेंटेंशन कार्य की पोल खोलते हुए सवालिया निशान लगाता है कि मेंटेंशन कार्य के लिए विद्युत सप्लाई बाधित कर जनता सहित व्यापारियों को परेशान किया जा था। तथा जब जिला मुख्यालय में विद्युत विभाग की इस कदर नादिरशाही जारी है और आँख मिचौली करने में आतुर है तो देहातों की स्थिति क्या होगी ? यह सहज ही पता चलता है। इससे बिजली विभाग की खामिया उजागर होती है। रोज वायर टूटता हैं, रोज ट्रांसफार्मर उड़ता है, रोज कहीं न कहीं फाल्ट होता है। प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं है। कहीं खम्भा गिर जाता है, कहीं तार टूटने से मबेशी और आदमी झुलस जाते हैं। इनके लिए, सब कुछ मुकद्दस हैं, इन्हें मुआवजा देना नहीं पड़ता लोग मरते हैं तो मरे। जरा सी भी हल्की सुर सुरी चली. बिजली गुल हो जाती है। जिला मुख्यालय से 2 किलो मीटर की परिधि में बसे पुरानी बस्ती जिला मुख्यालय अनूपपुर के अन्तर्गत नहीं आता, शायद इसीलिए यहां दिन भर और रात भर में 10 बार बिजली गुल होती है। क्यों ? लेकिन बिल चुकाने में एक दिन भी लेट हुआ तो फाइन भरना पड़ता है, और बिजली काट दी जाती है। यह उनके नियम में है. हमारे नियम में बिजली लगातार पाना नहीं है। इस बरसाती वाली भीषण गर्मी में लाइट का गुल हो जाना लोगों के लिए परेशानी का सबब तो है ही, लेकिन इस ओर विद्युत विभाग को कारगर कदम उठाना चाहिये। ताकि प्राकृतिक आपदा के अलावा अन्य कारणों से भी बिजली गुल न हो। इसके लिए प्रशासन को पहले तैयार रहना चाहिये। खासकर शहर की बिजली व्यवस्था को दुरूस्त करने के लिए प्रभावी कदम उठाना चाहिये।