प्रशासन की बेरुखी और मंत्री की खैरात पीड़ित को नही मिल रहा न्याय,खैरात बांटने वाले नही उठा रहे फोन,अमन नामदेव की पोस्ट ने खोला मुर्दे सिस्टम का राज- विजय उरमलिया की कलम से

प्रशासन की बेरुखी और मंत्री की खैरात पीड़ित को नही मिल रहा न्याय,खैरात बांटने वाले नही उठा रहे फोन,अमन नामदेव की पोस्ट ने खोला मुर्दे सिस्टम का राज- विजय उरमलिया की कलम से
अनूपपुर - कहते है जब सत्ता और प्रशासन माफ़ियाओं के दलाली पर उतर आये तो पीड़ित को सिर्फ खैरात देने की होड़ तक न्याय सिमट कर रह जाता है,आज फेसबुक पर अमन नामदेव की आईडी से एक पोस्ट ने जैसे झकझोर दिया कि गई पोस्ट में लिखा गया कि अमन नामदेव के स्वास्थ्य में काफी ज्यादा सुधार नही दिख रहा और इलाज के नाम पर सिर्फ बॉटलें चढ़ाई जा रही है और हम अमन को दूसरे हॉस्पिटल में शिफ्ट करना चाहते है किंतु हॉस्पिटल छुट्टी देने में आनाकानी कर रहा है और अब तो न ti फ़ोन उठा रहे, न एसडीएम साहब न कलेक्टर और न ही खैरात देने गये विधायक जी फोन उठा रहे है सवाल यह उठता है अगर पीड़ित का फोन किसी को नही उठाना था तो हमदर्दी स्वरूप खैरात क्यों बांटी मरने देते उसको उसके हाल पर,वही इस मामले में कोतमा में एक आवाज उठी थी और लगा था कि कोतमा के इस लाल को यहां के लालों का साथ मिलेगा पर राजनैतिक दृष्टिकोण से पीड़ित हल्ला धारी नेता मंत्री के आगमन के बाद से दुम दबा कर बैठ गये और अब तो ऐसा प्रतीत होने लगा है कि मंत्री ने अपने पार्टी के नेताओ को इस मामले में शांत रहने की नसीहत जैसे दे दी गई है और अब वो बेगुनाह ज़िन्दगी और मौत की जंग अब अकेले लड़ने को मजबूर है,गांधी चौराहे पर ढींगे पीटने वाला प्रशासन भी अब मौन धारण कर लिया है सूत्र तो बताते है कि जो मंत्री महोदय ने खैरात स्वरूप पीड़ित को न्याय बतौर 50 हजार दिए वो भी शराब ठेकेदार का पैसा था और ठेकेदार ने पीड़ित के लिए आबकारी विभाग में वो पैसा भेजा था जहां से एक पटवारी महोदय उठा कर उस पैसे को एसडीएम महोदय तक पहुंचाए वहां से पैसा नगरपालिका अध्यक्ष तक पहुंचा जहां से मंत्री महोदय ने न्याय स्वरूप 50 हजार की खैरात पीड़ित परिवार को दे कर दूसरे के घी से हवन तो कर लिया पर मंत्री महोदय इस परिवार को न्याय और ईलाज की जरूरत है और पीड़ित की इस पोस्ट ने आपके और आपके प्रशासन पर सवालिया निशान खड़े कर दिया है,दुखद पहलू तो यह है कि कोतमा में कोई भी व्यापारी वर्ग ऐसा नही है,समाजसेवी वर्ग ऐसा नही है जो पीड़ित के ईलाज के लिए मंत्री के खैरात का इंतजार करें सब को भगवान ने दिया और लोगों ने सड़को पर उतर बताया कि हम जिंदा है पर अमन की इस पोस्ट ने यह साबित कर दिया कि सब राजनैतिक लोग है किसी की मौत पर हल्ला,किसी की आर्थिक स्थिति पर हल्ला किसी की मजबूरी को सड़क पर तार तार तो करेंगे पर पीड़ित की व्यवस्था की जानकारी लेना किसी के बूते की बात नही,गांधी चौराहे पर लोगों ने प्रशासन से कहा था कि रोज उसके स्वास्थ्य की जानकारी चाहिए किसको कितनी जानकारी किसने दी सार्वजनिक करना चाहिए दुर्भाग्यपूर्ण है कोतमा की राजनीति जो अपने अपने फायदे के हिसाब से की जाती है पर अमन की आह उन सब के लिए श्राप है जिन्होंने उसे यह ढाढस बधाया था कि हम आपके साथ है और जब आज फिर वो अकेला महसूस कर रहा है तो ऐसा लग रहा है अमन की सांसें तो चल रही है पर मानवता घुटनो के बल मंत्री और प्रशासन के न्याय के सामने दम तोड़ चुकी है