कोयले की चोरी रोकने के लिए कालरी प्रबंधन ने एस आई एस एफ की टीम कर रक्खी है तैनात

कोयले की चोरी रोकने के लिए कालरी प्रबंधन ने एस आई एस एफ की टीम कर रक्खी है तैनात
कोतमा। कोतमा क्षेत्र में कोयला चोर काट रहें चांदी, जिमेदारों ने साधी चुप्पी कोतमा से प्राप्त सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर यह कहना उचित है कि वर्तमान में जमुना कोतमा क्षेत्र में कोयले की चोरी जहां एक ओर आम बात हो गई है, वहीं जिम्मेदारों ने इस बात से अपनी आंखें बंद कर ली हैं। जहां समूचे जमुना-कोतमा क्षेत्र की लगभग हर खदानों से लगातार कोयला चोरी की खबरें आमतौर पर निकल कर आ ही रही हैं, वहीं जमुना कोतमा क्षेत्र के एकमात्र साइडिंग गोविंदा में तो चोरों ने अपना मुख्यालय ही बना लिया है। कोयले की चोरी रोकने के लिए प्रबंधन भले ही लाख जतन कर ले, लेकिन जिम्मेदार ही अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने लगे, तो चोरी पर अंकुश कैसे लगेगा? लगभग हर माह एस आई एस एफ की टीम को कॉलरी प्रबंधन द्वारा सुरक्षा के नाम पर करोड़ों रुपए भुगतान किए जाते हैं, उसके बाद जहां कोयला चोरी की घटनाएं रुक जानी चाहिए थी, वहीं कोयले की चोरी में निरंतर इजाफा ही देखने को मिला है। एक ओर तो प्रबंधन द्वारा कोयला उत्पादन में कमी का रोना हमेशा रोया जाता है, वहीं दूसरी ओर लाखों-करोड़ों रुपए एस आई एस एफ की तैनाती में खर्च कर दिए जाते हैं। इसके बावजूद भी लाखों-करोड़ों का कोयला हर महीना चोरों द्वारा बेखौफ होकर पार कर दिया जाता है। वहीं चोरों द्वारा ये तक कहते सुना गया कि अब तो ष्सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का। पहले जो काम चोरी छुपे रात के अंधेरों में किया जाता था, अब वही चोरी का काम सुबह से शाम तक खुलेआम लगातार किया जा रहा है। ऐसा कदापि नहीं हो सकता की जिम्मेदारों को इसकी भनक ही न हो, क्योंकि इतनी बड़ी मात्रा में कोयले की चोरी कहीं ना कहीं जिम्मेदारों की मिलीभगत की ओर इशारा करती है,इतना ही नही जगह-जगह बने अवैध ईंट के भट्टे भी शासन प्रशासन की नजरों से ओझल ही हैं, जबकि चोरी के कोयले का एक बहुत बड़ा हिस्सा इन ईंट भट्ठों में ही खपाया जाता है और ये कहा जा सकता है कि क्षेत्र में कोयला चोरी की सबसे खास वजह अवैध ईंट भट्टे हैं, जो कि जगह-जगह फल-फूल रहे हैं। वहीं ईट पकाने के लिए सबसे जरूरी तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाला कोयला भी बेहद ही सुलभता से उपलब्ध हो जाता है, लेकिन न तो अवैध ईट भट्टों पर शासन प्रशासन की नजर जाती है, और न ही प्रशासन द्वारा इस बात की कभी जांच की जाती कि इन भट्टों में प्रयुक्त कोयले की आवक दरअसल कहाँ से होती है।
कोयले की दिनदहाड़े चोरी से बड़ी दुर्घटना की संभावना
कोयला चोरी करने वाले अधिकतर युवा बिना नंबर प्लेट की मोटरसाइकिल के माध्यम से एक बार में 5-6 बोरी कोयला लेकर जब कॉलोनी की सड़कों से निकलते हैं, तो उनकी स्पीड दुर्घटना को निमंत्रण देने वाली होती है। चोरी के कोयले को जल्द से जल्द सुरक्षित ठीहे में किस तरह पहुंचाया जाए, इस जल्दबाजी में किसी दिन बड़ी दुर्घटना संभवना लगातार बनी हुई है,और इस बात का आम नजारा जिम्मेदारों द्वारा गोविंदा लहसुई कैंप के मुख्य मार्गो पर रोजाना देखा जा सकता है और वहीं कोयला चोरी में इस्तेमाल किये जाने वाले वाहन अमूमन चोरी के ही उपयोग किए जाते हैं, जिससे दुपहिया वाहन चोरी की घटनाएं भी क्षेत्र में बढ़ीं हैं। ऐसे में कॉलरी प्रशासन के साथ-साथ अन्य जिम्मेदारों को इस ओर जल्द ही संज्ञान लिया जाना चाहिए जिससे एक ओर बड़े राजस्व घाटे को कम किया जा सके साथ ही समय रहते किसी बड़ी दुर्घटना से भी बचा जा सके।