रेत कंपनी से सांठगांठ कर चचाई खदान चालू कराई खनिज विभाग ने,सूत्रों के हवाले से खबर बड़े सौदेबाजी में बनी बात 

अनूपपुर - कहते है जब बाड़ ही खेत  खाने में आमादा हो जाये तो किसी जानवर की जरूरत नही और ऐसा ही कुछ हाल खनिज विभाग का है जो रेत कंपनी के साथ सांठगांठ कर रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन को संरक्षित करने का काम करती है,दरसल चचाई खदान विवादों में है उसके पीछे की वजह है ओपीएम पेपर मील का कैचमेंट एरिया चूंकि ओपीएम का डैम बना हुआ है आगे और उसके जल भराव का क्षेत्र बाबा कुटी के पास तक है पर इस बार सारे नियम कानून को ताक में रखते हुए खनिज विभाग और रेत कंपनी एसोसिएट कामर्स ने माइनिंग कार्पोरेशन को गुमराह करते हुए गलत जानकारी दे कर इसी जारी करवाई गई सवाल यह है कि जब केजी डेवलपर्स कंपनी का ठेका था तो यही खनिज विभाग बाबा कुटी से पहले मानपुर तरफ चचाई खदान बताते हुए सीमांकन कर खदान चालू करवाई थी तो फिर अब बाबा कुटी से एक किलोमीटर आगे चचाई आबादी की तरफ खदान कैसे पहुंच गई जबकि यह क्षेत्र ओपीएम के जलभराव का क्षेत्र है,और आखिर कब सीमांकन कर दिया गया जब वहां पानी भरा हुआ था तो सीमांकन क्या नाव में बैठ कर खनिज विभाग ने किया या फिर सब कुछ हवा हवाई,इस पूरे मामले में जिला खनिज विभाग और रेत कंपनी ने एनजीटी को भी गुमराह किया जो खदान पहले से ही डूब क्षेत्र घोषित है भला वहाँ से रेत निकालने की परमिशन मिली कैसे इस सब के पीछे पूरा एक सिस्टम काम कर रहा है जो गलत और भ्रामक दस्तावेज़ से   गुमराह कर इसी जारी करवाता है,
और अगर चचाई खदान चचाई आबाद में है तो इससे पहले बाबा कुटी से पहले खनिज विभाग ने कैसे चचाई के नाम पर खदान चलाने की अनुमति दी,
हमारे सूत्र बताते है कि इस पूरे खेल में खनिज विभाग ने दो लाख रुपये बतौर चढ़ोत्तरी ली है अगर ये सच नही है तो एक ही खदान का लोकेशन कैसे चेंज हुए