नगरपरिषद जैतहरी में आम आदमी का प्रवेश वर्जित,अध्यक्ष उमंग गुप्ता गुंडई पे उतारू,मामला पहुंचा थाने - विजय उरमलिया की कलम से

नगरपरिषद जैतहरी में आम आदमी का प्रवेश वर्जित,अध्यक्ष उमंग गुप्ता गुंडई पे उतारू,मामला पहुंचा थाने
अनूपपुर - जैतहरी का दुर्भाग्य ही कहा जायेगा जो जनता ने उमंग गुप्ता को पार्षदी का चुनाव जीता दिया और अब कहावत बंदर के हाथ मे उस्तरा थमा देना जैसा चरितार्थ हो रही है आज एक ऐसी ही घटना ने ये बता दिया कि जैतहरी नगर परिषद उमंग गुप्ता के पिता अनिल गुप्ता की जागीर साबित हो रही है चूंकि आये दिन इनके कृत्य बताते है कि आम आदमी तो दूर की बात है स्वयं परिषद के कर्मचारी अपने हिसाब से एक काम नही कर सकते और खास तौर पर अगर बात की जाए सूचना के अधिकार की तो जैतहरी नगर परिषद में दम तोड़ रहा है परिषद के अध्यक्ष उमंग गुप्ता के निर्देशों पर सूचना के अधिकार के तहत जानकारी देने पर रोक लगा दी गई है और अब जब कोई चाही गई जानकारी से संबंधित मामले में परिषद में जानकारी लेने जाता है तो परिषद के अध्यक्ष ने तय कर लिटा है कि जो भी सूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगेगा तो अध्यक्ष महोदय उन पर हांथ भी छोड़ देंगे उमंग गुप्ता जी आप चंद वर्षों के लिए परिषद के अध्यक्ष चुने गये हो अगर यही हश्र रहा तो जनता आप का हाल भी आप के पिता अनिल गुप्ता जैसा जनता करेगी और दोबारा शायद ही आप परिषद में घुसने के काबिल बचो और परिषद आप की जागीर नही ये नगर के जनता की जागीर है जब चाहे तब आएं और जानकारी मांगे आप होते कौन है रोकने वाले,और अभद्रता करने वाले,
आज ऐसे ही एक मामले में महेश प्रजापति ने जैतहरी थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराते हुए अपनी आप बीती सुनाई और शिकायत में लिखा कि किस तरह से परिषद के अध्यक्ष उमंग गुप्ता ने एक तरफ जहां कलर पकड़ कर बत्तीमीजी की और परिषद से बाहर निकाल दिया धक्का मारते हुए वही कई तरह की अभद्र शब्दों का स्तेमाल करते हुए गालियों की बौछार कर दी दुर्भाग्य जनक तो यह है कि आप जनता के नौकर है और जनता ने अपना नौकर चुना था कोई तानाशाह नही पर आप का रवैया बताता है कि आप के ऊपर पिता के राजनैतिक रसूख का भौकाल चढ़ा हुआ है पर ये जनता है कब किसका भौकाल उतार दे पता भी नही चलता,और वैसे भी जबसे आप परिषद की कुर्सी पर विराजमान हुए है परिषद खुद सोच रही होगी कि कौन सा अभिशाप था जो भस्मासुर स्वयं विराज गये,हम ऐसा इसलिए कह रहे है कि पिछले लगभग एक साल में एक काम ईमानदारी से परिषद में हुआ हो तो जैतहरी की जनता के सामने खुल कर रखिये हर काम मे भृष्टाचार की बू आ रही है और खास तौर से खरीदी मामले में तो आपने सारी हदें पार कर दी है दुर्भाग्य जैतहरी नगर का है जो आप जैसा अध्यक्ष पाया और आज सिर्फ पछतावे के कुछ नही बचा पर आप शायद भूल गए कि आप के सिर्फ पांच साल है और यहां की जनता तो हर बार मतदान करेगी