किसानों से टेस्ट रिपोर्ट के नाम से बेनिबारी जे. ई. कर रहे हैं अवैध वसूली

किसानों से टेस्ट रिपोर्ट के नाम से बेनिबारी जे. ई. कर रहे हैं अवैध वसूली
बेनीबारी: विद्युत विभाग के कर्मचारियों द्वारा उपभोक्ताओं एवं किसानों से अवैध वसूली करने का सिलसिला रुकने का नाम नही ले रहा है। ऐसा ही मामला विद्युत वितरण उपकेंद्र बेनीबारी से सामने आया, जहां विद्युत विभाग के कनिष्ठ अभियंता द्वारा उपभोक्ताओ से स्थाई एवं अस्थायी कनेक्शन के लिए टेस्ट रिपोर्ट के नाम से शासकीय फीस के अतिरिक्त एक हजार से दो हजार रूपये तक अधिक लिए जा रहे है। जे ई साहब की मनमानी से इन दिनों बेनीबारी उपभोक्ता और खासे परेशान है, किसानों से भी अस्थाई कनेक्शन (टी. सी.) के लिए टेस्ट रिपोर्ट के नाम से वसूली की जा रही है।
किसानों को हो रहा नुकसान
यह मौसम रबी फसल की सिंचाई का चल रहा है किसानों को पानी की जरूरत है ऐसे वक्त पर गांव में अस्थाई कनेक्शन के लिए किसानो द्वारा आवेदन किया जाता है तो बिना सुविधा शुल्क दिए उन्हें नया कनेक्शन नहीं दिया जाता । उसे अनुपपुर जिले में इलेक्ट्रिकल ठेकेदार के पास से टेस्ट रिपोर्ट बनवाने के लिए बोला जाता है, जिससे स्थानीय किसानों को नुकसान पहुंच रहा है।
नहीं आते समय पर उपकेंद्र
विद्युत वितरण विभाग बेनीबारी में स्थान्तरित होकर आये नए जे ई साहब यु के गुप्ता शहडोल स्थित अपने निवास से अप डाउन करते है उनके यहाँ उपकेंद्र में आने जाने का कोई निश्चित समय नहीं है ,कभी शाम को तो कभी रात में उनका आना होता है, इस स्थित में दिन भर से काम कर रहे आऊटसोर्स कर्मचारियों को देर रात तक मीटिंग के नाम से बैठाया जाता है।,उन्हें काम करने नहीं दिया जाता साथ ही समय से घर भी नहीं जाने दिया जाता। आऊटसोर्स कर्मचारियों द्वारा कुछ बोलने पर काम से निकलने की धमकी दी जा रही है। जिससे की कर्मचारी असमंजस की स्थित में है की वह अपने निर्धारित समय पर अपना काम करें या फिर उपकेंद्र में बैठकर जे इ साहेब के आने का इंतज़ार करें और उनके असमय आने के बाद देर रात तक मीटिंग करें।
जे इ कर रहे है पर्शनल काम में सरकारी वहां का उपयोग
बेनीबारी कनिष्ठ अभियंता, विद्युत् विभाग में मरम्मत और वसूली कार्य के लिए मासिक किराये के आधार पर लगे वाहन का उपयोग अपने निजी कार्य के लिए कर रहे हैं वे प्रतिदिन शहडोल से बेनीबारी आवागमन और अपने शहडोल स्थित घर के अन्य कार्यो में अनुबंधित वाहन का उपयोग करते है , इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की महज पंद्रह दिनों में इंजिनियर द्वारा अनुबंधित वाहन को लगभग 5600 किलोमीटर चलाई जा चुकी है जबकि महिने की स्वीकृत दूरी 3000 किलोमीटर है