मौसम में बदलाओं को दृष्टिगत निमोनिया से बचाव एवं उपचार की सलाह
 
अनूपपुर। मौसम में बार-बार बदलावों को दृष्टिगत रखते हुए निमोनिया बढ़ने की संभावना को देखते हुए बच्चों में निमोनिया के लक्षणों की पहचान एवं उसके उपचार एवं प्रबंधन व निमोनिया के लक्षण वाले बच्चों की शीघ्र पहचान कर शीघ्र प्रबंधन व निमोनिया से बचाव एवं जागरूकता के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा मैदानी स्वास्थ्य अमले को निर्देश दिए गए हैं कि निमोनिया फेफड़े का संक्रमण है। जिससे फेफड़ों में सूजन हो जाती है। निमोनिया होने पर बुखार, खांसी और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। तेज सांस चलना या छाती का धंसना निमोनिया के दो मुख्य चिन्ह है। बच्चों में सांस की गति का ठीक ढंग से आकलन करके निमोनिया को प्रारंभिक अवस्था में ही पहचाना जा सकता है। इसके लिए बच्चों की श्वास को एक मिनट तक निरंतर देखा जाता है। दो माह तक की उम्र के बच्चों की सांस लेने की दर एक मिनट में 60 या उससे अधिक होने पर, 2 माह से एक वर्ष तक की आयु में 50 या उससे अधिक एवं 1 वर्ष से 5 वर्ष तक के बच्चों में प्रति मिनट 40 या उससे अधिक सांस की दर होने पर निमोनिया होने की संभावना रहती है। 5 वर्ष तक के बच्चों में सर्वाधिक मृत्यु का कारण निमोनिया है। निमोनिया से बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए टीकाकरण, छह माह तक सिर्फ स्तनपान और उसके बाद उचित पूरक आहार, विटामिन ए का सेवन, साबुन से हाथ धोना, घरेलू वायु प्रदूषण को कम करना आवश्यक है।