मुश्किल में फंसी भाजपा,कोतमा विधानसभा फिर हार की कगार पर 
जैसे चुनाव का समय करीब आता जा रहा है वैसे वैसे राजनीतिक सरगर्मी तेज होती जा  हलाकि अभी तक चुनाव की तारीखों का अधिकृत ऐलान नहीं किया गया है लेकिन कोतमा विधानसभा चुनाव में चौसर की जरूरत के लिए हंगामा मचा हुआ है   कहते हैं ये देश तो चुनाव के लिए जीता है और चुनाव के लिए ही मरता है चुनाव का ऐलान होते ही इस देश की सिराओ में आक्सीजन दौड़ने लगती है और सियासी सोर की गूंज स्पष्ट सुनाई देने लगती है! अब शहडोल संभाग की इकलौती सामान्य विधानसभा सभा सीट कोतमा लौट चलिए और भाजपा के वर्तमान उम्मीदवार के सियासी जमीन की   नब्ज को  टटोलिए या फिर उस मोटी लकीर के बीच खड़े हो जाइए जिसके इस पार और उस दोनों ही ओर दोहरी चुनौती दिखाई देती है जी एक ओर जहां भाजपा के स्थानीय नेताओं को साधने की चुनौती वही दूसरी तरफ बिजुरी नगर की जनता की नाराजगी को दूर करने की बड़ी चुनौती का सामना उनको करना पड़ सकता है जाहिर है   भारतीय जनता पार्टी ने कोतमा विधानसभा क्षेत्र में उम्मीदवारी के इर्द-गिर्द दिलीप जायसवाल पर दांव लगाया है  स्मरणीय है  कि दिलीप जायसवाल वो चेहरा है जो पहचान का मोहताज नहीं है इस बात से भला कौन और कैसे इंकार कर सकता है लेकिन उनके बड़े सियासी कद के पीछे जनता के जनादेश बड़ा योगदान है इस  बात का उल्लेख इसलिए क्योंकि याद कीजिए वर्ष २००८   में कोतमा विधानसभा क्षेत्र की जनता ने जनादेश देकर प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायत विधानसभा के भीतर भेजा था और सौभाग्य से उस वक्त सूबे में भारतीय जनता पार्टी की सरकार भी बनी थी  और जिस दिन पहली बार उन्होंने विधानसभा की सीढ़ियों पर मत्था टेका लगा तो यही की प्राण-प्रतिष्ठा हो गई और ऐसे में लोगों के बीच उम्मीद तो यही जगी थी कि कोतमा विधानसभा क्षेत्र का समुचित विकास होगा जनता को न्यूनतम बुनियादी सुविधाएं मयस्सर होगी उनके गृह ग्राम बिजुरी नगर की सबसे ज्वलंत और दसकों पुरानी पेयजल समस्या का स्थाई समाधान होगा बिजुरी नगर के १५ वार्डों के हर घर में केवयी नदी का पानी नलों के आसरे पहुंच जाएगा और लोगो को स्क्क्ष पानी पीने के लिए मिलने लगेगा इसी के ठीक समानांतर लोगों के स्वास्थ्य सुविधाओं के मद्देनजर बिजुरी नगर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा मिलेगा और लोगों को अपने इलाज के लिए मनेंद्रगढ़ का रुख अख्तियार नहीं करना पड़ेगा इसी तरह से पूरा कोतमा विधानसभा क्षेत्र विकास की मुख्य धारा से जुड़ेगा लोग लालाइत नजरों से उक्त समस्यायों के अक्स तले उस   वक्त के विधायक दिलीप जायसवाल की ओर देख रहे थे  लेकिन विधायक बनने के बाद उन्होंने कोतमा का विकास तो दूर अपने गृहनगर बिजुरी नगर के लोगों की बुनियादी सुविधाओं की ओर जरा भी ध्यान दिया नहीं और पूरे पांच वर्ष तक अपनी सियासत को जिस तरह से रचा और बसा  उसके साए तले लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया और बिजुरी नगर के जनता की  विकास उम्मीदें धराशाई होती चली गई एक कर पांच वर्ष का वक्त बीत गया लेकिन बिजुरी नगर की पेयजल समस्या का समाधान हो नहीं पाया  और लोगों के जीवन से जुड़े हुए मुद्दे पर उनके द्वारा बिजुरी नगर में एक बड़ा अस्पताल का निर्माण अवश्य कराया है लेकिन अस्पताल के बड़े भवन के निर्माण होने के बावजूद भी उन्होंने बिजुरी नगर के अस्पताल के  सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा दिलाने में सफल हो नहीं पाए कहते हिन्दुस्तान की ताकत तो राजनीतिक सत्ता में बसती है फिर मतलब साफ है सत्ता भाजपा की ऐसे में हर सियासत नतमस्तक थी हर समीकरण धराशाई थे बिजुरी नगर को विकास की मुख्य धारा से जोड़ा जा सकता था स्वास्थ्य सुविधाओं के इर्द-गिर्द बिजुरी नगर में सर्व सुविधायुक्त अस्पताल बनाया जा सकता था केवयी नदी का पानी घर घर पहुंचाया जा सकता था बिजुरी नगर के नागरिकों  की बुनियादी सुविधाओं पूरा किया जा सकता था लेकिन ऐसा हो नहीं पाया जिसके कारण बिजुरी नगर में उनकी सियासत का ग्राफ ढहढहा कर गिर गया  जिसका परिणाम बीते विधानसभा चुनाव में देखने को भी मिला था उल्लेखनीय है कि बीते विधानसभा चुनाव वर्ष २०१८ में भी भाजपा ने दिलीप जायसवाल को अपना उम्मीदवार बनाया था लेकिन वो विजय परचम लहरा नहीं पाए थे इसी तरह से भाजपा बिजुरी और कोतमा के नेता कौन सा रुख अख्तियार करते हैं ये देखना दिलचस्प होगा भाजपा के नेता खामोश  रहते है भाजपा प्रत्याशी के कदम से कदम मिलाकर पार्टी गाइडलाइंस के तहत् वोटों की फसल काटने में सहयोग प्रदान करते हैं या फिर अंदर ही अंदर अपने समर्थकों को संदेश देते हैं कि जो बीते विधानसभा चुनाव में डैमेज किया गया था वैसी ही विसात इस बार भी बिछाना है? ज्ञातव्य है कि बीते विधानसभा चुनाव में भाजपाइयों ने ही भाजपा को हराने में कोई भी कोर कसर छोड़ी नहीं थी  जब चुनाव प्रचार चरम सीमा होगा कौन से समीकरण बनते हैं नहीं मालूम भाजपाइयों द्वारा कैसा रुख अख्तियार किया जाता है ये भी नहीं मालूम कोतमा और बिजुरी नगर ग्रामीणों के दिल में क्या है ये भी नहीं मालूम लेकिन इतना तो तय है कोतमा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा समर्थित प्रत्याशी को  विजय परचम लहराने के लिए कड़ी मशक्कत करना होगा और दोहरी चुनौती से जूझना होगा अब इस विसात पर वो कहां तक सफल हो पाते हैं ये देखना होगा!