कोल इंडिया उद्योग में कामगर हीतों की रक्षा के लिये प्रतिबद्ध है इंटक-विक्रमा सिंह
अनूपपुर । कोयला उद्योग में केन्द्र सरकार इंटक को पीछले सात वर्ष से अपने राजनैतिक हीतों को ध्यान में रखकर जेबीसीसीआई से बाहर रखा । और इंटक कलकत्ता हाई कोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट से जीत कर पुनः 11वें जेबीसीसीआई में शामिल हुआ है । चुकि इंटक के शामिल होने से पूर्व 8 बैठक पहले हो चुके है । इंटक 9वीं बैठक में पहली बार शामिल रहा और कल 19 मई 2023 को कलकत्ता में होने वाले 10वीं बैठक में दूसरी बार शामिल होगा । पीछली बैठकों में 19प्रतिशत एमजीबी का प्रस्ताव पास कर भारत सरकार के पास अनुमोदन के लिये भेजा गया । अभी तक अनुमोदित हुआ की नही स्थिति स्पष्ट नही है कल की बैठक में स्पष्ट होगी । कोयला उद्योग के 2लाख 40 हजार कामगार एक लम्बे अर्से से 11वीं वेतन समझौता के आसॅ लगाये ट्रेड युनियन और प्रबन्धन ओर टक टकी लगायें देख रहे है । मध्यप्रदेश इंटक के प्रदेश सचिव विक्रमा सिंह ने कहा कि इंटक कोल इंडिया उद्योग में कामगरों के हीतांे की रक्षा के लिये  प्रतिबद्ध है । श्री सिंह बताये कि कोल इंडिया के राष्ट्रीय महामंत्री एस.क्यू.जामा ने कल बैठक में जाने से एक घण्टा पूर्व चारों युनियन के साथियों से अपील किये है कि हम सभी का आपसी बैठक हो जाये ताकि युनियन की भी तैयारी बनी रहे ।श्रीसिंह ने कहा की हमारे जामा जी पर कोयला कर्मीयों को विश्वास रहता है कि इंटक बैटक में शामिल है तो बेहतर ही समझौता होगी। क्योकि जामा जी हम सभी को अवगत करा चुके है कि मेडिकल स्कीम सीपीआरएमएस -एन.ई.में अधिकारियों को 25 लाख की चिकित्सा सुविधा एवं कामगारों को 8 लाख की चिकित्सा सुविधा जो भारी विसंगतिया है और  9 3 0, 9 4 0, 9 5 0  के अतंगर्त गम्भीर रूप से अस्वस्थ्य कामगारों का कम्पनी में लगभग 6 वर्ष से मेडकल नही हो रहा ,इंटक इस विषय पर गम्भीर है ।  वही प्रबंधन के अण्डर ग्राउण्ड एलाउन्स को फ्रीज करने की कोशिश को युनियन सफल नही होने देगी । फिमेल व्ही.आर.एस. के मुददे के साथ सेवा निवृत कामगारों के ग्रेच्युटी भुगतान में भारी विसंगतिया है जिसे बैठक में उठायेगी इंटक । इंटक राष्ट्रीय सचिव व जेबीसीसीआई सदस्य एवं एसईसीएल इंटक के केन्द्रीय अध्यक्ष गोपालनारायण सिंह ने बताये कि कोल के हाई पावर कमेटी  ने 2013 में ही कोयला उघोग में कार्यरत ठेकेदारी मजदूरों के सामाजिक सुरक्षा व मेडिकल सुविधायें जैसे कई सुविधाये लागू करने की नीति निर्धारण तय किया लेकिन प्रबन्धन उसे व्यवहार में लागू नही कर पाया है । इस पर विषय को गम्भीरता से बैठक में उठाया जायेगा ।