अज्ञात वाहन से टकराने पर किरर में मादा चीतल की मौत, अधिकारियों की उपस्थिति में हुआ दाह संस्कार-  रिपोर्ट@  शशिधर अग्रवाल अनूपपुर
अनूपपुर। जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर पर स्थित किरर घाट मे मंगलवार की सुबह अज्ञात वाहन की ठोकर से बुरी तरह कुचछने पर एक मादा चीतल की मौत हो गई जिसकी सूचना एक राहगीर द्वारा दिए जाने पर वन विभाग ने कार्यवाही करते हुए वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में दाह संस्कार किया। इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार शहडोल-अमरकंटक मुख्य मार्ग के मध्य की किरर बीट के किरर गांव में वन चौकी के समीप कक्ष क्रमांक पी.एफ. 382 मे मंगलवार की सुबह राजेंद्रग्राम से शहडोल की ओर जा रहे अज्ञात वाहन से टकराने पर खेतो से आहार खा कर जंगल की ओर जा रहे शाकाहारी वन्यप्राणी मादा चीतल जो दो वर्ष के लगभग उम्र की रही है की बुरी तरह कुचलने से मौत हो गई घटना की जानकारी राजेंद्रग्राम निवासी प्रमोद शर्मा जो परिवार के साथ जा रहे थे ने मादा चीतल को मृत स्थिति में रोड मे पड़ा देखने पर जिला मुख्यालय अनूपपुर के वन्यजीव संरक्षक शशिधर अग्रवाल को सूचना दिए जाने पर श्री अग्रवाल द्वारा वन विभाग किरर के कर्मचारियों को सूचित करते हुए स्वयं घटना स्थल पर पहुंचे इस दौरान मृत मादा चीतल के शव का पंचनामा एवं पशु चिकित्सक डॉक्टर योगेश चन्द्र दीक्षित एवं उनके सहायक संतकुमार श्याम के द्वारा शव विच्छेदन की कार्यवाही की गई मृत मादा चीतल को पूरे सम्मान के साथ कफन, फूल अर्पित करते हुए  प्रभारी एस.डी.ओ.वन अनूपपुर बादशाह रावत, तहसीलदार अनूपपुर गौरीशंकर शर्मा, वन परिक्षेत्र अधिकारी अनूपपुर स्वर्ण गौरव सिंह, परिक्षेत्र सहायक किरर देवेंद्र कुमार पांडे, वन्यजीव संरक्षक अनूपपुर शशिधर अग्रवाल, वनरक्षक किरर हरिशंकर महरा, मो. रहीस खान, वनचैकी किरर के वन कर्मचारियो एवं सुरक्षा श्रमिको की उपस्थिति में दाह संस्कार किया गया। ज्ञातब्य है कि वन क्षेत्र से घिरे किरर क्षेत्र में चीतल प्रजाति के शाकाहारी वन्य प्राणियों की संख्या दिन पर दिन वन एवं वन प्राणियों के संरक्षण के कारण बढ़ी है जो दिन भर जंगल में स्थित अपने रहवास क्षेत्र में रहने, विचरण करने बाद देर शाम-रात को खाने की तलाश में जंगल से गांव की ओर निकलते हैं इस दौरान बीच में मुख्य मार्ग होने के कारण सभी तरह के वाहन तेज गति से चलने से वन्यप्राणी वाहनों के शिकार हो जा रहे हैं इस दिशा में वनो, वन्यप्राणियो के प्रति रुचि रखने वाले एवं वन्यजीव संरक्षकों द्वारा समय-समय पर जिला प्रशासन एवं वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को मार्ग के दोनों ओर चीतलो के विचरण स्थानों पर सर्वेक्षण कर बाउंड्री या अन्य व्यवस्था का आग्रह किया गया किंतु वर्तमान समय तक किसी भी तरह की कार्यवाही न होने से विगत एक वर्ष के मध्य अनेको शाकाहारी वन्यप्राणी वाहनों की चपेट में आकर अपनी जान गवा चुके हैं।