मृतक का पुत्र एक लाख देने में रहा नाकामयाब,कार्मिक प्रबंधक ने मांगे एक लाख,2011 से अब तक नही मिल सकी नौकरी,एस ई सी एल में भृष्टाचार की भेंट चढ़ा परिवार,यूनियन नेताओं के पत्र ने बताया की मृतक कर्मचारी के परिवार के साथ नही भृष्टाचारीयों के साथ यूनियन- विजय उरमलिया की कलम से

मृतक का पुत्र एक लाख देने में रहा नाकामयाब,कार्मिक प्रबंधक ने मांगे एक लाख,2011 से अब तक नही मिल सकी नौकरी,एस ई सी एल में भृष्टाचार की भेंट चढ़ा परिवार,यूनियन नेताओं के पत्र ने बताया की मृतक कर्मचारी के परिवार के साथ नही भृष्टाचारीयों के साथ यूनियन
अनूपपुर - कहते है दीमग अगर किसी चीज में लग जाये तो खोखला कर के छोड़ती है और ऐसा ही कुछ हाल अनूपपुर जिले में संचालित एस ई सी एल का है जहां एक कार्मिक प्रबंधक की घूंस खोरी ने पीड़ित के पूरे परिवार को तबाह कर दिया,मामला आमड़ाण खुली खदान का है जहां इस खदान पर मुंसी के पद पर तैनात स्वर्गीय प्रीतम सिंह पिता विशम्भर सिंह की 2011 में मौत हो गई और तब से ले कर आज तलक उसका लड़का रोहित सिंह नौकरी के लिए अमांडाण ओसीएम के कार्मिक प्रबंधक राजकुमार बंजारे से लगातार बात करता रहा पर साहब की एक लाख रुपये की मांग पूरी न कर पाने से आज भी नौकरी के लिए भटक रहा है,मिनी रत्न का दर्जा प्राप्त काले हीरे की खान के जिम्मेदारों की आत्मा कितनी काली हो गई है आप इसका अंदाजा इसी बात से लगा सकते है कि पिता की जगह अनुकंपा नियुक्ति की गुहार बेटा पिछले चौदह वर्षों से लगा रहा है पर अच्छी खासी तनख्वा सरकार से लेने वाले जिम्मेदारों को भी घूंस चाहिए और वह भी ऐसे लोगों से जिसके परिवार का मुखिया स्वयं सेवाएं देते हुए दुनिया को अलविदा कह गया हो
वही इस पूरे मामले में हमने जब तत्कालीन कार्मिक प्रबंधक राजकुमार बंजारे से बात की तो उनका कहना था मेरी पोस्टिंग कुछ समय के लिए हुई थी जो आरोप लागये जा रहे है गलत है मैं आप को इसका जवाब लिखित में भेजता हूँ, ठीक है न साहब आप पाक साफ दूध के धुले होंगे हम नही कहते कि आप ने एक लाख रुपये की मांग की पर ऐसी कौन सी बात थी किसकी जिम्मेदारी थी जो एक पीड़ित परिवार पिछले चौदह वर्ष से आप के विभाग के आगे नाक रगड़ रहा है और एक आप के बीच के ही मृत कर्मचारी के परिवार के प्रति आप की न आप के विभाग के जिम्मेदारों का दिल पसीजा की वो जिस चीज का हकदार है उसको दिलवाया जाए फिर क्यों न मान लिया जाए कि पीड़ित परिवार आप सब की लापरवाही या आप को संतुष्ट न कर पाने की वजह से आज सड़क पर आ गया
आप को बता दें कि प्रीतम सिंह की ड्यूटी के दौरान मौत हो गई थी और उसके बाद लगातार प्रबंधन की लापरवाही का दुष्परिणाम परिवार झेलता रहा और आखिर कार तब एक उम्मीद बंधी जब कोर्ट ने प्रबंधन को अनुकंपा नियुक्ति देने को कहा पर कोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए प्रबंधन ने आज तक पीड़ित परिवार को न्याय देना उचित नही समझा
नौकरी की उम्र सीमाएं गुजरती गई आवेदन बदलते गये पर नौकरी नसीब नही
इस पूरे खेल में सबसे दुखद पहलू जो सामने आया वो अपने आप मे चौंकाने वाला है मृतक के बड़े पुत्र ने 2011 में नौकरी का आवेदन किया पर सनय सनय वक्त गुजरता गया और एक समय बाद वो नौकरी की पात्रता उम्र लांघ गया,तब 2021 में उसके दूसरे बेटे ने नौकरी का आवेदन दिया और आज तीन वर्ष पूरे होने को है आज तक नौकरी मयस्सर न हो सकी ईश्वर न करे किसी बड़े अधिकारी के साथ यह घटना हुई होती तो क्या आज उसका परिवार भी चौदह वर्षों तक इसी तरह प्रबंधन के चक्कर काटते फिरता कदापि नही जिम्मेदार फूल माला ले कर उसका स्वागत कर उसको उचित जगह पर नौकरी दे जिम्मेदारी का पूर्ण निर्वहन करते चूंकि ये गोंड परिवार है राजनीति से कोसों दूर परिवार का पेट पालने की लालसा और घर को संभालने की जिम्मेदारियों ने इसे एसईसीएल प्रबंधन के सामने माथा रगड़ने को मजबूर कर रखा है अभी इसकी जगह कोई रसूखदार नेता मंत्री का आदमी होता तो सब कुछ चुटकियों में हो चुका होता दुर्भाग्य है हमारे लचर सिस्टम का जो किसी की मौत पर भी राजनीति और भृष्टाचार देखता है अरे मृतक भी तो आपके बीच का ही तो था उसका योगदान भी तो इस देश की प्रगति में था फिर उसके परिवार का क्या दोष था
राजकुमार बंजारे ने खेला नया दांव
पीड़ित परिवार ने पिछले चौदह वर्षों से इन शाहबानो के चक्कर काटता रहा और जब इनकी कारगुजारियों को सामने किया तो जमुना कोतमा के प्रबंधक कार्मिक राजकुमार बंजारे ने इस पूरे मामले में एक नया सडयंत्र रच दिया आप को बता दें परिवार के आरोप के बाद कई यूनियन के नेता इस अधिकारी के बचाव में मैदान में कूद पड़े है जबकि पिछले चौदह वर्षों से न्याय की गुहार लगाने वाले पीड़ित परिवार इन यूनियन के नेताओं को दिखाई नही दिया कि मृतक के परिवार के साथ खड़े होते पर आज जिस अधिकारी पर पैसे मांगने का आरोप लगा सब उसी के साथ खड़े हो कर आरोपों को बेबुनियाद बताने में जुटे हुए है कौन कौन ने निंदा प्रस्ताव में आये आगे बीएमएस,एटक,इंटक,सीटू,एससी,एसटी,एम्पलाई एशोसिएशन,एससी एसटी ओबीसी कौंसिल इन सभी ने इस अधिकारी का सपोर्ट कर बता दिया कि ये सभी यूनियन उन मृतक कर्मचारियों और उन पीड़ित परिजनों के साथ नही है जो काम करते हुए अकाल मौत मरते है ये सभी अपने हिसाब से अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने के लिए यूनियन के मठाधीश बन दम्भ तो कर्मचारियों के हितों की बात करते हुए भरते है पर इस मामले ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया इन नेताओं ने इस अधिकारी को पाक साफ बता दिया तो साहब ये भी बता दिए होते की चौदह वर्ष से भटक रहे इस पीड़ित परिवार का दोषी कौन है किसके कर्मो की सजा ये भुगत रहा है,भगवान न करे पर दुर्भाग्यवश अगर आप मे से किसी का परिवार होता तो भी आप यही करते