पुष्पराजगढ़ में कांग्रेस और भाजपा के बागी बिगाड़ रहे चुनावी समीकरण, जनता में खामोशी

पुष्पराजगढ़ में कांग्रेस और भाजपा के बागी बिगाड़ रहे चुनावी समीकरण, जनता में खामोशी
नर्मदा के कारण बढ़ रही हीरा की चमक
पुष्पराजगढ़। विधानसभा क्षेत्र में चुनावी सर गर्मी बढ़ी हुई है और यह कहां जाए कि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस मतदाताओं के बीच जनसंपर्क करके जनता से आशीर्वाद मांग रहे हैं तो वही पुष्पराजगढ़ में वोट कटवा समझे जाने वाले कुछ दलों के और निर्दलीय प्रत्याशियों के कारण भाजपा और कांग्रेस का चुनावी समीकरण बिगड़ रहा है तो कहीं से गलत नहीं है। पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र के गांव-गांव गली गली में जिंदाबाद के नारे लगाती प्रचार वाहनों के शोर के कारण चुनावी सर गर्मी में तेजी दिखाई दे रही है तो वही नीडल नर्मदा सिंह गोंडवाना के अनिल धुर्वे जनशक्ति चेतना के अमित का चुनाव प्रसार दिखने लगा हैस 2013 और 2018 में जीत का परचम लहरा चुके कांग्रेस प्रत्याशी फुन्दे लाल सिंह मार्को को 2013 में जहां 69192 मत मिले थे वही 2018 में 62352 मत मिले थे अगर देखा जाए तो 2013 में 52.6 प्रतिषत तो 2018 में 42 पॉइंट 22 परसेंट मत मिले थे इस तरह से देखा जाए तो 2013 के ग्राफ से 2018 के चुनावी ग्राफ में 10 प्रतिषत की कमी आई थी राजनीतिक विश्लेषको का मानना है कि पुष्पराजगढ़ क्षेत्र की जनता अब तक दो कार्यकाल से ज्यादा किसी भी जनप्रतिनिधि को विधानसभा नहीं भेजी है जिसके कारण अगर इस बार भी इस गिरते ग्राफ में कुछ प्रतिशत मतों की कमी हो गई तो कांग्रेस प्रत्याशी के लिए आगामी विधानसभा का चुनाव नेट टू नेट वाला हो सकता है और इसी बीच कांग्रेस से मुंह भंग करके निर्दलीय लड़ रहे नर्मदा सिंह कांग्रेस प्रत्याशी के लिए कोड में खाज की भूमिका में नजर आ रहे हैं जो कांग्रेस के लिए चिंता का विषय बना हुआ है
शांत दिख रहा था पुष्पराजगढ़ एकाएक नजर आई गुट बाजी
कांग्रेस में पुष्पराजगढ़ में गुटबाजी की बात की जाए यह अब भी किसी के समझ में नहीं आ रहा है कि अभी तक पुष्पराजगढ़ क्षेत्र में कांग्रेस में गुटबाजी का कोई नाम निशान नहीं था और नहीं टिकट टिकट के दावेदारों में उसे तरह की जंग नजर आ रही थी जिस तरह से अनूपपुर और कोतमा के टिकट के दावेदार अनूपपुर से लेकर भोपाल और दिल्ली की दौड़ लगा रहे थेस लेकिन टिकट की घोषणा के तत्काल बाद नर्मदा सिंह का निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ताल ठोकना यह बता रहा है कि इसकी तैयारी बहुत दिनों से चल रही थी और इसकी भनक स्थानीय कांग्रेस के नेताओं को भी नहीं थी कि नर्मदा सिंह निर्दल चुनाव लड़ सकते हैं बताया जाता है कि यही कारण है कि कांग्रेस का मैनेजमेंट उन्हें मनाने में फेल हो गया और अब नर्मदा सिंह कांग्रेस प्रत्याशी के लिए सबसे बड़ी चुनौती बने हुए है। वहीं अगर भारतीय जनता पार्टी की बात की जाए तो इसमें भी गुटबाजी का आगाज बाबूलाल सिंह मार्को के नाम से हुआ जिन्हें भाजपा मनाने में सफल रही लेकिन छोटेलाल सिंह ने भाजपा से बगावत करके निर्दलीय पर्चा भरने में सफल रहे जिसका भी नुकसान भाजपा प्रत्याशी को हो सकता है। फिलहाल अगर यह कहा जाए कि शांत दिख रहे पुष्पराजगढ़ विधानसभा क्षेत्र में भाजपा और कांग्रेस के चुनाव परिणाम को दोनों दलों के बागी प्रभावित करने की भूमिका में नजर आ रहे हैं तो गलत नहीं है।