लोक आस्था का महापर्व छठ जिले के कालरी क्षेत्रों में धूम-धाम से मनाया गया 
डूबते सूरज को दिया गया अर्घ्य
इन्ट्रों-17 नवंबर 2023 से छठ महापर्व का आरंभ हुआ था। इस पर्व की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है। इसके बाद खरना, अर्घ्य और पारण किया जाता है। चार दिन पड़ने वाले इस पर्व में सूर्य देवता के साथ छठ माता की पूजा करने का विधान है। यह व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और उत्तम भविष्य की कामना करके रखती हैं। आज छठ पर्व का तीसरा दिन है। इस खास मौके पर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है। इस दिन व्रती महिलाएं कमर तक पानी के अंदर जाकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर अपने-अपने मनोकामनाओं के पूर्ण होने का छठी मैया से आर्षीवाद प्राप्त किया।
अनूपपुर। छठ पूजा का तीसरा दिन सबसे महत्वपूर्ण माना जाता जाता है। इस दिन डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसे संध्या अर्घ्य या पहला अर्घ्य के नाम से जानते हैं। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ का प्रसाद बनाया जाता है। इसी दिन ठेकुआ बनाएं जाते हैं। इसके अलावा चावल के लड्डू भी बनाए जाते हैं। पूरी तैयारी करने के साथ शआम के समय बांस के सूप और टोकरी को तैयार किया जाता है। इसमें चावल, गन्ना, केला, ठेकुआ, ताजे फल, सूखे मेवे, मिठाई, गुड़, नारियल, घी, धान, नींबू, इलायची, हरी अदरक आदि रखी जाती है। फिर इसे लेकर गांव, नगर के नदी, तालाब के किनारे इकट्ठे होकर सामूहिक रूप से सिर में ये सूप रखकर पानी के अंदर जाते हैं और भगवान सूर्य का नाम लेते हुए उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, कार्तिक मास में भगवान विष्णु जल में ही निवास करते है इसके साथ ही सूर्य को भगवान विष्णु का प्रत्यक्ष रुप माना जाता है। कमर तक पानी में जाकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने का मतलब है कि भगवान विष्णु के सूर्य रूप और जल में स्थित विष्णु के अप्रत्यक्ष रूप की पूजा एक साथ हो जाती है। इससे जीवन में खुशहाली आती है।
आज खुलेगा महिलाओं का व्रत
शनिवार शाम को महिलाओं ने खरना का प्रसाद और रोटी ग्रहण करके 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ किया था। रविवार के दिन व्रती शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देंगी और अगले दिन यानी सोमवा को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ 36 घंटे का व्रत का पारण कर दिया जाएगा।
बिजूरी का सूर्य मंदिर का विषेष महत्व
जिले में छठ की पूजा वैसे तो सामतपुर माड़फा तालाब, पसान, कोतमा, राजनगर, डोला, डूमरकछार नगरीय क्षेत्रों में मनाया जाता है। परंतु इस दिन बिजूरी स्थित सूर्य मंदिर में छठ पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन यहां पर सुबह से शाम तक भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। यही नही आस्था के इस महापर्व पर कालरी क्षेत्र के इस मंदिर में छठ पूजा के लिए सबसे ज्यादा भीड़ यही देखी जाती है। सूर्य उपासना का छठ बिजुरी कोयलांचल क्षेत्र में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है बिजुरी माईर्नस मार्ग पर स्थित देवी तालाब में स्थित सूर्य मंदिर में डूबते भगवान सूर्य को अर्ध्य देने के लिए बड़ी संख्या में भक्तों द्वारा पूजन सामग्री के साथ पहुंचे हैं छठ पर्व पांच दिनों मनाया जाता है कल उगते सूर्य को भक्तों द्वारा अर्ध्य देने के साथ ही सूर्य उपासना का छठ का समापन होगा देवी मंदिर बिजुरी में स्थित सूर्य मंदिर में कुछ भक्त रात गुजार भगवान् भास्कर की विधिवत पूजा करते हैं इस अवसर भंडारे का आयोजन किया जा रहा है नपा बिजुरी द्वारा मंदिर परिसर में आयोजित उक्त धार्मिक आयोजन में साफ-सफाई प्रकाश व्यवस्था की गई है सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस बल भी मौजूद हैं।