30 या 31अगस्त को मनाया जायेगा रक्षाबंधन पर्व, लेकिन रहेगा भद्रा, जानें राखी बांधने का मुहूर्त ज्योतिषाचार्य पंडित अखिलेश त्रिपाठी से
पंचांग के अनुसार इस बार रक्षाबंधन पर्व 30 अगस्त को मनाया जाएगा. हालांकि रक्षाबंधन के दिन इस बात का ख्याल रखना चाहिए की भद्रकाल एचबी में राखी नहीं बांधनी चाहिए. दरअसल, भद्रकाल अशुभ मुहूर्त है. इसलिए शुभ मुहूर्त में ही बहनों को अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधनी चाहिए.
*रक्षाबंधन पर पूरे दिन भद्राकाल*
ज्योतिषाचार्य पंडित अखिलेश त्रिपाठी ने बताया कि पूर्णिमा तिथि का आरंभ 30 अगस्त 2023 को प्रातः10:59 मिनट पर हो जायेगी जोकि अगले दिन प्रात: 07:04 तक रहेगी. इस दिन भद्रा प्रात: 10:59 से रात्रि 09:02 तक रहेगी. जो पृथ्वी लोक की अशुभ भद्रा होगी. अत: भद्रा को टालकर रात्रि 09:02 के पश्चात् मध्यरात्रि 12:28 तक आप राखी बांध सकते है.  शास्त्रों में भद्रा काल में श्रावणी पर्व मनाने भी निषेध कहा गया है और इस दिन भद्रा का काल रात्रि 09:02 तक रहेगा. इस समय के बाद ही राखी बांधना ज्यादा उपयुक्त रहेगा. पूर्णिमा के समय को लेकर पंचांग भेद भी हैं.
ज्योतिषाचार्य श्री त्रिपाठी ने बताया कि, हिंदू पंचांग के मुताबिक रक्षाबंधन सावन महीने की पूर्णिमा को हर साल मनाया जाता है. भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का यह त्योहार पूरे भारत में उत्साह के साथ मनाया जाता है और बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर भाई की लंबी उम्र की कामना करती है. वहीं भाई भी बहन की रक्षा करने का संकल्प लेता है. धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक रक्षाबंधन का पर्व भद्रा काल में नहीं मनाना चाहिए. धार्मिक मान्यता है कि, भद्रा काल के दौरान राखी बांधना शुभ नहीं होता है.
पौराणिक कथा के अनुसार लंकापति रावण को उसकी बहन ने भद्रा काल में राखी बांधी थी और उसी साल प्रभु राम के हाथों रावण का वध हुआ था. इस कारण से भद्रा काल में कभी भी राखी नहीं बांधी जाती है.
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, रक्षाबंधन का त्योहार 30 अगस्त को मनाया जाएगा. हिंदू पंचांग के मुताबिक, सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 30 अगस्त 2023 को 10:59 मिनट से होगा. पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा आरंभ हो जाएगी जोकि रात्रि 09:02 तक रहेगी. शास्त्रों में भद्रा काल में श्रावणी पर्व मनाने का निषेध कहा गया है और इस दिन भद्रा का काल रात्रि 09:02 तक रहेगा. इस समय के बाद ही राखी बांधना ज्यादा उपयुक्त रहेगा. पौराणिक मान्यता के अनुसार राखी बांधने के लिए दोपहर का समय शुभ होता है, लेकिन यदि दोपहर के समय भद्रा काल हो तो फिर प्रदोष काल में राखी बांधना शुभ होता है. 
*राखी बांधने का शुभ मुहूर्त*
रक्षाबंधन भद्रा पूंछ - शाम 05:32 - शाम 06:32
रक्षाबंधन भद्रा मुख - शाम 06:32 - रात 08:11
रक्षाबंधन भद्रा का अंत समय - रात 09:02
राखी बांधने के लिए प्रदोष काल मुहूर्त - रात्रि 09:03 - मध्यरात्रि 12:28 तक
अति आवश्यकता में मुहूर्त:- बुधवार 30 अगस्त 2023 को भद्रा प्रारम्भ के पूर्व प्रात: 06:09 से प्रात: 09:27 तक और सायं 05:32 से सायं 06:32 तक भी राखी बांधी जा सकती 
*रक्षाबंधन का महत्व*
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, रक्षा बंधन को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं. उन्ही में से एक है भगवान इंद्र और उनकी पत्नी सची की. इस कथा का जिक्र भविष्य पुराण में किया गया है. असुरों का राजा बलि ने जब देवताओं पर हमला किया तो इंद्र की पत्नी सची काफी परेशान हो गई थी. इसके बाद वह मदद के लिए भगवान विष्णु के पास पहुंची. भगवान विष्णु ने सची को एक धागा दिया और कहा कि इसे अपने पति की कलाई पर बांधे जिससे उनकी जीत होगी. सती ने ऐसा ही किया और इस युद्ध में देवताओं की जीत हुई. इसके अलावा रक्षाबंधन को लेकर महाभारत काल से जुड़ी भी एक कथा है. जब शिशुपाल के युद्ध के समय भगवान विष्णु की तर्जनी उंगली कट गई थी तब द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनके हाथ पर बांध दिया था. इसके बाद भगवान ने उनकी रक्षा का वचन दिया था. अपने वचन के अनुसार, भगवान कृष्ण ने ही चीरहरण के दौरान द्रौपदी की रक्षा की थी.