दूसरे की जमीन पर दिनदहाड़े हो रहा था कब्जा 
स्थगन आदेश के बावजूद कराया जा रहा था निर्माण कार्य
शहडोल । जिले के अंतिम छोर छत्तीसगढ़ सीमा से लगे ग्राम झींक में न्याय पाना कितना कठिन है इसका एक जीता जागता उदाहरण सामने आया। ग्राम झींक में प्रमोद सिंह, सत्यदेव सिंह, कुंवारे सिंह, प्रभा सिंह द्वारा जो कि ग्राम खतौरा, चौकी बिजुरी, जैतपुर के निवासी हैं, इनके द्वारा विजय शंकर मिश्रा पिता डीपी मिश्रा जो कि ग्राम बलभद्रपुर, जैतपुर के रहने वाले हैं इनकी आराजी खसरा नंबर 881/5/1/2 रकवा 0.160 हेक्टेयर भूमि ग्राम झींक में स्थित है, जिसपर उक्त व्यक्तियों द्वारा जबरन अनाधिकृत रूप से कब्जा करने का प्रयास किया जा रहा था, जिसकी शिकायत इनके द्वारा की गई। बताया गया कि शिकायत होने पर उक्त व्यक्तियों द्वारा सैकड़ों की संख्या में मजदूर लगाकर बाउंड्रीवाल का निर्माण कराया जाने लगा। भूमि स्वामी विजय शंकर मिश्रा एवं पूर्व भूमि स्वामी द्वारा मना किए जाने पर जान से मारने एवं एसटी एक्ट में फंसाने की धमकी देने लगे। जिसके स्थगन आदेश के लिए विजय शंकर मिश्रा द्वारा तहसीलदार जैतपुर में आवेदन किया गया तहसीलदार द्वारा मामले को गंभीरता से लेते हुए स्थगन आदेश जारी किया गया तथा निर्देशित किया गया कि उक्त भूमि पर किसी प्रकार का निर्माण कार्य न किया जाए न ही भूमि के स्वरूप में परिवर्तन किया जाए।
स्थगन के बावजूद सैकड़ों मजदूरों से करा रहे थे कार्य
तहसीलदार जैतपुर के स्थगन आदेश की तामील बिजुरी चौकी प्रभारी द्वारा औपचारिकता निभाते हुए कराई गई, चौकी प्रभारी के ढीले रवैये के कारण उक्त व्यक्तियों द्वारा निर्माण कार्य बंद न करते हुए चौगुनी गति से सैकड़ों की तादात में मजदूर लगा कर कार्य कराया जाने लगा। जिसके बाद उच्चाधिकारियों से विजय शंकर मिश्रा द्वारा शिकायत की गई कि स्थगन आदेश के बावजूद उक्त व्यक्तियों द्वारा कार्य कराया जा रहा है रोकने पर लड़ाई-झगड़े पर उतारू हैं, किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना अथवा जनहानि हो सकती है। उच्चाधिकारियों द्वारा संज्ञान लेने पर निर्माण कार्य रोकते हुए चौकी प्रभारी ने सामग्री थाने में रखवाई और काम बंद करवाया। 
दूरस्थ ग्राम में नहीं मिल पा रहा न्याय
ग्रामीण जनों द्वारा बताया गया कि जिले का अंतिम छोर होने के कारण हम लोगों को न्याय पाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है, चौकी से पुलिस को बुलाने पर कभी भी त्वरित संज्ञान नहीं लेते कोई न कोई बहाना बनाकर टाल मटोल करते रहते हैं। दूरस्थ क्षेत्र की लचर प्रशासनिक व्यवस्था पर ग्रामीणजनों से सवाल उठाए। विचारणीय तथ्य यह है कि इस अंतिम छोर में न्याय पाने के लिए लोगों को कितनी मशक्कत करनी पड़ती है इसका एक जीता जाता उदाहरण इस कब्जा दखल की भूमि पर अनाधिकृत हो रहे कब्जे को बंद कराने से साबित होता है कि यहां न्याय पर आने के लिए आपको काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।