निर्दोष को 307 का अपराधी बनाने वाली पुलिस खुद दोषी,rkexpose के पास है घटना के वक्त का चश्मदीद rkexpose करेगा बडा खुलासा - विजय उरमलिया की कलम से

निर्दोष को 307 का अपराधी बनाने वाली पुलिस खुद दोषी,rkexpose के पास है घटना के वक्त का चश्मदीद rkexpose करेगा बडा खुलासा - विजय उरमलिया की कलम से
अनूपपुर - कोतमा थाना अंतर्गत कल एक निर्दोष पुलिस और राजनैतिक हथकंडे का शिकार हो गया दरसल कोतमा के केसवाही रोड पर गैराज चला कर अपना परिवार पालने वाले ऐतशाम अंसारी जो पूर्ण रूप से निर्दोष है पुलिस ने 307 का आरोपी बना दिया और सबसे घिनौना कृत्य कोतमा के कुछ भाजपा नेताओं ने किया बिना सच जाने सत्ता का ऐसा दबाव बनाया की एक निर्दोष आज इनकी वजह से गुनहगार हो गया,दरसल कोतमा पुलिस इस पूरे मामले में सबसे बड़ी दोषी है और कोतमा पुलिस के हर पुलिस कर्मी और कोतमा के नेताओं का कॉल डिटेल चोरी के वारदात में पकड़े गये आरोपी को थाना में सुपुर्दगी के बाद से कल निर्दोष को 307 के आरोपी बनने तक के कॉल डिटेल निकाले जाये दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा,
हम इस वक्त घटना के वक्त वहां मौजूद चश्मदीद से हुई बात चीत के कुछ हिस्से बता रहे है जिससे ये तो तय हो गया कि एक निर्दोष एक तरफ जहां पुलिस की लापरवाही की भेंट चढ़ गया तो दूसरी तरफ उसका मुसलमान होना सबसे बड़ा गुनाह सबित तब हुआ जब कोतमा के चंद नेताओं ने अपनी नेतागिरी चमकाने के लिए एक निर्दोष को बली का बकरा बनवा दिया,दरसल 6 मार्च की रात को ऐतशाम अंसारी और उनके गैराज में काम करने वाले लड़के चोरी करते हुए गैराज में किसी को देखा और जब पकड़ने का प्रयास किया तो भाग खड़ा हुआ पीछा कर के चोरी करने आये विष्णुदयाल द्विवेदी को राधिका होटल के पास धर दबोचा और कोतमा थाने ले जाकर पुलिस को सौंपते हुए लिखित शिकायत दी थी अब यहाँ से शुरू होता है घटना क्रम में नया मोड़ जिसका चश्मदीद rkexpose के पास है जो पुलिस और घटना के सही तथ्य कोर्ट में बतायेगा फिलहाल ऐतशाम अंसारी के गैराज में सुबह जब उक्त चोर अपने भाई के साथ पहुंचा तो गैराज मालिक हक्का बक्का रह गया कि ये कैसे यहाँ पहुंच गया इसको तो पुलिस के पास होना चाहिए था और तभी कोतमा पुलिस को फोन लगा कर गैराज मालिक ने पूंछा की जिस चोरी के आरोपी को आप के सुपुर्द किया था वो गैराज में कैसे आ गया उसको कैसे छोड़ा गया उधर से कोतमा पुलिस ने जो कहा वो चौंकाने वाला था पुलिस को खुद पता नही था कि आखिर उक्त व्यक्ति गैराज कैसे पहुंचा चूंकि कोतमा पुलिस ने गैराज मालिक को कहा कि आप उनको पकड़ कर रखिये साथ ही जो साथ मे आया है उसको भी पकड़ कर रखना चोरी करने वाले आरोपी को जो हमारा चश्मदीद है उसके बगल में पकड़ कर बैठा दिया गया पर उसके साथ आया दूसरा व्यक्ति जो उसका भाई बताया जा रहा है मौके स्थल से भागने का प्रयास किया और इसी दरमियान उसको गैराज के कर्मचारी ने पकड़ने का प्रयास किया और उसी दौरान हांथापाई में दूसरे को चोट लग गई जबकि गैराज मालिक उस वक्त स्वयं पुलिस से बात कर रहे थे पुलिस ने कहा कि साइकिल साइड में रखवा दिजीए और उनको पकड़ कर रखिये इस पूरे मामले में एतेशाम अंसारी ने न तो हाँथ छोड़ा और न ही मारपीट की चूंकि हमारे पास जो चश्मदीद मौजूद है वो पूरी घटना के वक्त वही मौजूद था,और तब तक पुलिस वहां पहुंच चुकी थी और उसके बाद एक अहम पहलू यह सामने आया कि चोर को थाने से भगा कर लाने वाला उसका भाई भाजपा में है और यहीं से अंसारी को पूरे सडयंत्र के साथ 307 का आरोपी बनवाया गया चूंकि भाजपा नेता का भाई चोरी करते पकड़ाया था और एक गैराज चलाने वाला मुसलमान भाजपा नेता के भाई को पुलिस को कैसे सौंप दिया ये कोतमा के उन भाजपा नेताओं के नाक का सवाल बन चुका था और फिर वही हुआ जो मंत्री दिलीप जायसवाल के खासमखास होने का दावा करने वाले कोतमा के भाजपाई थाने में जा कर हंगामा बरपाते हुए एक निर्दोष को उस अपराध का आरोपी बनवा दिया जो अपराध उसने किया ही नही था और अब मंत्री दिलीप जायसवाल को तय करना पड़ेगा कि आप सरकार में मंत्री से पहले आप इस कोतमा विधानसभा के हर एक इंसान के विधायक है और आप के विधानसभा में आप के ही कुछ नेता एक बेगुनाह को उस अपराध का अपराधी बना दिया जो गुनाह उसने किया ही नही और ये सब महज इसलिए की सत्ता की ठसक और राजनैतिक रसूख़ चमकाने का मौका इससे अच्छा शायद उन नेताओं के हाँथ नही लगता
पर आप के इन नेताओं की इस घटिया सोच वाली राजनीति का हम पूरा पोस्टमार्डम तब तक करेंगे जब तक बेगुनाह को न्याय नही मिल जाता rkexpose के पास जो चश्मदीद है घटना के वक्त उसी गैराज में मौजूद था और उसकी मौजूदगी में पुलिस से बात होने से लेकर पुलिस के आने तक वही मौजूद था अब पुलिस बताये की आखिर चोरी का आरोपी जो आपकी अभिरक्षा में था वापस गैराज कैसे पहुंचा और गैराज मालिक की शिकायत पर आपने क्या मामला पंजीबद्ध किया था और किस नियम या जमानत पर छोड़ा है वो भी प्रेसनोट जारी कर बताये
इस पूरे मामले में हमने कोतमा थाना प्रभारी सुंदरेश सिंह जी से बात की तो उनका कहना था कि उसने चोरी नही की थी इसलिए छोड़ दिया गया था अरे साहब पहले भी इस गैराज में चोरी की शिकायत आपके थाने में हुई थीं तो क्या आपने आप के पास सुपुर्द किये गए व्यक्ति से लिखती में पूंछतांछ की और साहब का कहना था कि वो वहां पेशाब करने गया था तो रात के दस बजे गैराज के पीछे के रास्ते से मेन सड़क छोड़ कर 500 मीटर अंदर कोई बोलेरो गाड़ी में पेशाब करने जायेगा ये बात गले उतरने वाली नही है तो दूसरी तरफ थाना प्रभारी ने कहा कि विवेचना में साफ होगा कि किसने मारा अरे साहब पहले जांच ही कर लिए होते तो एक निर्दोष 307 का आरोपी न बनता बहरहाल इस पूरे मामले में कोतमा थाने के 6 मार्च से लेकर सात मार्च एफआईआर होने तक के सीसीटीवी और कॉल डिटेल सार्वजनिक करने चाहिए तभी एक बेगुनाह को को बेगुनाही साबित हो सकती है अब देखना यह लाजमी होगा क्या कोतमा पुलिस अपनी गलती को सुधारते हुए निर्दोष व्यक्ति के ऊपर लगे इस दाग को कैसे मिटाती है