चित्रकूट कामदगिरि के संत रामस्वरूपाचार्य जी महाराज होली उत्सव पर्व पर अमरकंटक पधारे 
अमरकंटक / मां नर्मदा जी की उद्गम स्थली / पवित्र नगरी अमरकंटक में आज गुरुवार दोपहर दो बजे जगतगुरू रामानंदाचार्य स्वामी श्री राम स्वरूपाचार्य जी महाराज ( कामदगिरि पीठम सेवा न्यास ) के अध्यक्ष तथा कामद कल्प तरु वन आश्रम अमरकंटक के श्रीमहंत जी का आगमन आज  हुआ है । उन्होंने होली की पावन पर्व के अवसर पर दो दिवसीय अमरकंटक के प्रवास पर रहेंगे । उन्होंने अमरकंटक में पहली बार होली के पावन पर्व पर पहुंचे है । वे सीधा महाराष्ट्र के नरखेड़ नागपुर पास कथा और यज्ञ पूर्ण करने के बाद अमरकंटक की ओर निकल पड़े । उन्होंने हमेशा चित्रकूट के कामदगिरि आश्रम पर होलिका पर्व मनाया करते थे । अमरकंटक में संत मिलन और प्रथम बार होली का पर्व समय आगमन हुआ जिससे वे स्वतः अति प्रसन्न है । स्वामी जी से मुलाकात बाद उन्होंने बताया कि पौराणिक प्रमाण तो यह है कि भक्त प्रहलाद के अस्तित्व को जलाने के लिए हिरण्य कश्यप की बहन होलिका ने भक्त प्रहलाद को अपने गोद में बिठाकर दहकती आग में बैठ गई । होलिका मतलब दोष , प्रहलाद का तात्पर्य भक्त निर्दोष । मतलब यह कि भक्त निर्दोष है फिर भी दोष रूपी  होलिका ने प्रहलाद को  गोद में लेकर जलती आग में बैठ गई ।  परन्तु निर्दोष भक्त प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ लेकिन बुआ होलिका ही जलकर भस्म हो गई । भक्त के स्पर्श से ही निर्दोष के दोष जलकर भस्म हो जाते हैं । स्वामी जी का कथन यह है कि हम लोगों को चाहिए कि अपने दोषों को निकाल कर होलिका दहन में उतार कर जला देना चाहिए । हम एक दूसरों से मिले और अपने दोषों को दूर करे और सद्भाव का समाज स्थापित करे । लोग जो रंगों की होली मनाते है वे सब खुशबूदार फूलों की होली मनाए । रंगों में बिसात प्रदूषण मिलावट रहती है जिससे बीमारियां फैलती है और बुराइयां भी पनप जाती है । रंगों की जगह फूलों की वर्षा करने से प्रसन्नता के साथ सद्भाव स्थापित होगा । हम कामदगिरी चित्रकूट के संतो को छोड़कर अमरकंटक में होली पर्व , संत मिलन हेतु आए हैं । यहां पर संत मिलन भी हो रहा है । हमारी ओर से सभी को होली की ढेर सारी बधाईयां और शुभाशीष । उनके आगमन पर संत लवलीन महाराज परमहंस धारकुंडी आश्रम , स्वामी राजेश आजाद झूलेलाल आश्रम , संत अखिलेश्वर दास , जय भोले आदि उपस्थित रहे ।