एटक की पांच सदस्यीय तदर्थ कमेटी आगामी चुनाव तक क्षेत्र का कार्यभार संभालेगी
कोतमा। कोतमा क्षेत्र में श्रम संगठन एटक को केन्द्रीय कार्य समिति द्वारा आपसी गुटबाजी व घटती सदस्यता को दृष्टिगत रखते हुए जमुना कोतमा क्षेत्र की क्षेत्रीय समिति को भंग कर दिया गया जिसके चलते केंद्रीय नेतृत्व क्षेत्रीय सम्मेलन होने तक पाँच सदस्यीय तदर्थ/संचालन समिति बनाकर जमुना कोतमा क्षेत्र में श्रमिकों के हित में कार्य करने के लिए निर्देशित किया गया है इस समिति में का लालमन सिंह कामरेड राजकुमार शर्मा, कामरेड कारण लाल, कामरेड सुनील कुमार मिश्रा एवं कम रेट पांचू यादव यह सभी सदस्य प्रबंधन के साथ बैठक में सम्मिलित हो कर श्रमिकों के हित पर चर्चा एवं कार्य करेंगे। हाल ही में सोशल मीडिया के माध्यम से यूनियन के बारे में भ्रामक जानकारी फैला गई जिस पर कामरेड लालमन सिंह एवं कामरेड राजकुमार शर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि एस.के. एम. एस. एटक की स्थापना वर्ष 1920 में हुई थी एटक ही एक ऐसा संगठन है जो आजादी के पहले से मजदूर किसान शोषित व पीड़ित लोगों को उनके अधिकार व न्याय दिलाने का कार्य लगभग 103 वर्षों से करते आ रहा है। इतिहास गवाह है कि एटक भारत देश को आजाद कराने में अपनी कुर्बानी दी थी। जमुना कोतमा क्षेत्र के कुछ लोग सोशल मीडिया व व्हाट्स एप पर लिख रहे हैं कि जमुना कोतमा क्षेत्र की एरिया कार्यकारिणी के भंग हो जाने से एटक जमुना कोतमा क्षेत्र नेता विहीन हो गया है। उनको बताना चाहता हूं कि एटक श्रम संगठन एक ऐसा संगठन है जो ना कभी नेता विहीन रहा है और ना है और ना कभी भविष्य में रहेगा। जमुना कोतमा क्षेत्र में 05 सदस्यीय तदर्थ कमेटी का गठन केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा कर दिया गया है क्षेत्र का सम्मेलन होने तक गठित तदर्थ कमेटी क्षेत्र में एटक का कार्यभार देखने में सक्षम है। साथियों को स्मरण दिलाना चाहता हूं कि एटक के सामने अन्य संगठन पैदा हुए हैं अर्थात एटक के गठन के काफी समय के बाद देश के अन्य संगठनों का गठन हुआ है। एटक को भारत के अलावा अन्य देशों में भी सम्मान से जाना पहचाना है ऐसे संगठन के बारे में गलत लेख लिखना कुंठित मानसिकता को दर्शाता है। संगठन के सभी साथियों से अनुरोध है कि आप को विचलित होने की आवश्यकता नहीं है धैर्य और संयम से आगे बढ़ते रहिए। एटक संगठन जमुना कोतमा क्षेत्र में अपनी अलग छवि के साथ श्रमिकों के बीच पहचान बनाने के लिए अग्रसर है।