नामांतरण नही करने के प्रतिवेदन देने के बावजूद अधिकारी ने आदेश किया तो अमला क्या करें - कुवंर सिंह जामरा तत्कलीन पटवारी,मामला शिवरिचन्दास सरकारी जमीन बिक्री का,तो क्या तत्कालीन तहसीलदार की मिली भगत से बिकी सरकारी जमीन,मामला करोड़ों के जमीन घोटाले का- विजय उरमलिया की कलम से

नामांतरण नही करने के प्रतिवेदन देने के बावजूद अधिकारी ने आदेश किया तो अमला क्या करें - कुवंर सिंह जामरा तत्कलीन पटवारी,मामला शिवरिचन्दास सरकारी जमीन बिक्री का,तो क्या तत्कालीन तहसीलदार की मिली भगत से बिकी सरकारी जमीन
अनूपपुर - हमने लगातार तहसील पुष्पराजगढ़ अंतर्गत ग्राम शिविरिचन्दास के विस्थापन की गैरहक़दार जमीन एवं सरकारी जमीनों के विक्रय की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया जिस पर आज एक बड़ा अपडेट यह है कि जब यहां की सरकारी और गैरहक़दार की जमीन बेंची और खरीदी जा रही थी उस वक्त शिविरिचन्दास हल्का पटवारी कुवंर सिंह जामरा ने आज व्हाटसअप के माध्यम से तहसीलदार को दिए गये अपने प्रतिवेदन और प्रतिवेदन में नामांतरण न करने की बात कही पर तत्कालीन तहसीलदार ने आदेश दिया और मजबूरन तत्कालीन पटवारी कुवंर सिंह जामरा ने वही किया जो उनके अधिकारी ने कहा अब सवाल यह उठता है कि आखिर तहसीलदार सरकारी जमीन बेचने में क्यों आमादा थे आखिर किसके कहने पर तत्कालीन तहसीलदार माफ़ियाओं के साथ मिल कर सरकारी जमीन बेंची,पटवारी ने अपने प्रतिवेदन में साफ लिखा है कि उक्त जमीन जिसमे यादव परिवार का कब्जा था वो नशे का आदी है और इसी बात का फायदा उठा कर खरीददारों ने उसको बरगला कर जमीन की रजिस्ट्री करवा ली जिसका नामांतरण करना उचित नही होगा,
अब हम आपको बता दें पूरा मामला ग्रामपंचायत के शिविरिचन्दास के जैतहरी रोड का मामला है जहां रोड से लगी हुई करोड़ों रुपये की जमीन जिसका मूल खसरा नंबर 280 था उसको समय समय पर बटांक करते हुए कुछ जमीन जो विस्थापन के तहत यादव परिवार को दी गई थी कुछ सरकारी जमीन को माफ़ियायों एवं राजस्व विभाग के गठबंधन से कौड़ियों के दाम बेंची और खरीदी गई जिसमें तत्कालीन तहसीलदार भी कटघरे में है सूत्रों की माने तो तहसीलदार को सब कुछ पता था उसके बावजूद उनके द्वारा रोक लगाने की जगह बाकायदा जमीनों को बिकते देखते रहे और बाकायदा इन सभी जमीनों का नामांतरण भी करते रहे जिसकी एवज में खरीदारों ने तत्कालीन तहसीलदार को मोटी रकम की चढ़ोत्तरी चढ़ाई है ,
एक तरफ ग्रामीण परेशान है उनके अपने पंचायत में निस्तार के लिए जमीन नही बची दूसरी तरफ प्रशासन के जिम्मेदारों ने मौका देखते हुए उनके यहां की सरकारी जमीन बेचने में अहम योगदान दिया,
इस पूरे मामले में ग्रामपंचायत फिर से ग्रामसभा कर इस जमीन बिक्री के।खिलाफ प्रस्ताव पास कर कलेक्टर से जमीन खाली करवाने की तैयारी में है चूंकि इस गांव के निस्तार की जमीन पर अवैध कब्जा,अवैध बिक्री,खरीदी से अब ग्रामीणो को आने वाले भविष्य की चिंता सताने लगी है जो लाजमी भी है,मूल खसरा नंबर 280 जो पतालू गोंड गैर हकदार दर्ज था और पूरे 33 एकड़ 45 डिसमिल जमीन पर पहाड़ दर्ज था जिसको 280/1,280/2,280/3,280/4,280/5,280/6,280/7 में बटांकन कर इनके अंदर भी कई बटांकन कर सरकारी जमीन को विक्रय किया गया,दूसरी तरफ तत्कालीन पटवारी कुवंर सिंह जामरा ने अपने प्रतिवेदन में यह भी साफ लिखा कि नामांतरण करना उचित नही होगा चूंकि जमीन में वर्तमान में भी राजस्व दर्ज है अब देखना होगा कि राजस्व विभाग के जिम्मेदार और कलेक्टर आखिर कब इस मामले की गंभीरता को गंभीरता से लेते हुए जांच करवा दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करते है चूंकि करोड़ों रुपये की सरकारी जमीन तो बिकी है वहां मौजूद बृक्षों की कटाई कर लगातार बची हुई सरकारी जमीन पर भी कब्जा किया जा रहा है ,हम जल्द ही इस पूरे मामले में यह भी बतायेंगे की किसने किसने जमीन खरीदी और किस दर पर जबकि रजिस्ट्री के अनुरूप जो पैसा विक्रेता को मिलना चाहिए वो भी नही मिला हालांकि विक्रेता के पास विस्थापन की जमीन बेचने का अधिकार ही नही होता परंतु जिम्मेदारों ने जमीन कें रिकॉर्ड में बेतहासा छेड़छाड़ कर जमीन को बेचने में अहम योगदान दिया