जनजातीय विश्वविद्यालय के सौजन्य से माँ शारदा कन्या पीठ, पोडकी में योग प्रशिक्षण सप्ताह का शुभारंभ

अमरकंटक- स्वामी विवेकानंद जयंती के पूर्व दिवस पर योग जन जागरूकता एवं लोक स्वास्थ्य संवर्धनार्थ कॉमन योग प्रोटोकॉल के विशेष प्रशिक्षण द्वारा दक्ष प्रशिक्षकों को तैयार करने हेतु इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के योग विभाग एवं सहयोगी संस्था श्रीशील मण्डल द्वारा आयोजित सप्त दिवसीय विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम युवा पखवाड़ा के तहत (11 जनवरी 2024 से 17 जनवरी 2024) तक आयोजन माँ शारदा कन्या पीठ, पोडकी अमरकंटक (मध्य प्रदेश) के परिसर में दिनाँक 11 जनवरी 2024 को प्रातः 10:00 बजे से मध्यान्ह 12:00 बजे तक किया गया। कार्यक्रम का उदघाटन एवं अध्यक्षता विश्वविद्यालय के मा. कुलपति प्रो. श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी ने की, मुख्य अतिथि मा. श्रीमती शीला त्रिपाठी, अध्यक्षा  शील मण्डल, विशिष्ट अतिथि श्रीमती रेबा रानी घोष, प्राचार्य, माँ शारदा कन्या पीठ, पोडकी अमरकंटक, सारस्वत अतिथि  एम. एल. पॉल, प्रबन्धक, राम कृष्ण सेवा आश्रम, पोडकी एवं मुख्य वक्ता प्रो. जितेंद्र कुमार शर्मा, अध्यक्ष योग विभाग थे । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय के मा. कुलपति प्रो. श्रीप्रकाशमणि त्रिपाठी ने अपने उदबोधन में बताया कि जब हम योगस्थ होते हैं तभी हम आत्मस्थ होते हैं और जब हम आत्मस्थ होते हैं तभी ब्रह्मास्थ होते हैं। यही वैयक्तिक चेतना से परात्पर चेतना की अंतर्यात्रा ही योग है। यही मानवता के योग क्षेम का माध्यम भी है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में मा. श्रीमती शीला त्रिपाठी, अध्यक्षा  शील मण्डल ने अपने उद्बोधन मे कहा कि योग को अपने दिनचर्या मे उतारने से मानव जीवन पर्यंत शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक स्वास्थ्य को प्राप्त करता है। और जीवनपर्यंत सुखी एवं आनंदपूर्ण जीवन जीता है। साथ ही योग को नारी शक्ति से जोड़ने का आह्वान किया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि श्रीमती रेबा रानी घोष, प्राचार्य, माँ शारदा कन्या पीठ, पोडकी अमरकंटक ने अपने उद्बोधन में बताया कि निरोग रहने के लिए मानव समुदाय को योग को अपने जीवन मे शामिल कर लेना चाहिए तभी चित्तवृत्तियों का निरोध संभव है। कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि एम. एल. पॉल, प्रबन्धक, राम कृष्ण सेवा आश्रम, पोडकी अमरकंटक ने अपने उद्बोधन मे कहा कि हमे अपनी प्रकृति- वात, पित्त और कफ के अनुसार आहार-विहार एवं जीवन शैली को अपनाना चाहिए तभी हम पूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं। मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. जितेंद्र कुमार शर्मा, अध्यक्ष योग विभाग ने अपने उद्बोधन में योग के द्वारा हम न केवल अपने मानसिक विकारों पर ही नियंत्रण स्थापित कर सकते हैं बल्कि आत्म चेतना का विस्तार करते हुए नर से नारायण की सिद्धि भी कर सकते हैं। शरीर शुद्धि और मन शुद्धि योग साधना का आदि सोपान है जिसका प्रथम चरण आहार शुद्धि से प्रारंभ होता है। प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के संयोजक एवं विभाग के वरिष्ट सहा. प्राध्यापक डॉ हरेराम पाण्डेय ने कहा कि प्रशिक्षकों के विशेष प्रशिक्षण के माध्यम से ही हम राष्ट्रीय स्तर पर युवाओं का ऐसा नेतृत्व खड़ा कर सकते हैं जो जनसामान्य में योग का प्रचार प्रसार वास्तविकता में परिणत कर सकता है।कार्यक्रम का संचालन डॉ श्याम सुंदर पाल, योग विभाग के द्वारा किया गया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ प्रवीण कुमार गुप्ता, योग विभाग द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में शोध छात्र  प्रखर त्यागी,  रमाशंकर सिंह एवं योग विभाग के समस्त छात्र एवं छात्रायेँ, माँ शारदा कन्या पीठ, पोडकी अमरकंटक के समस्त छात्र एवं छात्रायेँ  गुरुनाथ करनाल एवं विवेक नेगी सहित कुल 100 लोगों ने सहभागिता की ।