कपिलधारा भूमिगत कोयला खदान आज से बंद, व्यापार तथा रोजगार होगा प्रभावित!
कोयलांचल क्षेत्र में लगातार बंद हो रही  कोयला खदानें  लोगों के लिए मुसीबत
(विकास पाण्डेय)

 


अनूपपुर। कोयलांचल क्षेत्र में लगातार पुरानी कोयला खदानें जहां बंद होती जा रही हैं वहीं कोई भी नई कोयला खदान प्रारंभ नहीं की जा रही हैं जिसके कारण लगातार कोयलांचल क्षेत्र में कोयला खदानों के बंद होने से तथा कर्मचारियों के अन्यत्र स्थानांतरण किए जाने से कोयलांचल क्षेत्र की अर्थव्यवस्था लगातार बिगड़तीं जा रही है। इसके साथ ही क्षेत्र का रोजगार एवं व्यवसाय भी कोयला खदानों के लगातार बंद होने एवं यहां कार्य कर रहे कर्मचारियों का स्थानांतरण होने की वजह से ठप्प होता जा रहा है।
कपिलधारा कोयला खदान आज  से  बंद, कर्मचारियों का हुआ स्थानांतरण
एस ई सी एल हसदेव क्षेत्र अंतर्गत कुरजा उपक्षेत्र का कपिलधारा कोयला खदान 27 नवंबर से पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। इसके साथ ही यहां कार्यरत कर्मचारियों का अन्यत्र स्थानांतरण भी कर दिया गया है। कपिलधारा कोयला खदान वर्ष 1993 में प्रारंभ हुई थी इसके बाद लगभग 30 वर्षों तक यह कोयला खदान संचालित होती रही। कोयल का भंडार समाप्त होने के पश्चात प्रबंधन द्वारा 30 वर्ष पुराने इस कोयला खदान को बंद करने का निर्णय लिया गया है।
इससे पूर्व भी बंद हो चुकी है कई कोयला खदानें
बिजुरी नगर जो की पूरी तरह से कोयला खदानों के ऊपर आश्रित है। आसपास कई कोयला खदानें होने के कारण स्थानीय लोगों को रोजगार के साथ ही व्यवसाय भी बेहतर चल रहा था लेकिन लगातार यहां कोयला खदान बंद हो रही है जिसके कारण नगर की अर्थव्यवस्था भी पूरी तरह से प्रभावित हो रही है। इसके पूर्व लोहसरा भूमिगत कोयला खदान, सोमना कोयला खदान, ए सिम कोयला खदान यहां बंद की जा चुकी हैं तथा बिजुरी कोयला खदान को भी इस वर्ष के अंत तक बंद होने की बात भी सामने आ रही है। जिसके कारण बिजुरी नगर से लगे सिर्फ दो खदान ही शेष रह जाएंगे जिनमें कुरजा और बहेराबांध कोयला खदान है।
नई कोयला खदानों को खोलने के लिए जनप्रतिनिधि तथा प्रशासन दोनों का रवैया उदासीन
कोयलांचल क्षेत्र बिजुरी, कोतमा, राजनगर, जो की मुख्य रूप से कोयला खदानों पर आश्रित है। यहां की अर्थव्यवस्था तथा यहां का रोजगार भी इन्हीं पर निर्भर है तथा यहां का व्यवसाय भी इसी उद्योग की वजह से संचालित होता है। लगातार बीते कई वर्षों से यहां स्थित कोयला खदानें लगातार बंद होती जा रही हैं और नए कोयला खदान प्रारंभ किए जाने के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं प्रशासन कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं जिसके कारण क्षेत्र में बेरोजगारी बढ़ती जा रही है। कोल इंडिया की कोयला खदानें लगातार यहां बंद होती जा रही हैं कुछ निजी कोयला खदान प्रारंभ किए जाने की योजना है वह भी अभी तक अटकी हुई है।