स्वामी विवेकानंद ने नर को नारायण माना है ......प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी

स्वामी विवेकानंद ने नर को नारायण माना है ......प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी
अमरकंटक- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक में "स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस तथा युवा दिवस" के उपलक्ष्य में "स्वामी विवेकानंद के दर्शन की पृष्ठभूमि पर संक्षिप्त कार्यक्रम का आयोजन किया गया।विश्वविद्यालय के कुलपति माननीय प्रोफेसर श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी जी ने अपने उद्बोधन में विस्तारपूर्वक स्वामी विवेकानंद जी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि "भारत सिर्फ सबसे बड़ी युवा आबादी का देश नहीं है, बल्कि भारत का युवा पूरी दुनिया में सर्वाधिक कार्यशील भी है। वैचारिक पवित्रता एवं निस्वार्थता ही हमारा धर्म है। आत्म मंथन कर सही और गलत का निर्णय कर सहनशीलता के मार्ग पर चलना भारत वासियों की विशिष्टिता है। मनुष्यता ही भारत का दर्शन है। इसीलिए स्वामी विवेकानंद ने नर को नारायण माना है। युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत स्वामी विवेकानन्द रहे हैं। स्वामी जी से प्रेरणा लेकर युवा, भारत के भविष्य को परिवर्तित कर सकते हैं। खासकर इस जनजातीय क्षेत्र में युवाओं को बढ़ चढ़ कर आगे आना चाहिए। ताकि यह क्षेत्र विकास के नए शिखर को छू सके। हम सभी जानते हैं कि विकास की धारा शिक्षा के माध्यम से ही पूरी होती है जिसके लिए जनजातीय विश्वविद्यालय सदैव तत्पर है।"
कार्यक्रम का संचालन एवं आगंतुकों का स्वागत प्रो. एम.टी.वी. नागार्जुन (अधिष्ठाता शिक्षा संकाय) ने किया और आभार प्रदर्शन प्रो. ज्ञानेंद्र कुमार राउत ने दिया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. मूर्ति सहित विश्वविद्यालय के अधिष्ठातागण, विभागाध्यक्ष एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।