कोतमा विधानसभा एक ही सुनील सराफ काफी है ,कई सुनील सराफों की आवश्यकता नही 
अनूपपुर - राजनैतिक अटकलों का बाजार गर्म है और हो भी क्यों न जो चुनावी दौर आ चुका है पर अब जो आवाज निकल कर आ रही है उससे ये तो साफ हो चुका है कि भाजपा की मुश्किलें जिले में कम होने का नाम नही ले रही,और खासतौर से कोतमा विधानसभा जो संभाग की एक मात्र सामान्य सीट है और यहां सामान्य वर्ग की लगातार उपेक्षा दोनो पार्टियां करते आ रही है पर एक बार भाजपा के द्वारा प्रत्याशी चुनाव के बाद सुगबुगाहटों का दौर चल निकला है या यूं मान लीजिये कांग्रेस को भाजपा ने वॉकओवर दे दिया है अब तो चर्चा यहां तक गर्म है कि कोतमा विधानसभा के लिए एक ही सुनील सराफ काफी है बर्बादे गुलिस्ता के लिए कई सुनील सराफ की जरूरत नही इसके पीछे का जो तर्क जनचर्चा में है वो कोतमा विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी बनाये गये दिलीप जायसवाल को लेकर है चूंकि इनके विधायकी कार्यकाल में लोगों का मानना है इनसे बड़े विधायक इनके भाई और परिवार के लोग हो जाते है और लोगों को दिलीप जायसवाल से नही इनके भाइयों और उन लोगों से है जो खुद को विधायक समझने लगते है,दूसरी तरफ अब तो लोग खुल कर यह भी कह रहे है कि एक सुनील सराफ को झेलना ही ठीक रहेगा कई सुनील सराफों की जगह कुल मिला कर हालात ऐसे बन गये है कि कोतमा विधानसभा में अब कांग्रेस किसी को टिकट दे दे कांग्रेस के लिए डगर आसान हो गई है हालांकि कोतमा विधायक सुनील सराफ कोई दूध के धुले नही है इन महोदय पर जिस जिस तरह के आरोप लगे है कोई भी विधायक नही चाहेगा कि उन पर ऐसे आरोप हो और एक बार नही अनेक बार विवादित रहे या यूं कह लीजिए कि सारी विधायकी विवादों में गुजर गई तो कोई अतिशोयक्ति नही होगी,वही दूसरी तरफ खास तौर से भाजपा के द्वारा ब्राम्हणों को दरकिनार करने का खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है,तो दूसरी तरफ कांग्रेस में कई दावेदार है फिलहाल सुनील सराफ पहले पायदान पर अब भी जमे हुए है और जो समीकरण बनने लगे है उससे तो ये भी साफ होता दिखाई दे रहा है सुनील सराफ की टिकट कटवाने की ताल ठोंकने वाले अब अगर टिकट मिलती है तो पार्टी के लिए काम करते दिखाई देंगे वही भाजपा में बिल्कुल हालात इसके उलट है,खास तौर से ब्रजेश गौतम और उनकी टीम के साथ साथ मदन त्रीपाठी,लवकुश शुक्ला,अजय शुक्ला,हनुमान गर्ग,रामनरेश गर्ग,अनिल गुप्ता जो स्वयं टिकट की दावेदारी में थे इनका मोह भी इस चुनाव से भंग होता दिखाई दे रहा है या यूं कहें कि हर बार की उपेक्षा इनकी मजबूरी बन गई है कि घर पर बैठ जायें और अगर हालात कुछ यूं ही रहे तो कांग्रेस की नाव आसानी से पार लग जायेगी,उसके बाद कोतमा विधान सभा के लोग केवल एक सुनील सराफ को फिर पांच वर्षों तक ढोने को मजबूत रहे, हालात तो कुछ यही बयाँ कर रहे है,हालांकि पिछले पांच वर्षों में कोतमा विधायक विवादों में घिरे रहे और उनकी अपनी पार्टी के नेता ही उन्हें अपनाने से गुरेज कर रहे है पर अब जब भाजपा ने दिलीप जायसवाल बिजुरी को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है तो जनता एक सुनील सराफ ही चाहती है चूंकि दिलीप जायसवाल का परिवार स्वयंभू विधायक बन जाता है जनता सुनील सराफ पर फिर एक बार भरोषा जताने के मूड में है,दूसरी तरफ ये वही पूर्व विधायक दिलीप जायसवाल है जो वर्तमान विधायक सुनील सराफ से पिछले चुनाव में पटखनी खाते हुए भाजपा को विधानसभा कोतमा से बाहर का रास्ता दिखाया था इसके बावजूद भी पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी बनाया ये बात उनके विधानसभा के वरिष्ठ भाजपाइयों के गले नही उतर रही