म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वायु प्रदूषण की रोकथाम हेतु नागरिकों से सजग रहने की गई अपील

अनूपपुर / दीपावली प्रकाश का पर्व है, परंतु दीपावली के समय विभिन्न प्रकार के पटाखों का उपयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है। ज्वलनशील एवं ध्वनि कारक पटाखों के उपयोग के कारण परिवेशीय वायु में प्रदूषण तत्वों एवं ध्वनि स्तर में वृद्धि होकर पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कुछ पटाखों से उत्पन्न ध्वनि की तीव्रता 100 डेसीबल से भी अधिक होती है। इस प्रकार के प्रदूषण पर नियंत्रण किया जाना अति आवष्यक है, जिससे मानव अंगों पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना जी.एस.आर. 682 (ई) में पटाखों के प्रस्फोटन से होने वाले शोर हेतु मानक के अनुसार प्रस्फोटन के बिन्दु से 4 मीटर की दूरी पर 125 डी.बी. (ए.आई.) या 145 डी.बी.(सी) पीक से अधिक ध्वनि स्तर जनक पटाखों का विनिर्माण, विक्रय व उपयोग वर्जित है। सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा रिट-पिटीशन (सिविल) क्रमांक 728/2015 ध्वनि प्रदुषण पर नियंत्रण के परिप्रेक्ष्य में 23 अक्टूबर 2018 को दिये गये निर्णयानुसार रात्रि 8 बजे से 10 बजे तक (2 घन्टे) के पश्चात् दीपावली पर्व पर पटाखों का उपयोग प्रतिबंधित है। लड़ी (जुडे़ हुए पटाखों) गठित करने वाले अलग-अलग पटाखों के निर्माण, विक्रय एवं उपयोग पूर्णतः प्रतिबंधित है। दीपावली पर्व पर एवं अन्य पर्वों/अवसरों पर उन्नत पटाखें एवं ग्रीन पटाखें ही विक्रय किये जा सकेंगे। पटाखों के जलने से उत्पन्न कागज के टुकड़े एवं अधजली बारूद बच जाती है तथा इस कचरे के सम्पर्क में आने वाले पशुओं एवं बच्चों के दुर्घटनाग्रस्त होने की सम्भावना रहती है। पटाखों के जलने के उपरांत उनसे उत्पन्न कचरे को ऐसे स्थानों पर न फेंका जाए जहां पर प्राकृतिक जल स्त्रोत और पेयजल स्त्रोत प्रदूषित होने की संभावना है, क्योंकि विस्फोटक सामग्री खतरनाक रसायनों से निर्मित होती है। क्षेत्रीय कार्यालय म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शहडोल द्वारा आम जनता से अपील की गई है कि पटाखों का उपयोग सीमित मात्रा में करें एवं पटाखों को जलाने के पश्चात् उत्पन्न कचरे को घरेलू कचरे के साथ न रखें। उन्‍हें पृथक स्थान पर रखकर नगर पालिका के कर्मचारियों को सौंप दें। नगरीय निकायों से भी आग्रह किया गया है कि वे पटाखों का कचरा पृथक से संग्रहित करके उसका निष्पादन सुनिश्चित करें।