करपा पंचायत में सरपंच के भ्रष्टाचार कथा पार्ट 1, राजनैतिक रसूख के आगे जनपद से जिला पंचायत तक सब मौन - विजय उरमलिया की कलम से

करपा पंचायत में सरपंच के भ्रष्टाचार कथा पार्ट 1, राजनैतिक रसूख के आगे जनपद से जिला पंचायत तक सब मौन - विजय उरमलिया की कलम से
अनूपपुर - पुष्पराजगढ़ जनपद की ग्राम पंचायत करपा अक्सर सुर्ख़ियों में रहने वाली पंचायत है और सुर्ख़ियों की वजह कोई अच्छा काम नहीं होता बल्की आये दिन नित नये भ्रष्टाचार की गाथा लिखने में इस पंचायत का कोई सानी नहीं है जो भी जिम्मेदार इस पंचायत में आता है वही एक भ्रष्टाचर की इबारत लिखने में जुट जाता है अगर ये कहा जाए की इस पंचायत और भ्र्ष्टाचार का चोली दामन का साथ है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए अभी वर्तमान सरपंच हीरा सिंह जो सरपंच संघ के अध्यक्ष है उनके ऊपर सचिव छत्रपाल के साथ गठजोड़ कर भ्रष्टाचार करने की शिकायत लगातार ग्राम पंचायत के पंचो के माध्यम से की जा रही है इसके पूर्व में भी यहाँ रहे रोजगार सहायक जसवंत नायक पर भ्रष्टाचर के आरोप लगे थे और अंततः उनकी बर्खास्तगी तक मामला पहुंचा
अब यहाँ सरपंच हीरा सिंह और सचिव छत्रपाल सिंह पर सरकारी पैसों के गबन का आरोप है और भ्रष्टाचर भी थोड़ा मोड़ा नहीं कई लाख रुपये डकार जाने का है पर हीरा सिंह सरपंच के साथ साथ सरपंच संघ के अध्यक्ष और कोंग्रेसी नेताओं में सुमार जाने जाते है जिसके चलते इन महोदय के भ्र्ष्टाचार पर कोई भी जिम्मेदार हाँथ डालने से बच रहा है सूत्रों की माने तो सरपंच हीरा का रसूख ऐसा है की कई बार शिकायतों के बाद भी जनपद से ले कर जिला पंचायत तक सब मौन साधे बैठे हुए है सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हीरा सिंह के भ्रष्टाचार की जाँच न हो इसके लिए पुष्पराजगढ़ विधायक फुंदेलाल सिंह मार्को और करपा के भाजपा नेता नवल नायक दबाव बनाया हुआ है सूत्रों की माने तो भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए पक्ष विपक्ष दोनों साथ आ गए है
सरपंच सचिव पर क्या है आरोप
ग्रामपंचायत करपा के सरपंच हीरा सिंह की शिकायत जिला पंचायत को करते हुए बताया गया है की इनके द्वारा पीडब्लू डी मार्ग पर बीस से पच्चीस ट्राली मुरुम डलवा कर 4,66000 के फर्जी भुगतान अपने चहेतों को किये गए जबकी इसकी तकनिकी स्वीकृति नहीं होना बताय गया है दूसरी तरफ सरपंच के द्वारा नाली निर्माण कार्य पटवारी भवन से हॉस्टल तक कार्य बिना मूल्यांकन तकनिकी स्वीकृति से अधिक राशि का भुगतान किया गया उक्त निर्माण कार्य में 6,00427 कुल भुगतान किया पंच परमेश्वर से 4,35494 एवं 15 वे वित्त से 164933 रुपये का भुगतान किया गया है
वही बिना मूल्यांकन के साईकिल स्टैंड के नाम पर 2,16350 किया गया है
वहीओ सबसे बड़ा खेला हॉट बाजार नीलामी 2023-24 की नीलामी की राशि 3,51000 रुपये में सरपंच द्वारा पंचायत के खाते में सम्पूर्ण राशि जमा नहीं की गई बल्की उक्त राशि का उपयोग स्वयं के हित में कर ली गई तो दूसरी तरफ ग्रामपांचत अंतर्गत हॉट बाजार के दस किराया दुकानदारों से वसूल कर पंचायत के कहते में जमा करने की जगह स्वयं डकार गए रशीद क्रमांक 23/01.04.2023 कुंवर सिंह 9000, 25/05.04.2023 श्यामलाल से 11000 रुपये 27/20.04.2023 कुंवर सिंह 6000 इनके साथ दुकानदारों से राशि वसूल का खा गये जबकि उक्त राशि पंचायत के कहते में संधारित कराइ जानी चाहिए थी पंचायत खर्चे के नाम पर भी फर्जी बिलों का भुगतान अपने चहेतों के नाम पर करवाने का आरोप है इस पुरे खेल में भी लाखों रुपये के फर्जी भुगतान किये गए है शिकायती पत्र में सभी भुगतना का विवरण दे कर जाँच की मांग की गई है, पीसीसी मार्ग निर्माण में बिना मूल्यांकन के लाखो रुपये की राशि का भुगतना उनके अपने चहेतों को किया गया है जबकि पीसीसी मार्ग में गुणवत्ता विहीन सड़क का निर्माण किया गया है जबकि कस्तूरबा गाँधी हॉस्टल बाउंड्रीबाल का निर्माण स्वीकृत लम्बाई से कम किया गया है और उसके बावजूद लगभग आठ लाख रुपये के भुगतान किये गए सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कसरपँच हीरा सिंह अपने चहेतों और रिश्तेदारों के नाम पर बैंडर बना कर सामग्री क्रय के नाम पर लाखों के फर्जी भुगतान किये जा रहे है अब सवाल उठता की जब चुने गये पंचायत के पार्षद ही शिकायत कर रहे है वो भी प्रमाणिक दस्तावेजों के साथ तो बार बार शिकायत के बावजूद करपा पंचायत के सरपंच और सचिव के भ्रष्टाचारों की जांच में जनपद से लेकर जिला पंचायत का ढुलमुल रवैया ये बताता है की हीरा सिंह सरपंच के राजनैतिक रसूख के आगे अपने सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र बताने वाले जिम्मेदार कार्यवाही से बचते दिखाई दे रहे है या फिर इन महोदय को भ्रष्टाचार करने की मौन स्वीकृति प्रदान कर दी गई है वही सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भ्र्ष्टाचारियों पर कार्यवाही न होने से पंचायत के कई पंच अपने पद से इस्तीफा देने जा रहे है अब गेंद जिला प्रशासन के पाले में है की जिम्मेदारी से शिकायत की जाँच करवाते हुए भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही करते राजनैतिक दबाव के चलते महज मूक दर्शक बन सरकारी खजाने को लुटता देखते रहते है