अनूपपुर में पूर्वांचल के लोगों के कारण छठ पर्व की छटा निराली शुरू हुआ आस्था का पर्व पसान, राजनगर, बिजुरी, डुमरकछार, अमलई में दिख रहा उत्साह

अनूपपुर में पूर्वांचल के लोगों के कारण छठ पर्व की छटा निराली शुरू हुआ आस्था का पर्व
पसान, राजनगर, बिजुरी, डुमरकछार, अमलई में दिख रहा उत्साह
इन्ट्रो- बिहार विशेष कर पूर्वांचल का प्रमुख त्योहार छठ पर्व का धीरे-धीरे अब वैसे तो पूरे देश में विस्तार होता जा रहा है लेकिन जहां पर बिहार और पूर्वांचल के लोगों की संख्या भारी है वहां पर यहां पर वह विशेष महत्व रखते लगता है यही कारण है कि अनूपपुर के कालरी क्षेत्र में बिहार और पूर्वांचल के लोगों की संख्या ज्यादा होने के कारण इस अनूपपुर की छटा निराली होती है।
अनूपपुर। अनूपपुर जिला मुख्यालय से लेकर पसान नगर पालिका, बदरा भालू माड़ा, कोतमा गोविंदा, बिजुरी राजनगर, डोला डूमर कछार क्षेत्र में लगभग 5000 से ज्यादा बिहार और पूर्वांचल का परिवार निवास करता है स यही कारण है कि इन क्षेत्रों में छठ महापर्व बहुत ही धूमधाम आस्था के साथ मनाई जाती है और इसकी तैयारी भी एक हफ्ते पहले से शुरू हो जाती है स पसान बिजुरी, राजनगर डोला डूमर कछार, कोतमा नगरी क्षेत्र में स्थानीय प्रशासन के द्वारा इन क्षेत्रों के तालाबों की आसपास की सफाई के साथ-साथ सौंदर्यीकरण भी किया गया है। छठ पूजा प्रमुख त्योहारों में से एक है जो बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है। इस शुभ दिन पर, भक्त बड़ी भक्ति के साथ भगवान सूर्य (सूर्य देव) की पूजा करते हैं। वे भगवान सूर्य से आशीर्वाद लेने के लिए उन्हें अर्घ्य देते हैं। ये दिन पूरी तरह से भगवान सूर्य की पूजा के लिए समर्पित हैं। लोग प्रार्थना करते हैं और भगवान सूर्य का आशीर्वाद मांगते है। पवित्र नदियों, तालाबों में स्नान करने के बाद छठ व्रतियों ने प्रसाद बनाना शुरू कर दिया है। छठ में लोग सूर्य के प्रति अपना सम्मान और आभार व्यक्त करते हैं क्योंकि यह सभी जीवित प्राणियों को प्रकाश, सकारात्मकता और जीवन प्रदान करता है। छठ पूजा को सूर्य षष्ठी, डाला छठ, प्रतिहार और छठी के नाम से भी जाना जाता है। महिलाएं सूर्योदय और सूर्यास्त के दौरान सूर्य और छठी मैया को प्रार्थना करती हैं। सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। मान्यता के मुताबिक, एक कथा प्रचलित है कि छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल के दौरान हुई थी। इस पर्व को सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके शुरू की थी। कहा जाता है कि कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे। वे रोज घंटों पानी में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देते थे।
कर्ण ने भी किया था सूर्य उपासना
मान्यता के मुताबिक, एक कथा प्रचलित है कि छठ पर्व की शुरुआत महाभारत काल के दौरान हुई थी। इस पर्व को सबसे पहले सूर्यपुत्र कर्ण ने सूर्य की पूजा करके शुरू की थी। कहा जाता है कि कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे। वे रोज घंटों पानी में खड़े होकर सूर्यदेव को अर्घ्य देते थे।
क्यों मनाया जाता है छठ महापर्व
मुख्य रूप से यह पर्व सूर्य उपासना के लिए किया जाता है, ताकि पूरे परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहे। साथ ही यह व्रत संतान के सुखद भविष्य के लिए भी किया जाता है। मान्यता है कि छठ का व्रत करने से निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है।
ठेकुआ के बिना छठ पूजा का त्योहार होता है अधूरा
छठ पूजा एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो प्रायः बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य भगवान की पूजा के लिए मनाया जाता है। छठ पूजा एक प्रमुख हिंदू त्योहार है जो प्रायः बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य भगवान की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह विशेष रूप से गंगा तट पर होता है। यह पर्व छठी माँ को भी समर्पित होता है। छठ पूजा में लोग समुद्र तट या नदी के किनारे जाते हैं। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय पर औरतें और महिलाएं विशेष प्रणाम करती हैं और अर्घ्य सूर्य देव को समर्पित करती हैं। वहीं, ठेकुआ के बिना छठ पूजा अधूरा माना जाता है।