जिला पंचायत का यह आदेश अपने आप मे बेमानी,23-10-2024 को धिरौल सचिव निलंबित 14 -11-2024 को उसी पंचायत में बहाली खड़े कर रहे कई सवालिया निशान 
अनूपपुर - ग्राम पंचायत धिरौल में फैले भृष्टाचार से कोई अंजान नही है और सब को यह भलीभांति यह भी मालूम है की पंचायत में सचिव कोई भी रहे पंचायत उप सरपंच प्रवीण सिंह द्वारा संचालित होती है सचिव सरपंच तो महज चिड़िया बैठाने के लिए है और ऐसा नही की इसकी भनक जिम्मेदारों को नही है जिसका जीता जागता उदाहरण जिला पंचायत तन्मय वशिष्ट के द्वारा दिनांक 23,10,2024 को एक आदेश जारी करते हुए पत्र जारी किया गया जिसमें आदेश क्रमांक 2533/जि.प./पचा.प्रको./2024 में स्पष्ट किया गया था कि वहां पदस्थ सचिव शिशुपाल के द्वारा पदीय दायित्वों का निर्वहन न करने,एवं शासकीय कार्यों में लापरवाही बरतने के चलते तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है इस आदेश को अभी बीस दिन भी नही हुए थे कि जिला पंचायत से एक और आदेश जारी होता है जिसमे पत्र क्रमांक/2787/जि.प./पंचा.प्रको./2024 को आदेश जारी करते हुए यह कहा गया कि धिरौल पंचायत में सचिव पद रिक्त होने के चलते शासन द्वारा संचालित समस्त कार्य प्रभावित होने एवं प्रशासनिक व्यवस्था को दृष्टिगत रखते हुए मध्यप्रदेश पंचायत सेवा (अनुशासन तथा अपील )नियम 1999 भाग -2 नियम - 4 (5)(ग) के तहत कार्यालयीन आदेश क्रमांक/2533/जि.पा./पंचा. प्रको./2024 अनूपपुर दिनांक 23,10,2024 को प्रतिसंह्रत किया जाता है यह आदेश तत्काल प्रभावशील होगा 

अब सबसे गौर करने वाली बात यह है कि 12,11,2024 को एक आदेश जारी किया जाता है जिसमे बिरसमुंडा जयंती कार्यक्रम के लिए 14,11,2024 को ग्राम सभा योजित कराने के लिए जनपद जैतहरी में अटैच सचिव चिंतामणि नायक को धिरौल की जिम्मेदारी सौंपी गई और ऐसे और कुछ सचिव है जो जनपदों में अटैच है उनको शासन द्वारा संचालित कार्यों के प्रभावित न हो प्रशासनिक व्यवस्था बनी रहे इसके लिए धिरौल में नियुक्त न करते हुए लापरवाह,उपसरपंच के इशारों पर फर्जी बिलों का भुगतान करने वाले सचिव शिशुपाल को दोबारा जिम्मेदारी धिरौल पाँचयत की देना अपने ही आदेश जो दिनांक 23,10,2024 को किया गया था बताता है कि वो आदेश गलत था और सचिव सही इसी लिए जिला पंचायत को बीस दिन भी नही बीते और अपने किये हुए आदेश को वापस लेना पड़ा, और जो उप सरपंच प्रवीण सिंह चाहते थे कि सचिव ऐसा हो जो उनके कहे अनुसार चिड़िया बैठता रहे और वो भृष्टाचार करते रहे वही हुआ
अब जिला पंचायत के सीईओ तन्मय वशिष्ट के इस आदेश ने उनके अपने ही पूर्व में किये गए आदेश पर सवालिया निशान खड़े कर राह है चूंकि जिला पंचायत के सीईओ तन्मय वशिष्ट की कार्यप्रणाली से जनपद से लेकर पंचायत तक सभी भली भांति परिचित है पर इस मामले में आखिर ऐसा कौन सा दबाव था कौन है जो सीईओ तन्मय वशिष्ट को अपना ही आदेश वापस लेने को मजबूर कर दिया चूंकि इतना तो हम भी कह सकते है पूरी जिम्मेदारी के साथ कि ये मामला लेनदेन से जुड़ा तो नही है चूंकि सीईओ की कार्यप्रणाली अब तक बांकी सीईओ से अलग रही है तो केवल और केवल एक रास्ता बचता है राजनैतिक दबाव तो अब सवाल यह भी उठना लाजमी हो जाता है कि आखिर जिले का वो कौन सा नेता है जो ये चाहता है कि धिरौल पंचायत में पसरे भृष्टाचार की न जांच हो और लगातार भृष्टाचार होता रहे अगर ऐसा कोई राजनीतिक दबाव के चलते ऐसा आदेश वापस लेना पड़ा तो यह मामला बहोत ही गंभीर है जबकि कई सचिव कई कई  महीनों से जनपदों में अटैच है उनको यहां पदस्थ किया जा सकता था उन पर भी प्रशासन को भरोसा नही है तो कई पंचायतों में कई सचिव अपने पंचायत के अलावा प्रभार में दूसरी पंचायतों में है तो फिर धिरौल में शिशुपाल ही क्यों किसी अच्छे सचिव को भी वहां का प्रभार दिया जा सकता था पर शायद राजनैतिक पहुंच शिशुपाल के लिए वर्दान साबित तो हुई पर बीस दिनों में अपने ही आदेश को यह कह कर वापस लेना कि व्यवस्थाएं बिगड़ रही थी ये तर्क विहीन और भृष्टाचार को बढ़ावा देने वाला आदेश है