हेतराम मिश्रा ने पिता के विस्थापन को लेकर उपक्षेत्रीय प्रबंधक आमाडांड ओ सी एम से रखी मांग 

 कलेक्टर अनूपपुर, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कोतमा और एरिया सर्वे ऑफिसर जमुना कोतमा क्षेत्र के समक्ष लगाई गुहार 

अभिषेक द्विवेदी 

कोतमा/ अनूपपुर जिले के कोयलांचल क्षेत्र में आमाडांड क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण के कई मामले लगातार सुर्खियों में रहते हैं और ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है, जब प्रार्थी हेतराम ने उपक्षेत्रीय प्रबंधक आमाडांड ओ सी एम को पत्र लिखकर मांग की है कि उनके पिता का मकान, जगदीश पिता रामसुन्दर मिश्रा के नाम से, वर्ष 2004 में आमाडाड खुली खदान परियोजना द्वारा अधिग्रहित कर लिया गया है।विस्थापन का लाभ वर्ष 2004 में, जो बालिग था, उसे दिया जा रहा है। जिस हिसाब से प्रार्थी को विस्थापन का लाभ प्राप्त हुआ। प्रार्थी के माता - पिता की मृत्यु वर्ष 2004 के बाद हुआ है। प्रार्थी हेतराम ने कहा कि वर्ष 2004 में मेरे माता पिता दोनो जीवित थे, जिनके विस्थापन की मांग मेरे द्वारा की जा रही है, लेकिन भू राजस्व विभाग द्वारा यह बताया जा रहा है कि वर्तमान में फौत व्यक्ति को विस्थापन का लाभ नहीं दिया जाएगा एवं आपको विस्थापन का लाभ दिया जा चुका है। इसलिए आपके पिता के विस्थापन की स्वीकृति नहीं दी जा सकती। प्रार्थी हेतराम मिश्रा ने शिकायती लहजे में कहा कि अगर 2004 में अवार्ड किए, तो उसी समय विस्थापित क्यों नहीं किया गया? अगर उस समय विस्थापन कर दिया गया होता, तो मेरे माता - पिता को विस्थापन का लाभ मिल जाता और अगर आज के हिसाब से दिया जा रहा तो आज जो बालिग है, उसे भी दिया जाए। अगर 2004 को कटऑफ मानकर विस्थापन दिया जा रहा है तो उस समय जो मकान अवॉर्डी जीवित थे, उन्हें विस्थापन की स्वीकृति प्रदान की जाए। प्रार्थी ने मांग की है कि पिता के नाम से अवार्ड मकान में पिता जगदीश को विस्थापन का लाभ दिया जाना चाहिए। ग्राम पंचायत निमहा ने भी प्रमाणित किया है कि प्रभावित परिवार अधिग्रहण से पूर्व लगभग 20 वर्ष से निवासरत है। अधिग्रहण वर्ष 2004 से पूर्व उक्त परिवार 20 वर्षों से निवासरत है। जबकि स्वर्गीय जगदीश प्रसाद मिश्रा पिता स्व. राम सुन्दर मिश्रा ग्राम निमहा पोस्ट चुकान, तहसील कोतमा, जिला अनूपपुर के निवासी थे। ग्राम पंचायत के प्रमाणीकरण के बाद उक्त परिवार की मांग पर अब कॉलरी प्रबन्धन क्या निर्णय लेगा, यह तो वक्त ही बताएगा।