पशु तस्कर वाजिद बल्लू को कोतमा में रहा हमेशा राजनैतिक संरक्षण,कार्यवाही न होना इनके रसूख का सबूत - विजय उरमलिया की कलम से
अनूपपुर - आज एक सवाल कोतमा में चर्चा का विषय बना हुआ है कि आखिर कोतमा को पशु तस्करी का गढ़ बनाने वाले बल्लू और वाजिद पुलिस की राडार से बाहर क्यों है,नाजायज तरीके से बनाया गया माकान अब तक सुरक्षित क्यों है ,ऐसे कई सवाल शोसल मीडिया में लागातर ट्रेंड कर रहे है पर उसके पीछे की असल वजह पर कोई बात नही करना चाहता दरसल बल्लू और वाजिद ने जब कोतमा को पशु तस्करी का हब बनाने की शुरुआत की तो सबसे पहले इनके द्वारा कुछ सफेद पोश नेताओ से प्रगाढ़ता कायम की गई उसके बाद उनके बच्चों को अपना मित्र साथी बनाया गया हालांकि जो तस्वीर हम लगा रहे है वाजिद के अलावा जो लोग भी  दिख रहे है हम कतई ये नही कह रहे कि पशु तस्करी में ये शामिल है पर यही तस्वीरें है जिनकी बदौलत मेरठ से चल कर कोतमा साइकिल से आने वाले बल्लू मिया और जनाब वाजिद का सफर इन्ही तस्वीरों के भौकाल से शुरू हुआ आज जो तस्वीर लगी है उसमें नगरपालिका अध्यक्ष के भतीजे की मौजूदगी है और बताया जाता है कि वाजिद और नगरपालिका के अध्यक्ष का भतीजा खास मित्र है जिसके चलते नगरपालिका अध्यक्ष इस पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डालने में आमादा है हाल ही में नगरपालिका ने कुछ मकानों को जमीजोद किया था तब हाईकोर्ट के आदेश का उलंघन नही हुआ था हाईकोर्ट का आदेश अवैध निर्माण को ढहाने को रोकने के लिए नही है जो लोग आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो और उनके लीगल मकान को नही गिराना है हाईकोर्ट का आदेश ऐसा है पर घुमा फिरा कर बचाने में जब आमादा हो जाये जिम्मेदार तो फिर कार्यवाही कौन करेगा, दूसरी तरफ कोतमा को हमने बड़े करीब से देखा है जब भी बात कोतमा के आत्म सम्मान की आई तो सारे लोग एक जुट खड़े नजर आये पर पशु तस्करी के मामले में कोतमा के कुछ हिन्दू वादी संगठनों को छोड़ दिया जाये तो लगता है बांकी सब को लकवा मार गया है अगर आप ऐसा सोच रहे है तो ये बिल्कुल बेमानी है दरसल मामला इसके उलट है हर कोई ये सोचने पे लगा हुआ है कि कहीं हमारा नाम न बल्लू वाजिद के साथ होने का खुलासा हो जाये विरोध में खड़े होने से चूंकि अक्सर कोतमा में कुछ सफेद पोश नेताओं पर गौ तस्करी में शामिल होने के आरोप लगते रहे है और इन पशु तस्कर माफ़ियायों से इतना रुपया खाया है कि आज इन माफ़ियाओं के आगे ये सब नतमस्तक नजर आ रहे है,बहरहाल उन सभी लोगों को आज साथ कि जरूरत है जो कोतमा को इस पाप के गोरख धंधे से बचाने में जुटे हुए है,आपने कभी गौर किया है कि रात दिन एक कर दो दो पैसे जोड़ने वाला व्यक्ति एक मकान बनाने में पूरा जीवन बिता देता है फिर साइकिल से मेरठ से चल अनूपपुर के कोतमा पहुंचने वाले बल्लू और वाजिद इतनी जल्दी कैसे करोड़ों के मालिक बन बैठे ऐसा सिर्फ और सिर्फ पशु तस्करी के इस गोरख धंधे से ही मुमकिन है,बहरहाल आज कोतमा में जन चर्चा का विषय इन दोनों भाइयों के सफेद पोश नेताओ से संबंध, उनके बच्चों से सम्बंध की चर्चा कार्यवाही न होने के पीछे की बड़ी वजह बना हुआ है,अब देखना लाजमी यह होगा कि प्रशासन तो कार्यवाही करने से बच रहा है क्या कोतमा के लोगों का आत्म सम्मान वपास आ कर अपने नगर को इस क्रू जघन्य अपराध पशु तस्करी से बचा पायेगा या अपने बच्चों का भविष्य उस जगह छोड़ जायेगा जहां आने वाले समय मे कोतमा में ही पशु काटे जाएंगे और ये अपने कुकर्मो की सजा अपने बच्चों को भुगतने के लिए छोड़ जाएंगे, जो भी हो आज कोतमा को ही नही अनूपपुर जिले को पशु तस्करी के गढ़ को तोड़ने का समय आ गया है,सोचिये जिस सत्ता का मंत्री बयान दे कि अगर मकान अनधिकृत रूप से बनाया गया है तो बुलडोजर की कार्यवाही तो होगी और उस बयान को आज हफ़्तों गुजर गये मकान पर कार्यवाही तो छोड़िए इस पूरे काले कारोबार के सरगना अब भी पुलिस की पहुँच से दूर है हमारे सूत्र तो यहाँ तक बता रहे है कि जब कोतमा पुलिस इनको धर दबोचने रवाना हुई पुलिस से ही मुखबिरी हो गई की पुलिस निकल गई आपको पकड़ने और लगातार मुखबिरी हो रही है कि पुलिस कब कहाँ है अब सोचिये जब पुलिस पकड़ने जा रही है और उनके अपने विभाग से ही मुखबिरी हो रही हो तो भला आरोपी कब पकड़े जायेंगे, दूसरी तरफ तत्काल प्रभाव से ब्रजेश पांडेय को कोतमा थाने से हटाने को जरूरत है चूंकि इनकी संलिप्तता की खबर सीसीटीवी में साफ कैद हुई पर इन पर भी आज तक कार्यवाही न होना कई सवालिया निशान खड़े करता है