तहसील कार्यालय जैतहरी कि तानाशाही तीन माह के बाद भी नहीं मिला प्राकृतिक प्रकोप राहत राशि
तहसील कार्यालय जैतहरी के अधिकारी समेत बाबुओं कि चल रही मनमानी, 
जैतहरी। जिला अनूपपुर अंतर्गत जनपद एवं तहसील कार्यालय जलहरी के ग्राम पंचायत क्याँटार निवासी ललिता बाई राठौर समेत कई लोगों के घर भारी बरसात एवं तूफान की वजह से क्षतिग्रस्त हो गए थे जिसकी सूचना तहसील कार्यालय में देते हुए पटवारी को दी गई। पटवारी द्वारा मौका मुआयना करते हुए पंचनामा तैयार कर तहसील कार्यालय में फाइल जमा कर दी गई थी उसके बाद मुआवजा राशि न प्राप्त होने पर आवेदन करता द्वारा तहसील कार्यालय के कई चक्कर लगाए गए किंतु किसी न किसी बहाने से बाबुओं द्वारा गोल-गोल चक्कर कटवाया जा रहा था और गोल गोल बातें करते हुए फाइल को दबा कर रखा गया था। जैसे तसे सीएम हेल्पलाइन की मदद से लोगों को थोड़ी सहायता मिली पर पटवारी के कहने पर सीएम हेल्पलाइन कटवा दी गई पटवारी साहब भी क्या करते उनको भी बाबू और तहसीलदार साहब के द्वारा आश्वाशन दिया गया था कि इनका कार्य जल्द ही हो जाएगा पर सीएम हेल्पलाइन कटने के बाद रवैया ज्यों का त्यों हो गया।
हो चुके तीन तहसीलदारों के पास फाइल का चलन
मुआवजे राशि को लेकर पहले तहसीलदार से लेकर लगभग तीन तहसीलदार तक यह फाइल का चलन हो चुका है पर अभी तक कार्य नहीं हो पाया कुछ दिनों के बाद रुक कर वापस बाबू के पास जाकर पूछे जाने पर जवाब ज्यों का त्यों देते हुए बाबुओं द्वारा अपना पलड़ा झाह लिया गया और कोई नई बात सुनने को नहीं मिला और कार्य न होना पाया गया। इससे पूर्व तहसीलदार के पास आवेदक द्वारा निवेदन करते हुए हो रहे परेशानियों के बारे में अवगत कराया गया तो उनके द्वारा भी जबरन कहा गया की कार्य हो गया है और अभद्रता पूर्वक व्यवहार अपनाते हुए बाबुओं को कार्य करने के लिए कहा गया और आवेदक को तू कौन है, निकल यहा से जा जैसे अभद्र टिप्पणी करते हुए जबरन कार्य होना बताया गया और बाबू को कार्य पता कराने भेजा गया तो सामने वही कहानी आई जो पहले से चली आ रही थी। पर आज दिनांक तक कार्य नहीं हुआ और दिनांक 11.9.2023 से लेकर अब तक भुगतान नहीं हो पाया बल्कि विभाग द्वारा किसी भी तरह से कार्य नहीं कराए जाने के बाद भी सीएम हेल्पलाइन में गलत जानकारी और उच्च अधिकारियों को गलत जानकारी दी गई।
सीएम हेल्पलाइन का भी नहीं कोई असर, ना ही अधिकारी और बाबू देते है ध्यान
आवेदकों को इस मुवावजा राशि के बदले बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है। लगभग 4 माह से ऊपर हो जाने के बाद परेशान होते हुए आवेदक ने सीएम हेल्पलाइन लगाकर इन परिस्थितियों की जानकारी दी पर इसका प्रभाव भी इन तानाशाह अधिकारी और बाबुओं पर नहीं पड़ा क्योंकि राजनीतिक पकड़ होने और भ्रष्टाचार की नीति पूर्वक कार्य करते हुए यह कई वर्षों से अंगद की तरह पांव जमा कर यहां बैठे हुए हैं और अपनी मनमानी पूर्वक कार्यालय को संचालित करते हैं। बल्कि यह कहा जा सकता है कि स्वयं को अधिकारी मानते हैं और अधिकारी भी इनके द्वारा ही संचालित होते हैं। इस दौरान कई भुगतान कार्यालय से कराए गए पर इन आवेदनों पर कहीं कुछ तो कहीं कुछ बहाने बताए गए साथ ही आवेदकों को महीनों से तहसील कार्यालय के चक्कर कटवाए गए। अब देखना दिलचस्प होगा कि मीडिया में बात आने और नए तहसीलदार के आने के बाद कार्य होता है या स्थिति और कार्यालय ज्यों का त्यों ही रहेगा।