कोतमा में कमलनाथ की जिद, जी-23 की प्रतिज्ञा और कांग्रेस प्रत्याषी के कर्म से मिली करारी हार बडे बे-आबरू होकर कोतमा से हारे सुनील सराफ

कोतमा में कमलनाथ की जिद, जी-23 की प्रतिज्ञा और कांग्रेस प्रत्याषी के कर्म से मिली करारी हार
बडे बे-आबरू होकर कोतमा से हारे सुनील सराफ
इन्ट्रो- बड़ी भी आबरू होकर तेरे कुचे से निकले हम यह पंक्तियों में कोतमा विधानसभा चुनाव में पराजित कांग्रेस पूर्व विधायक सुनील शराब पर अक्षरस लागू हो रही है वहीं कुछ लोग यह भी गुनगुना रहे हैं मुझे अपनों ने हराया गैरों में कहां दम था मेरी कश्ती वहीं डूबी जहां पानी सबसे कम था फिलहाल हार जीत के बाद समीक्षा विचार मंथन विश्लेषण का होना परंपरा में है और राजनीतिक पार्टियों इसके लिए बैठकों का दौर भी शुरू कर चुकी है लेकिन कोतमा कांग्रेस के प्रत्याशी सुनील सराफ के लिए तो यह हार एक ऐसी हार है जिससे उनका राजनीतिक भविष्य ही खत्म होने के कगार पर खड़ा दिख रहा है।
अनूपपुर। 2023 के विधानसभा चुनाव की शंखनाद होने के साथ-साथ शहडोल संभाग की एकमात्र सामान्य सीट कोतमा विधानसभा में जिस तरह से आगाज हुआ था उसका परवाज इतना खतरनाक होगा इसकी संभावना किसी को नहीं थी। कांग्रेस प्रत्याशी सुनील सराफ के हार के कारण भले ही हजार हो लेकिन इसे एक लाइन में कहा जाए तो बस यही कहा जा सकता है कि कोतमा में कांग्रेस की हार नहीं हुई व्यक्तिगत प्रत्याशी के अहंकार ने ही उसे ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है कि वह अपने समर्थकों के बीच में बैठकर हार का गम भी साझा नहीं कर पा रहा है। बीच मतगणना में ही अपनी हार का आभास होने के बाद मतगणना स्थल छोड़कर निकल रहे कांग्रेस प्रत्याशी ने भले ही जाते जाते हाथ को हिलाते हुए यह कहा कि अभी नाश्ता करके लौट के आता हूं लेकिन वहां पर मौजूद मीडिया कर्मियों में इस बात का विश्वास था कि अब यह मतगणना स्थल पर लौटकर नहीं आने वाले हैं। यही नहीं हार के गम के लक्षण उनके चेहरे पर नजर आ रहे थे और वह जिस तरह से या यह कहा जाए कि जिस रास्ते से अपने घर कभी नहीं गए होंगे उसी रास्ते से घर पहुंचे उसके बाद वह किसी को नजर नहीं आए जो जनता में चर्चा का विषय बना हुआ है।
जी 23 में दिखाई ताकत अशोक त्रिपाठी बने चाणक्य
कोतमा विधानसभा में भले ही भाजपा की लहर भाजपा प्रत्याशी को जिले में सबसे ज्यादा मतलब 23000 से जीत का कारण बनी हो लेकिन यह तय है कि भाजपा प्रत्याशी की जीत के लिए नीव जी-23 ने ही तैयार की है। 2023 के इस विधानसभा चुनाव में जी-23 की अहम भूमिका से कोई भी इनकार नहीं कर सकता। कांग्रेस के बड़े नेताओं को खुल्लम-खुल्ला कहकर जब कांग्रेस प्रत्याशी सुनील सराफ को टिकट न देने की बात कहीं जा रही थी तो उसका मजाक उड़ाने वाले भी अब जब परिणाम सबके सामने है तो जी-23 की ताकत की चर्चा करने में व्यस्त हैं। जी-23 की चर्चा हो तो अशोक त्रिपाठी की भूमिका की चर्चा किए बिना यह चर्चा अधूरी मानी जाएगी। जिस तरह से कहा जाता है कि जब तक तुम्हें पटक नहीं दूंगा चैन से नहीं बैठूंगा इस तरह का व्रत धारण करके अशोक त्रिपाठी ने जिस तरह से भाजपा प्रत्याशी की जीत में जी-23 की ताकत को अंत तक एक सूत्र में पिरोकर लक्ष्य पर निशाना साधे रखा वह अपने आप में उनको एक जीवट न टूटने वाला एक कुशल चुनावी रणनीतिकार या यह कहा जाए कि कोतमा की चुनावी राजनीति का चाणक्य की उपाधि दी जा सकती है। फिलहाल जी-23 का हर वह सदस्य भाजपा की जीत में एक अहम भूमिका निभाया है लेकिन जिस उद्देश्य को पूरा करने के लिए जी-23 का गठन हुआ था उसे उद्देश्य को सफलता के साथ एक अंजाम तक पहुंचाना बिना अशोक त्रिपाठी की संभव नहीं था इस बात को अब उनके विरोधी भी स्वीकार कर रहे हैं।
कमलनाथ की जिद ले डूबी कोतमा में कांग्रेस को
विधानसभा 2023 का चुनाव जी-23 और 23 हजार से हार भले ही सयोंग हो लेकिन इस हार की संभावना तो बहुत पहले और लगभग सभी राजनीतिक विश्लेषक कर रहे थे लेकिन इतनी करारी हार होगी यह किसी को आशा नहीं थी। फिलहाल अब कांग्रेस प्रत्याशी की हार के बाद आम जनता में जो चर्चा है वह यही है कि अगर कांग्रेस के बड़े नेता और मध्य प्रदेश के चुनाव को अपने कंधों के सहारे जीत का परचम लहराने के लिए तैयार प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ कोतमा विधानसभा के कांग्रेसी कार्यकर्ताओं की बात मान लेते तो कोतमा विधानसभा से कांग्रेस की स्थिति वद से बदतर ना होती स फिलहाल कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कोतमा विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेसियों की आवाज को दबाकर केवल अपनी जिद पूरी करने के लिए सुनील सराफ को भारी विरोध के बावजूद टिकट दे दिया। कोतमा के राजनीतिक विश्लेशको की माने तो मतदान के आएं वक्त दो दिन पहले जी-23 के नेताओं का कांग्रेस से निष्कासन से ही सुनील सराफ हर पर मोहर लग गई थी।