नहीं रहे डॉक्टर यज्ञ प्रसाद तिवारी जिले के साहित्य जगत में शोक लम्बी बीमारी के बाद नागपुर में ली अंतिम साँस प्रयागराज गंगा तट में हुआ अंतिम संस्कार

नहीं रहे डॉक्टर यज्ञ प्रसाद तिवारी जिले के साहित्य जगत में शोक
लम्बी बीमारी के बाद नागपुर में ली अंतिम साँस प्रयागराज गंगा तट में हुआ अंतिम संस्कार
अनूपपुर:- जिले ही नहीं देश के हिंदी साहित्यकारों में अपनी अलग पहचान बनाने वाले यज्ञ प्रसाद तिवारी नहीं रहे 29 नवंबर और 30 नवंबर के दरमियानी रात को नागपुर महाराष्ट्र में अंतिम साँस ली आज उनका अंतिम संस्कार बारे पुरे परिवार जनो की उपस्थिति में प्रयागराज में गंगा किनारे संपन्न हुआ इस दुखद खबर की सूचना जैसे ही साहित्य जगत को लगी शोक की लहर दौड़ गई यज्ञ प्रसाद तिवारी का अनूपपुर में पदार्पण सन् 1973 में तुलसी महाविद्यालय अनूपपुर के हिन्दी विभाग में आपकी नियुक्ति हुई थी। जिले के प्रगति शील लेखक संघ के जिला अध्यक्ष गिरीश पटेल ने उनको याद करते हुए कहा की उस समय तुलसी महाविद्यालय के संस्थापक सदस्यों के साथ ही सभी शिक्षकों को भी महाविद्यालय के संचालन में अपना योगदान देना होता था क्योंकि यह इस महाविद्यालय के संघर्ष का काल था, इस समय अत्यल्प वेतन में सारे शिक्षक अपनी सेवाएँ अर्पित कर रहे थे ज़ाहिर है कि डॉक्टर तिवारी भी उन्हीं में से एक थे। शुरू में कुछ समय के लिए वे हमारे घर पर भी रहे जिसकी वजह से हमें उनका सानिध्य प्राप्त हुआ। डॉक्टर तिवारी बहुत ही विद्वान व्यक्ति हैं। मुझे लगता है कि पहले-पहल उनकी एक पुस्तक 'तुलसी मूल्य और दर्शन 'काफ़ी उच्च कोटि की शोध पुस्तक गोस्वामी तुलसीदास पर आई थी जिसे मैंने पढ़ा है। उनका एक एकांकी / लघु नाटक का संग्रह 'खाली कप' भी आया था। इसके सिवा भी इन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं, लेख और कविताएं भी। मुझे लगता है कि सन् 1978 के आसपास तिवारी जी ने एक संस्था का गठन किया था जोकि साहित्यिक, सांस्कृतिक, कलात्मक और सामाजिक गतिविधियों का मंच था जिसका नाम रखा गया था' आभास ' इस संस्था में कुल पांच सदस्य थे - डॉक्टर यज्ञ प्रसाद तिवारी, प्रोफेसर वी० एन० सिंह, राधेश्याम अग्रवाल, रामनारायण पाण्डेय और मैं। डॉक्टर तिवारी और प्रोफेसर सिंह इसके निर्देशक के पद पर थे। रामनारायण पाण्डेय सचिव, राधेश्याम अग्रवाल कोषाध्यक्ष तथा मैं इस संस्था का अध्यक्ष था। केवल पाँच सदस्यों वाली यह संस्था काफी मजबूत और प्रगतिशील थी। ठीक 7 बजे सायं इस संस्था की बैठक होती थी और सभी सदस्य ठीक 6 बज कर 60 मिनट पर उपस्थित हो जाते थे। ग़ज़ब की समय की पाबंदी थी। इतने कम सदस्यों वाली इस संस्था ने गजब के काम किए थे। मंचीय कार्यक्रम, साहित्यिक कार्यक्रम, चित्रकला प्रतियोगिता, और गावों में मेडिकल केम्प करने के अलावा इस संस्था ने' आभास 'नाम की एक पत्रिका भी प्रकाशित की थी जिसमें अखण्ड शहडोल जिले के चुनिंदा साहित्यकारों की रचनाएँ समाहित थी, बहुत ही आकर्षक और शानदार पत्रिका निकली थी यह। बाद में इस संस्था में चचाई के भी कई सदस्य जुड़ गए थे जिसमें नरेश चंद्र नरेश' प्रकाश मानकर, ब्रजेन्द्र राय और प्रदीप (इनका सरनेम मुझे याद नहीं आ रहा है) आदि।डॉक्टर यज्ञप्रसाद तिवारी शहडोल महाविद्यालय में हिंदी विभाग के प्रमुख रहे। इन्होंने अमेरिका, मॉरीशस सहित कई विदेशी देशों की साहित्यिक यात्रा कर अनूपपुर का नाम रोशन किया है।अनूपपुर के आलावा इन्होने शहडोल महाविद्यालय नागपुर विश्वविद्यालय और छत्तीसगढ़ के मरवाही महाविद्यालय में भी अपनी सेवाएं दी है ये कभी अनूपपुर और कभी नागपुर में रहते हैं। उनका एक ही संतान थी जो इस समय पंडित शम्भु नाथ शुक्ल स्वशासी महाविद्यालय शहडोल में कार्यरत है उनके निधन से जिले के साहित्य जगत को अपूरणीय क्षति हुई है जिसकी भरपाई मुश्किल है उनके दुखद निधन से गिरीश पटेल ,चैतन्य मिश्रा,अरविन्द पांडेय,मनोज द्धिवेदी,अजीत मिश्रा,राम भैया,विजय उर्मलिया,राजनारायण द्धिवेदी,प्रकाश तिवारी,दीपक अग्रवाल बृजेन्द्र सोनी डाक्टर नीरज श्रीवास्तव,अनीश तिगाला, प्रभा पटेल सहित जिले भर के पत्रकारों और साहित्य से जुड़े हुए लोगो ने श्रद्धा सुमन अर्पित किये है