हरपाल की मौत का जिम्मेदार कौन,जिला अस्पताल परिसर में हुई मौत ने खड़े किए कई सवाल,मुर्दा सिस्टम की गवाही देता मुर्दा पंचोली साहब 
अनूपपुर - जिला अस्पताल अनूपपुर की लापरवाही दिनों दिन बढ़ती ही चली जा रही है एक तरफ आज मंत्री दिलीप जायसवाल मोहन सरकार के एक साल पूरे होने पर सरकार की उपलब्धियां गिनाते रहे स्वास्थ्य सुविधाओं में कितना इजाफा हुआ ये भी बताते रहे,दूसरी तरफ कलेक्टर अनूपपुर हर्षल पंचोली को भी कई बार जिला अस्पताल की बदहाली की कहानी बताई गई उन्होंने भी माना कि सुधार की गुंजाइश है और धीरे धीरे सुधार किया जा रहा है पर आज सुबह जो हुआ सबकी पोल खोल कर सामने रख दिया
दरसल कोड़ां निवासी दारा सिंह पिता रामप्रसाद गोंड उम्र लगभग 35 वर्ष को कल दोपह जिला अस्पताल अनूपपुर में दर्द बुखार होने की वजह से भर्ती कराया गया था जिसका इलाज चल रहा था और आज सुबह लगभग चार बजे जिला अस्पताल की निर्माणधीन नई बिल्डिंग के पास दारा सिंह आ शव मिला अब सवाल यह उठता है कि जो व्यक्ति अस्पताल में भर्ती था आखिर वह निर्माणधीन बिल्डिंग के पास कैसे पहुंच गया दूसरी तरफ पता चला कि निर्माणधीन बिल्डिंग के पास आग जल रही थी और मृतक वहां गया और वही उसकी मौत हो गई जबकि मृतक की माँ रात लगभग दस बजे जिला अस्पताल से मृतक दारा सिंह को खाना खिला कर अपने घर चली गई थी मृतक के साथ रात में कोई नही था तो मृतक जो अस्पताल में भर्ती था वहां कैसे चला गया ड्यूटी में लगे जिम्मेदार आखिर कहां थे,
दूसरी तरफ अभी साम के 6 बजे जब हमने अस्पताल चौंकी में मौजूद ए एस आई हरपाल सिंह से बात की तो उनका कहना था मुझे अस्पताल से तहरीर ही नही मिली ,जरा गौर से सोचिए एक व्यक्ति की अस्पताल परिसर में मौत हो जाती है और जिला अस्पताल के जिम्मेदार पुलिस को तहरीर देना लाजमी नही समझते और बिना पोस्टमार्डम कराये शव परिजनों को सौंप देते है जिसका अंतिम संस्कार भी हो जाता है तो भला जिसके परिजन सही सलामत अस्पताल में छोड़ कर जिस मरीज को गये उसकी मौत निर्माणधीन बिल्डिंग के पास शव मिलता है उसके मौत के पीछे की वजह क्या थी किसी ने जानना उचित नही समझा कम से कम इस संदेहास्पद मौत की तहरीर पुलिस को देकर मृतक का पोस्टमार्डम करा कर उसके मौत की वजह तो पता कर लिये होते पर अपने गुनाहों पर पर्दा डालने के लिए जिला अस्पताल के जिम्मेदारों ने शव को वहां से उठवा कर चुप चाप परिजनों को सौंप दिया यह आलम है जिला चिकित्सालय अनूपपुर का और मंत्री से लेकर संत्री  तक व्यवस्थाएं दुरुस्त है पर इस व्यवस्था ने सब की पोल खोल कर रख दिया है अब इस मौत का जिम्मेदार कौन होगा ये कलेक्टर अनूपपुर हर्षल पंचोली तय करें और जिला अस्पताल की इस बदहाली के लिए कौन कौन जिम्मेदार है उनकी जिम्मेदारी तय होगी
और आखिर कार जिला अस्पताल के इस लापरवाह सिस्टम पर कब रोक लगेगी ये शायद किसी को नही पता पर जिला अस्पताल की इस तस्वीर ने इनके अकर्मण्यडता की पोल खोल कर सामने रख दी बिना पीएम के कैसे शव परिजनों कोड़े दिया कोई नियम कानून नाम की चीज बची है कि नही वही दूसरी यरफ लगभग 18 घंटे बीत जाने और शव का अंतिम संस्कार हो जाने तक पुलिस को तहरीर न देना ये साफ बताता है कि जिला अस्पाल के जिम्मेदारों ने इस मौत पर अपनी तरफ से मिट्टी डालने में कोई कोर कसर नही छोड़ी