चेक चेक बाउंस मामले में पुर जिला पंचायत सदस्य के पति को  हुई सजा

अनूपपुर / कोतमा व्यवहार न्यायालय ने  चेक बाउंस के मामले में सजा सुनाई है प्राप्त जानकारी के अनुसार 
पूर्व जिला  पंचायत सदस्य के पति मोहन लाल चौधरी को  गुंजन गौर की न्यायालय ने  06 माह करवावाश व 16 हजार 300 रुपए के अर्थ दण्ड से दंडित किया है परिवादी की ओर से संस्थित परिवाद के तथ्य संक्षिप्ता इस प्रकार है कि वह साउथ ईस्टर्न कोल फील्डस लिमिटेड जमुना कोतमा क्षेत्र के अंतर्गत जमुना भूमिगत उपक्षेत्र में लिपिक के पद पर कार्यरत है तथा आरोपी कियोस्क बैंक का प्रबंधन एवं संचालन भारतीय स्टेट बैंक शाखा जमुना कालरी जिला अनूपपुर की ओर से करता है, परिवादी का बचत खाता क0-10990907118 भारतीय स्टेट बैंक जमुना कालरी से संचालित है इस तरह वह और अभियुक्त एक ही गांव के होने से एक दूसरे से काफी समय से परिचित है और दोनो के मध्य मधुर संबंध स्थापित था जिससे वह अभियुक्त पर विश्वास करता रहा है, उसकी पत्नी की मस्तिष्क में काफी समय से तकलीफ रहती थी जिसके ईलाज के लिए दिनांक 10.01.2017 को यशोदा अस्पताल सिकंदराबाद (तेलगना) ले जाना था जिसके ईलाज में लगने वाले खर्च हेतु बचत खाता में 10 हजार रुपये जमा करना चाहता था एवं आवश्यकता पड़ने पर एटीएम० के माध्यम से आहरित करना चाहता था जिसके लिए उसने अभियुक्त को अपने स्वयं के बचत खाता में जमा करने हेतु नगद राशि 10 हजार रुपये दिनांक 10.01.2017 को दी थी तब अभियुक्त ने इंटनेट सेवा फेल होने से खाते में अभी रकम इंद्राज नहीं हो पायेगा, बाद में इंटरनेट सेवा ठीक होने पर उक्त राशि खाते में इंद्राज हो जायेगा बताया था तब उसने अभियुक्त की बात पर विश्वास कर 10 हजार रुपये की रकम खाते में जमा करने हेतु छोडकर चला गया। वह अपनी पत्नी के ईलाज पश्चात जब लौटकर वापस आया और 10 हजार रुपये की राशि उसके खाते में जमा ना होने की बात अभियुक्त को बताया तो अभियुक्त ने बोला कि वह उक्त राशि अपने निजी उपयोग में ले लिया है शीघ्र ही वापस भुगतान कर देगा तथा उसके निरतंर अनुरोध पर अभियुक्त ने स्वयं का हस्ताक्षरयुक्त चेक क0-924071 राशि 10 हजार रुपये भारतीय स्टेट बैंक जमुना कालरी जिला अनूपपुर दिनांक 15.07.2017 को उसके नाम पर जारी कर प्रदत्त किया था जिसे उसने अपने बचत खाता में जमा किया तो इस मेमो के साथ बिना आहरण के दिनांक 17.07. 2017 को वापस कर दिया गया कि अभियुक्त के खाते में राशि कम है वह अभियुक्त हस्ताक्षर चेक में अधूरे अस्पष्टभिन्न  अपेक्षित है, जिसकी जानकारी उसने अभियुक्त को दिया तो अभियुक्त ने उसे 10 हजार रुपये का नवीन चेक क0-924072 दिनांक 17.07.2017 को परिवादी को पुनः दिया, जिसे बचत खाते में प्रस्तुत करने पर दिनांक 18.07.17 को पुनः इस टीप के साथ वापस कर दिया गया कि खाते में राशि पर्याप्त नहीं है एवं चेक में अभियुक्त के हस्ताक्षर अधूरे / अस्पष्ट भिन्न/अपेक्षित है तब उसने दिनांक 24.07.2017 को चेक में उल्लेखित राशि आहरण ना होने की सूचना रजिस्टर्ड डाक से दी थी जो उसे उक्त दिनांक को ही आरोपी को प्राप्त हो चुका है उसके बाद भी अभियुक्त द्वारा राशि अदा नहीं की गई। अभियुक्त ने जानबूझकर हस्ताक्षर भिन्न किये जिससे चेक का भुगतान ना हो सके। परिवादी की ओर से परिवाद पत्र प्रस्तुत कर निवेदन किया है कि अभियुक्त को परकाम्य लिखत अधिनियम की धारा 138 के अपराध के अंतर्गत चेक राशि से दुगने अर्थदण्ड व कारावास से दण्डित किया जाये जहाँ मामले मे न्यायालय ने सुनवाई करते हुए आरोप सिद्ध होने पर सजा सुनाई है |