मऊगंज की अराजक हिंसा से उठते सवाल - सख्त कार्यवाही की जरुरत,पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का गिरता मनोबल समाज के लिये घातक - मनोज कुमार द्विवेदी, अनूपपुर- मप्र

मऊगंज की अराजक हिंसा से उठते सवाल - सख्त कार्यवाही की जरुरत,पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का गिरता मनोबल समाज के लिये घातक
विंध्य क्षेत्र का मऊगंज जिला होली के दूसरे दिन अचानक हिंसक और अराजक भीड़ का शिकार हो गया। कुछ हिंसक लोगों की भीड़ ने पहले एक युवक को बंधक बनाया और बाद मे उसकी नृशंस हत्या कर दी। स्थानीय पत्रकारों और सोशल मीडिया में प्रसारित खबरों के अनुसार इसके बाद अराजक,हिंसक, आक्रामक लोगों की भीड़ ने महिला अधिकारी ,तहसीलदार और थाना प्रभारी शाहपुर पर कुल्हाड़ी सहित अन्य घातक हथियार से जानलेवा हमला कर दिया। महिला अधिकारी समेत कुछ पुलिस कर्मियो और तहसीलदार को घंटो बंधक बना कर रखा गया । स्थानीय सूत्रों के अनुसार गुण्डागर्दी पर उतारु भीड ने रज्जन दुबे नामक युवक को बंधक बना लिया और बाद मे पुलिस की उपस्थिति मे उसकी नृशंस हत्या कर दी। युवक को भीड से बचाने और अराजक तत्वों को समझाईश देने गये थाना प्रभारी शाहपुर संदीप भारती, तहसीलदार श्री पानिका ,एएसआई जवाहर सिंह यादव, बृहस्पति पटेल सहित अन्य लोग हमले मे गंभीर रूप से घायल हो गये। घायल अवस्था में एसडीओपी अंकित सुल्या को भीड़ ने घंटों बंधक बनाए रखा। उनके साथ कई पुलिसकर्मी भी भीड में बंधक बने रहे। घायलों को सिविल अस्पताल, आशीर्वाद हास्पिटल मऊगंज में भर्ती कराया गया है । कई घायल पुलिस कर्मी वहां देर रात तक फंसे हुए थे, जिन्हें चोट आई है। हिंसक लोगों के हमले में एएसआई रामचरण गौतम की मौत हो गयी। जबकि तहसीलदार के हाथ - पैर मे फ्रेक्चर बतलाया जा रहा है।
होली के ठीक दूसरे दिन घटी मऊगंज की यह हिंसक घटना मध्यप्रदेश सरकार के लिये बड़ी चुनौती है। पुलिस पर हमला, एसडीओपी, तहसीलदार सहित अन्य लोगों को बन्धक बनाना और हिंसक हमले में एक एएसआई की दुखद हत्या, पुलिस की उपस्थिति में एक व्यक्ति की पीट - पीट कर हत्या जैसी वारदात लोगों के आक्रोश से अधिक अराजकता, अपराध और सिस्टम पर अविश्वास अधिक है। जो सरकार जनता के कल्याण के लिये सैकड़ों कल्याणकारी योजनाएँ चला रही है, कानून का राज स्थापित करने के लिये शासन, प्रशासन, न्यायालय है। सवाल गंभीर है कि उस पर भरोसा ना करने वाले लोगों को सरकार ,प्रशासन ,पुलिस पर अविश्वास की आग कौन लगा रहा है ? प्रशासन और पुलिस पर हमले कौन करवा रहा है ? गुण्डागर्दी, हिंसा ,अपराध की ताकत इन्हे कौन प्रदान कर रहा है ? जनता का गुस्सा कह कर कब तक अधिकारी, कर्मचारी, हमारे सुरक्षा बल, पुलिस के लोग शहीद होते रहेगें और पिटते रहेंगे ? कब तक पुलिस के हाथ बांध कर उन्हे अराजकतावादी भीड़ तंत्र के आगे अपमानित होने, मरने के लिये झोंका जाता रहेगा ?
ऐसे सभी मामलों में सख्त कार्यवाही किया जाना चाहिए। सरकार अपनी कार्यवाही से संदेश दे कि लोकतंत्र है....अराजक भीडतंत्र नहीं।
लोगों का आरोप है कि हमलावर हिंसक भीड़ जनजातीय समाज से थी। यदि ऐसी घटना समाज के दूसरे वर्ग से होती तो अब तक इसे दबंगों का आदिवासियों पर या दलितों पर हमला घोषित कर छाती पीटने की होड मच जाती। हिंसा , अराजकता, मारपीट, हत्या और पुलिस अधिकारी, तहसीलदार को बंधक बनाए रखना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता। अराजक भीड़ के पीछे किसी भी जाति, समाज के लोग हों , जायज नहीं ठहराया जा सकता। बिहार,उत्तरप्रदेश और अब मध्यप्रदेश के रीवा संभाग में पहले मऊगंज और फिर रीवा से पुलिस पर हमले की भयावह तस्वीरें समाज को विचलित करने वाली है। मध्यप्रदेश पुलिस त्यौहार के दौरान और वर्ष के 365 दिन अपने परिवारों से दूर जनता की सुरक्षा , शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिये 24 घंटे मशक्कत करती रहती है। खाकी वर्दी में तैनात वीर जवानों के कारण समाज अपराध और गुण्डागर्दी जैसे अराजक लोगों से सुरक्षित है। ऐसे ही गुण्डातत्वों द्वारा नाराजगी की आड मे प्रशासनिक अधिकारियों और पुलिस बल पर हिंसक हमला होने लगे तो स्थिति बहुत चिंताजनक मानी जाएगी।
देश के गृहमंत्री अमित शाह देश को नक्सलवाद मुक्त बनाने की घोषणा कर रहे हैं । नक्सलियों के विरुद्ध बडी और सख्त कार्यवाही हो रही है। वहीं कुछ ऐसे तत्व भी हैं जो अपना राजनैतिक अस्तित्व बचाए रखने के लिये जातिगत द्वेष फैलाने का कार्य कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश सरकार और डीजीपी से लोगों की मांग है कि इस हिंसा और हत्याकांड में लिप्त दोषियों को चिन्हित कर सख्त कार्यवाही करें। दोषियों के मोबाइल जब्त कर घटना दिनांक और उससे पहले उनके सम्पर्कित भडकाऊ तत्वों को भी चिन्हित कर कानूनी कार्यवाही करें।
सबसे अन्त में लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह कि समाज का एक जिम्मेदार नागरिक होने के कारण मऊगंज मे एक वीर पुलिस अधिकारी रामचरण गौतम एवं रज्जन दुबे की अराजक ,हिंसक,गुण्डातत्वों द्वारा की गयी हत्या और तहसीलदार पुलिस पर हुए हमले से मैं बहुत दुखी हूँ । इसका प्रतिकार करता हूँ, कडे शब्दों में निंदा करता हूँ । मध्यप्रदेश के न्यायप्रिय मुख्यमंत्री डा मोहन यादव सरकार से मऊगंज हत्या काण्ड, पुलिस बल और अधिकारियों को बंधक बनाने ,उन पर हिंसंक हमला करने वाले हिंसक, अराजक गुण्डातत्वो के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की मांग करता हूँ। प्रभावित , दुखी पीडित परिवारों के प्रति मेरी पूर्ण संवेदना, श्रद्धांजलि सहित।