मप्र में आध्यात्मिक सामाजिक क्रांति का प्रतीक बनी संतों की स्नेह यात्रा -- मनोज द्विवेदी सर्वं खल्विदं ब्रम्ह.....समाज को समरस, एकजुट, आत्म निर्भर बनाने का अद्भुत प्रयास

मप्र में आध्यात्मिक सामाजिक क्रांति का प्रतीक बनी संतों की स्नेह यात्रा -- मनोज द्विवेदी
सर्वं खल्विदं ब्रम्ह.....समाज को समरस, एकजुट, आत्म निर्भर बनाने का अद्भुत प्रयास
16 अगस्त 2023 को जब मध्यप्रदेश के सभी 52 जिलों में एक साथ प्रख्यात संतों की अगुवाई में स्नेह यात्रा का शुभारंभ हुआ तो कुछ लोगों को आशंका थी कि ये चुनाव से पहले राजनैतिक हितों को साधने का एक प्रयास हो सकता है। लेकिन जैसे - जैसे यह यात्रा आगे बढी और इसका स्वरूप सामने आया तो लोगों को इस यात्रा की गंभीरता, इसके पीछे का पवित्र उद्देश्य और कड़ी मेहनत का अहसास होने लगा। अमरकंटक के दो प्रख्यात संतों मृत्युंजय आश्रम के महामंडलेश्वर स्वामी हरिहरानंद सरस्वती जी महाराज और फलाहारी आश्रम के अनंत विभूषित राजराजेश्वर रामानन्दाचार्य माऊली सरकार को क्रमश: शहडोल और अनूपपुर जिले में समरसता का स्नेह अलख जगाने का महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया है। 16 अगस्त से मां नर्मदा की पवित्र उद्गम नगरी अमरकंटक से शुरु हुई स्नेह यात्रा का मुझे भी सहभागी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
मेरे लिये संतों की स्नेह यात्रा में शामिल होने का सौभाग्य मिलने का अर्थ बिन मांगे मोती मिलने जैसा ही कुछ था।
मध्यप्रदेश के अन्य जिलों की तरह अनूपपुर जिले में स्नेह यात्रा वस्तुतः 21 वीं सदी का प्रथम आध्यात्मिक समाज सुधार आन्दोलन माना जा रहा है। एक ऐसी यात्रा जिसमें स्वत: स्फूर्त तरीके से लगभग सभी गाँव में प्रतिदिन सैकड़ों लोगों की सह भागिता देखने को मिल रही है। क्या बच्चे - क्या बुजुर्ग, क्या महिलाएँ - क्या युवक....सभी वर्ग के लोगों में समान भाव से यात्रा को लेकर उत्साह और सहभागिता की ललक देखी जा रही है । विशुद्ध गैर राजनैतिक इस स्नेह यात्रा में समाज का प्रत्येक वर्ग जाति, धर्म, पंथ, व्यवसाय , आयु बंधन से परे सहभागी बन रहा है । प्रतिदिन यह यात्रा सुबह 10 बजे से देर रात 11 बजे तक निरंतर चलती रहती है । यात्रा के मार्ग में आने वाले गाँवों में सैकड़ों लोग मंगल कलश लिये पुष्प वर्षा कर,मालाएं - साल - श्री फल से माऊली सरकार का स्वागत् करते दिख रहे हैं । स्वागत् में कोई झांझ बजा रहा है तो कोई शंख ,मंजीरा और ढोल। यह सब स्वत: स्फूर्त है। सदियों बाद सामाजिक सुधार की पवित्र मंशा के साथ संतों की अगुवाई में स्नेह यात्री समाज में लोगों के बीच उतरे हुए हैं। गांव - गांव हजारों लोगों ने अशिक्षा, असामाजिकता, कलाहीनता , भाग्य और असत्य को त्यागने तथा शिक्षा , सामाजिकता, कौशल, उद्योग और शाश्वत सत्य को अपनाने का संकल्प किया। जाति पांति ,कुल के भेद से ऊपर उठ कर नशा , अनैतिकता , वर्ग भेद, सामाजिक विभाजन को त्याग कर एक बनें - नेक बनें के समरस भाव को फैलाने का सफल प्रयास किया गया। पिछले कुछ सौ साल में भारत की मुख्य गौरवशाली सांस्कृतिक, आध्यात्मिक ,धार्मिक एकजुटता के विरुद्ध साजिश के तहत वर्ग भेद फैला कर योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया गया। आजादी के पहले और उसके बाद सात दशक तक इस दिशा में कार्य करने की किसी ने जरुरत ही महसूस नहीं की। भारतीय समाज को , देश की एकजुटता को छिन्न भिन्न करने की पूरी कोशिश हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकारों ने इस दिशा में सकारात्मक पहल की है। आज भी समाज में एक बडा वर्ग वंचितों का है। जाति पंथ से परे जो आज भी शिक्षा, उद्योग, सामाजिकता, कौशल और सच्चाई से दूर है, इन्हे ही वंचितों की श्रेणी में रखा जाता है। इन्हे मुख्य धारा में लाकर देश को एकजुट कर मजबूत बनाने की आवश्यकता है। देश को वैश्विक परिदृश्य में आगे बढाने, सशक्त बनाने के लिये भारतीय समाज को कुरीतियों से मुक्त करने, जाति पांति, वर्ग भेद को समाप्त करके एकजुटता की भावना से कार्य करते हुए सामाजिक समरस मजबूत भारत के निर्माण के लिये तत्पर बनाने के लिये स्नेह यात्रा के माध्यम से सफल और सराहनीय प्रयास किया गया है। अनूपपुर जिले में स्नेह यात्रा के इस अभिनव प्रयोग को सफल बनाने के लिये मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग , कलेक्टर आशीष वशिष्ठ, सीईओ जिला पंचायत तन्मय वशिष्ठ शर्मा के मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश जन अभियान परिषद अनूपपुर के जिला समन्वयक उमेश पाण्डेय और उनकी वालेन्टिर्स की जुझारु समर्पित टीम , पतंजलि योग पीठ अनूपपुर, गायत्री परिवार , राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के स्व सहायता समूह और महिला बाल विकास विभाग की बहनों, पंचायत के कर्मचारी, स्कूलों के छात्र - छात्राओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सबसे अन्त में लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह कि फलाहारी आश्रम अमरकंटक के माऊली महाराज के वृहद शिष्य मंडल ने यात्रा में जमकर मेहनत की है।