मध्य प्रदेश में कांग्रेस के कमलनाथ हुए अनाथ पटवारी के सर ताज उमर का हुआ सिंगार  कमलनाथ युग का हुआ अंत
जीतू पटवारी प्रदेश अध्यक्ष तो उमंग सिंघार बने नेता प्रतिपक्ष
अनूपपुर: जिस तरह से भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश की भाजपा की राजनीति में कई वर्षों से पैर जमाए और जनता में लोकप्रिय पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज युग का अंत करते हुए मोहन युग का श्री गणेश किया उसी तर्ज पर चलते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने भी कमलनाथ युग का अंत करते हुए जोश और जज्बे से भरे जीतू पटवारी को अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर नए युग की शुरुआत कर दी है l भोपालl अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने आज  भाजपा ने नक़्शे कदम में चलते हुये अपने अगली पीढ़ी को संगठन की बागडोर हस्तान्तरित कर दी कांग्रेस ने  फैसला करते हुए मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से कमलनाथ की विदाई करके इंदौर क्षेत्र के चर्चित युवा कांग्रेस और जुझारू नेता राऊ विधानसभा के पूर्व विधायक जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप दी l इसी के साथ अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने मध्य प्रदेश नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर प्रदेश के सबसे चर्चित आदिवासी कांग्रेसी नेता उमंग सिंगार को बैठाया है तो वहीं उप नेता के रूप में हेमंत कटारे को जिम्मेदारी सौंप दी है l अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के उक्त नियुक्तियों के बाद भोपाल से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस के राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि कहीं ना कहीं कमलनाथ को बीते विधानसभा चुनाव में मनमानी की सजा दे दी गई हैlया यह कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी कि कांग्रेस के कमलनाथ हुए अनाथ और उसी तर्ज में जीतू पटवारी के सर में ताज के साथ साथ उमर का सिंगार किया गया और कांग्रेस में नए युग की शुरुआत हो गई है  यहां पर यह भी बता दिया जाए की विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद जब कमलनाथ दिल्ली हाई कमान के साथ-साथ राहुल गांधी से मिलने गए थे तो उनका स्पष्ट शब्दों में वह बता दिया गया था कि वह भोपाल जाकर कोई बड़ा फैसला ले और इस बड़े फैसले के पीछे का आशय यही था कि वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दे लेकिन कमलनाथ ने राष्ट्रीय अध्यक्ष और राहुल गांधी के दिशा निर्देश का पालन न करते हुए एक बार फिर अपनी मनमानी चलाने की कोशिश की जिसका परिणाम यह निकला कि केंद्रीय आलाकमान ने कमलनाथ को उनकी जमीनी हकीकत की याद दिलाते हुए उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दियाl अगर यह कहा जाए की कांग्रेस आल्हा कमान ने जिस तरह से कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया है यह उनके लिए किसी सजा के समान है तो गलत नहीं होगाl कमलनाथ को मिली मनमानी की सजा अखिल भारतीय  कांग्रेस कमेटी द्वारा जिस तरह से मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष पद से कमलनाथ को हटाकर राऊ विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक जीतू पटवारी को कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद जिम्मेदारी सौंप दी गई है उसे देखकर यही लगता है कि कमलनाथ को बीते विधानसभा चुनाव में मनमानी करने की अखिल कांग्रेस कमेटी ने सजा सुना दी हैl यहां पर यह भी उल्लेखनीय तथ्य है कि जिस तरह से कमलनाथ ने राहुल गांधी के सर्वे को नकार करके मध्य प्रदेश विधानसभा का टिकट दिया था उस राहुल गांधी बहुत ज्यादा नाराज थे और जब चुनाव परिणाम कमलनाथ के विश्वास के विपरीत आया तो राहुल गांधी के सवालों का जवाब देते कमलनाथ से नहीं बन रहा थाl यही नहीं राहुल गांधी ने कमलनाथ को सीधे-सीधे बोल दिया था कि भोपाल जाओ और कोई बड़ा फैसला लो इस बड़े फैसले का आशय यही था कि अब आप प्रदेश अध्यक्ष पद छोड़ दो लेकिन कमलनाथ को राहुल गांधी का स्पष्ट निर्देश समझ में नहीं आया और वह अभी भी प्रदेश अध्यक्ष की मोह को नहीं त्याग सके यही कारण था कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने उनको प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाते हुए जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर मध्य प्रदेश में कमलनाथ के युग का अंत कर दियाl कांग्रेस ने भी बनाया पिछड़ा आदिवासी ब्राह्मण का समीकरण
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने शुक्रवार को देर शाम जिस तरह से मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में जीतू पटवारी मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में उमंग सिंघार और मध्य प्रदेश विधानसभा में उप नेता के रूप में हेमंत कटारे की नियुक्ति की है उसको देखकर यही लगता है कि अखिल भारतीय  कांग्रेस कमेटी ने भी मध्य प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के साथ-साथ आदिवासी और ब्राह्मणों का समीकरण बनाने की कोशिश की हैl यहां पर यह बता दिया जाए की कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी जहां पिछड़े वर्ग से आते हैं तो वही विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार आदिवासी वर्ग के बड़े नेता हैं तो विधानसभा में उप नेता हेमंत कटारे ब्राह्मण समाज से आते हैंl ऐसे में राजनीतिक विश्लेषको कम मानना है कि कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश में पिछड़ा आदिवासी और ब्राह्मण का समीकरण बना रहा है और यह समीकरण उसे आगामी लोकसभा चुनाव में कितना फायदा पहुंचाएगा यह देखने की बात है लेकिन फिलहाल तो मध्य प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में इस समय शिवराज युग के साथ-साथ कमलनाथ के युग का भी अंत हो जाना चर्चा का विषय बना हुआ हैl