आंखों देखी,कानो सुनी कोतवाली पुलिस की ये कैसी लाचारी,कोतवाली पुलिस को कैसे मिले कलक्ट्रेट में जप्त गाड़ी से मोबाइल,रेत कंपनी के गुर्गों को बचाने में लगी कोतवाली पुलिस ? किसने की कलेक्ट्रेट की सुरक्षा में सेंधमारी - विजय उरमलिया की कलम से

आंखों देखी,कानो सुनी कोतवाली पुलिस की ये कैसी लाचारी,कोतवाली पुलिस को कैसे मिले कलक्ट्रेट में जप्त गाड़ी से मोबाइल,रेत कंपनी के गुर्गों को बचाने में लगी कोतवाली पुलिस ? किसने की कलेक्ट्रेट की सुरक्षा में सेंधमारी
अनूपपुर - बात माफ़ियाओं के संरक्षण तक कि हो तो एक बार यह भी गंवारा है पर जब जिले के कलेक्ट्रेट की सुरक्षा का मामला हो तो फिर किसी तरह की कोताही करना लाजमी नही है पर हुआ कुछ ऐसा ही विगत दिनों रेत कंपनी के गुर्गों ने बाकायदा पसला से एक डंफरिया को उस वक्त पकड़ा जब वह गाड़ी बसखुला छत्तीसगढ़ से रेत ले कर अनूपपुर तरफ आ रही थी तभी दो तीन गाड़ियों में सवार रेत कंपनी के गुर्गे पसला से ड्रावर से गाड़ी छीन ली और जब पता लगा कि गाड़ी में टीपी मौजूद है तो बरबसपुर में छोड़ भाग खड़े हुए और इसी दरमियान ड्राइवर से दो मोबाइल भी लूट ले गये जिसकी शिकायत बाकायदा कोतवाली पुलिस को लिखित में ड्राइवर ने दी पर इसकी तह तक पहुंचना तो दूर इस पूरे मामले ने कलेक्ट्रेट परिसर की सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़े कर दिए चूंकि जो मोबाइल रेत कंपनी के गुर्गे लूट कर ले गये थे आखिर कलेक्ट्रेट परिसर में जप्त खड़ी गाड़ी के अंदर मोबाइल किसने पहुंचाये चूंकि हमारे सूत्र बताते है जिन लूटे गये मोबाइल की शिकायत कोतवाली में की गई थी दरसल वही मोबाइल कलक्ट्रेट परिसर में खड़ी डंफरिया के अंदर से पुलिस ने जप्त किये है अब सवाल यह उठता है कि जब पुलिस और खिनज विभाग ने डंफरिया जप्त की थी तो उस वक्त पंचनामा हुआ होगा कि आखिर गाड़ी में क्या क्या मौजूद है और अगर हुआ है तो उस वक्त पुलिस को मोबाइल क्यों नही मिले, या फिर जप्ती के वक्त पंचनामा नही किया गया,या फिर बाद में पुलिस और रेत कंपनी के बीच सांठगांठ हुई और किसी ने उक्त जप्त गाड़ी के अंदर मोबाइल पहुंचाये सूत्रों की माने तो डंफरिया के पीछे लगे कांच को खोल कर वहां से मोबाइल अंदर डाले गए इसमे सबसे हैरानी और चौकाने वाली जो बात है वो दरसल पुलिस की कार्यवाही पर और सवालिया निशान खड़े करता है चूंकि जब डंफरिया को जप्त कर कलेक्ट्रेट परिसर में खड़ा किया जा रहा था उस वक्त हम वहां मौजूद थे और हमारे सामने कैमरे में कैद होते हुए रेत कंपनी के गुर्गे रविशंक पांडेय,दीपक सिंह परमार वहां मौजूद कोतवाली पुलिस को मोबाइल देने का प्रयास कर रही थी जिसको बाकायदा पुलिस ने यह कहते हुए नही लिया कि आप कोतवाली में आ कर दें या जिसके है उसको वापस करें,वही हमने जब रेत कंपनी के इन दोनों लोगों से बात की तो उनका साफ कहना था कि हमने नही फ्लाइंग स्कॉड वालों ने मोबाइल छीना था अब जब सब कुछ दूध की तरह साफ है और जो कोतवाली पुलिस ने यह कहा था कि मोबाइल कोतवाली में आ कर दो या उसको वापस करो तो फिर वो कोतवाली पुलिस को ही डंफरिया में कैसे मिल गये, कहीं न कहीं रेत कंपनी के कारिंदों को बचाने के प्रयास में कलेक्ट्रेट की सुरक्षा में बड़ी सेंधमारी हुई और ये क्यों न मान लिया जाये कि कलेक्ट्रेट भी सुरक्षित नही है कभी भी कोई वारदात को अंजाम दे जाये और किसी को भनक तक न लगे ऐसे कई सवाल कोतवाली पुलिस पर खड़े हो रहे है