"पाली नगर में नल-जल योजना का दुरुपयोग, सड़कों-नालियों में बह रहा अमूल्य जल,,रिपोर्ट@राजकुमार गौतम उमरिया

"पाली नगर में नल-जल योजना का दुरुपयोग, सड़कों-नालियों में बह रहा अमूल्य जल"
राज्य सरकार की बहुप्रतीक्षित 'हर घर नल-जल योजना' का उद्देश्य था कि प्रत्येक घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाया जाए, लेकिन पाली नगर पालिका की लापरवाही और जनजागरूकता की कमी के चलते यह योजना जल संवर्धन के उद्देश्य को मुंह चिढ़ाती नजर आ रही है।
शहर के कई वार्डों में नलों से अनियंत्रित जल प्रवाह लगातार देखने को मिल रहा है। घरों में टंकियों के ओवरफ्लो से लेकर खुली पाइपलाइनों तक से बहता जल सीधे सड़कों और नालियों में जा रहा है। इससे न केवल जल की बर्बादी हो रही है, बल्कि सड़कों पर कीचड़ और जलजमाव की समस्या भी उत्पन्न हो गई है।
जल ही जीवन है, यह नारा केवल पोस्टरों तक ही सीमित रह गया है। स्थानीय प्रशासन की ओर से अभी तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। पाली की जल संरक्षण योजनाएं जहां एक ओर वर्षा जल संचयन और भूमिगत जल स्तर सुधारने की बात करती हैं, वहीं दूसरी ओर यह जल अपव्यय उस दिशा में गंभीर बाधा बन रहा है।
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि नगर पालिका को चाहिए कि वह इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए पानी की सप्लाई को नियंत्रित करने के लिए टाइमर सिस्टम या स्वचालित बंद प्रणाली लगाए, साथ ही जनजागरूकता अभियान चलाए जिससे लोग स्वयं भी पानी की बचत के लिए प्रेरित हों।
यदि समय रहते इस दुरुपयोग पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो आने वाले वर्षों में पाली नगर को भी पेयजल संकट का सामना करना पड़ सकता है। अब आवश्यकता है कि प्रशासन, जनप्रतिनिधि और आम नागरिक जल को बचाने की जिम्मेदारी को साझा करें।